Towards the Light – Reminiscence in Hindi Moral Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | उजाले की ओर –संस्मरण

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उजाले की ओर –संस्मरण

स्नेहिल नमस्कार मित्रो

आशा है, सब स्वस्थ व आनंदित हैं।

आप सबसे एक कहानी के माध्यम से कुछ कहना चाहती हूँ।

सकारात्मक सोच समस्त समस्याओं का हल-

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‌‌‌‌‌    एक राजा था जिसकी केवल एक टाँग और एक आँख थी। उस राज्य में सभी लोग खुशहाल थे, क्योंकि राजा बहुत बुद्धिमान और प्रतापी था। एक बार राजा के मन में विचार आया कि क्यों न खुद की एक तस्वीर बनवाई जाए!देश- विदेशों से चित्रकारों को बुलवाया गया और एक से एक बड़े चित्रकार राजा के दरबार में आकर उपस्थित हो गए।

राजा ने उन सभी से हाथ जोड़ कर आग्रह किया कि वे उसकी एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाएं जिसको राजमहल में लगाया जा सके। सारे चित्रकार सोचने लगे कि राजा तो पहले से ही विकलांग है, फिर उसकी तस्वीर को बहुत सुन्दर कैसे बनाया जा सकता है? यह तो संभव ही नहीं है और अगर तस्वीर सुन्दर नहीं बनी तो राजा गुस्सा होकर दंड देगा।

यह सोचकर सारे चित्रकारों ने राजा की तस्वीर बनाने से मना कर दिया। तभी पीछे से एक चित्रकार ने अपना हाथ खड़ा किया और बोला कि मैं आपकी बहुत सुन्दर तस्वीर बनाऊँगा जो आपको जरूर पसंद आएगी। राजा ने उसे आज्ञा दे दी। चित्रकार जल्दी से राजा की आज्ञा लेकर तस्वीर बनाने में जुट गया। काफी देर बाद उसने एक तस्वीर तैयार की, जिसे देखकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ और सारे चित्रकारों ने अपने दातों तले उंगली दबा ली।

उस चित्रकार ने एक ऐसी तस्वीर बनाई, जिसमें राजा एक टाँग को मोड़कर जमीन पर बैठा है और एक आँख बंद करके अपने शिकार पर निशाना लगा रहा है।

राजा यह देखकर बहुत प्रसन्न हुआ कि उस चित्रकार ने राजा की कमजोरियों को छिपाकर कितनी चतुराई से एक सुन्दर सकारात्मक तस्वीर बनाई है। राजा ने उसे खूब इनाम एवं धन दौलत दी।

हम देखते हैं कि हम लोग प्राय: सभी की कमियाँ बहुत जल्दी ढूंढ लेते हैं चाहे हमारे अंदर कितनी भी कमियाँ क्यों न हों। लेकिन हम हमेशा दूसरों की बुराइयों पर ही ध्यान देते हैं कि अमुक आदमी में यह कमी है, वह ऐसा है, वह वैसा है। लेकिन उससे कोई लाभ नहीं होता बल्कि हम स्वयं एक नकारात्मक वृत्त में घिर जाते हैं। नकारात्मक परिस्थितियों में भी सकारात्मक सोचना हमारे. व्यक्तित्व को दृढ़ बनाता हैऔर हमारी सकारात्मक सोच हमारी हर समस्याओं को हल करती है।हमारे समक्ष कबीर एक महान दार्शनिक के रूप में हैं जो कहते हैं :

जो मन खोजा आपना

मुझसे बुरा न कोय!!

 

तो क्यों न हम भी अपने भीतर झाँककर देखें, अपने आपको सुधारने का प्रयास करें। दूसरों की कमियों को उजागर न करें, उन्हें नजरअंदाज करें और उनकी अच्छाइयों पर ध्यान दें।

जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास से ही हम अपने व समाज के बारे में कुछ सोच सकेंगे।

सबका दिन शुभ, शुभ्र रहे।

सस्नेह

आप सबकी मित्र

डॉ प्रणव भारती