Krick or Nakchadi - 6 in Hindi Love Stories by krick books and stories PDF | Krick और Nakchadi - 6

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Krick और Nakchadi - 6

क्रिक ने की नकचडी की मम्मी की गलत फेमि दूर ।

" एक बार इतफाक से क्रिक का वहाँ जाना हुआ जिस शहेर मे नकचडी रेहती थी उसी शहेर मे ही क्रिक के बडे पापा की जॉब थी वहाँ उनका घर था वो वही ही रहते थे उनके घर क्रिक थोड़ी देर के लिये रुका हुआ था फिर अचानक क्रिक को याद आया की नकचडी भी तो इसी शहेर मे रेहती है क्यों ना उसके साथ बात करू हो सके तो उसे मिलु फिर क्रिक ने उसे मेसेज किया और किस्मत से वो भी क्रिक के आस पास ही बाजार मे उसकी छोटी बहेन के साथ ही घुम रही थी फिर दोनो बात की और दोनो ने मिलना तय किया फिर क्या था क्रिक बहुत ही खुश होके उसे मिलने के लिये गया तब पहली बार पांच साल के बाद ऐसे क्रिक अपनी दोस्त नकचडी को मिला नकचडी ने क्रिक से हाथ मिलाया और बाते हाल चाल पुछा पांच साल के बाद क्रिक ने नकचडी की आवाज सुनी जो बिल्कुल ही बदल गई थी फिर बहुत सारी बाते की नकचडी ने क्रिक को अपने घर चलने के लिये बोला पहले तो अपने मन मे उसने सोचा की केसे उसकी मम्मी के सामने जाऊंगा और इतना आसान भी नही था की जिस नकचडी की मम्मी पांच साल के पहले क्या सोच रही थी क्रिक के बारे मे उनके सामने जाने की हिम्मत तो कोई पागल ही कर सकता है ये सब कुछ कोई साउथ की मूवी से कम नही था फिर तीनो निकल पडे नकचडी के घर की तरफ उसकी मम्मी से मिलने रास्ते मे बर्फ का गोला आया तो फिर तीनो ने गोला खाया आइस क्रीम खाई और घर की और चल पडे मुझे तो अंदर से बहुत ही डर लग रहा था लेकिन मेरी कोई गलती ही नही थी तो फिर मे क्यु डरु जो होगा देखा जायेगा ये सोच कर मे चलने लगा । 

" सायद ही ऐसा पहले किसी के साथ हुआ होगा की जिस लड़की से दोस्ती की हो जिसे प्यार किया हो और उसकी मम्मी को भी लड़के के बारे मे पता हो की ये लड़का मेरी बेटी को पढ़ने नही देता था उसको परेशान करता था और ये गलत फेमि दूर करने के लिये पांच साल बाद वही लड़का उनके घर जाने की हिम्मत कर रहा था ये कोई मूवी के सीन से कम नही था । "

लेकिन ये मेरे लिये जरूरी था मेने कभी किसी को दुखी नही किया था हा मे बहुत बड़ा लीडर था और मेरा बहुत ही बड़ा ग्रुप था सब मुझे अपने लगते थे मेरे से सब दिल से जुड़े थे कोई भी कभी भी मुझसे दुखी नही हुआ अगर कोई गलती से भी दुखी होता तो मे उसे दूसरे दिन हसा के फिर से गले लगा देता लेकिन नकचडी तो मेरे दिल के सबसे करीब थी उसे केसे युही छोड़ सकता था इस लिये मेने पांच साल तक इंतजार किया और मेने ये गलत फेमि दूर की और फिर मुझे शांति मिली । "

मे नकचडी के घर गया उनके मम्मी पापा के मेने पेर छुये उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया फिर हमने बहुत सारी बाते की अभी तक नकचडी की मम्मी ने मुझे पहचाना नही था क्युकी उन्होंने मुझे कभी देखा ही नही था इस लिये मुझे थोड़ा अच्छा लगा और मेने बहुत सारी बाते की उन्होंने मेरी पढाई के बारे मे पूछा नकचडी के पापा ने भी बहुत सारी बाते की उनके मम्मी पापा ने मेरे परिवार मेरे सपनो के बारे मे पूछा वो ये जान कर बहुत ही खुश हो गये उन्हे मे बहुत ही अच्छा लगा उनहोंने ने तो ये तक मुझे बोल दिया की तुम्हारे जैसे लड़के हमे बहुत ही पसंद है तुम बहुत ही अच्छे और होशियार हो तुम जीवन मे बहुत आगे जाओगे । ऐसी बहुत सारी बाते की नकचडी और उसकी छोटी बहेन आयुषी दोनो ही मेरी और देख कर इशारों ही इशारों मे मुसुकुरा रहे थे और ये मन मे बोल रहे थे की तुम्हारा कोई जवाब ही नही है क्रिक गजब की हिम्मत के साथ तुमने मम्मी पापा के सामने अपने आपको साबित किया है लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ की नकचडी की मम्मी को मेरे बारे मे पता चल गया  हुआ यु की मे स्कूल मे था तब नकचडी को बहुत सारे गिफ्ट देता रहता था मे पेंटिंग, कार्ड ये सब नकचडी को देता रेहता था । मेने देखा की मेरे सामने की दीवाल पर काच की अलमारी मे बहुत सारी मेरी दी हुई पेंटिंग पडी हुई है उसमे सबसे अच्छी और हमारी दोस्ती और प्यार की निशानी वाली एक राधा कृष्ण की पेंटिंग भी थी उसे देख कर मुझे रहा नही गया मेने सबके सामने ही उंगली देखा कर ये बोला की वो देख रहे हो कांच की अलमारी मे जो राधा कृष्ण की पेंटिंग सजा कर रखी है ना वो मेने ही नकचडी को स्कूल मे गिफ्ट की थी इतना सुनते ही नकचडी की मम्मी को पता लग गया की मे कोन हु  मेरे और नकचडी के चेहरे पर तो जैसे बारह बजे हुवे थे तभी " आयुषी ने मम्मी को हस के बताया की अब पता लगा की भीडू!! ये कोन है, तभी उसकी मम्मी भी मुस्कुराने लगी " और सब याद करके मन मे ही हसने लगे तभी सभी लोग मुसुकुराने लगे लेकिन अभी कोई चाह कर भी मुझे कुछ बोल नही सकता था क्युकी नकचडी के मम्मी की गलत फेमि तो दूर हो ही गई थी जैसा वो सोचते थे वैसा तो मे बिल्कुल भी नही था मम्मी को पता अभी चला की ये तो कितना अच्छा लड़का है हमने युही कितना सक किया था उसपे उसके बाद मेने भी उसकी मम्मी को बताया की जब हम स्कूल मे होते है तो हमे प्रेम के बारे मे समझा ने वाला नही होता है अगर हम अच्छे दोस्त की तरह भी अकेले मे मिलके बाते, मस्ती, मजाक करते है फिर भी हमारे बीच बहुत सारी गलत फेमिया हो जाती है और लोग बाते बनाने लग जाते है लेकिन ना ही उसमे हमारी गलती है और नाही हमारे माँ बाप की गलतीफेमि को दूर करने का नाम ही जीवन है । "

मेरी ये बात सुनते ही नकचडी के मम्मी पापा मुझे भी अपने बेटे की नजर से देखने लगे थे उन्होंने चाय पिलाई बहुत सारी बाते की और कही ना कही मुझे भी ये गलती फेमि थी ही की नकचडी की मम्मी स्वभाव से बहुत गुस्से वाली होगी लेकिन वो जैसी दिखती थी वैसी बिल्कुल भी नही थी वो तो बहुत ही प्यारी और मजाकिया स्वभाव की थी वो भी बिल्कुल मेरी मम्मी की तरह ही मुझे प्यार करने लगी थी उसके बाद सब कुछ ठीक हो गया फिर मेने मेरे घर जाने की उनसे विदाई ली फिर नकचडी की मम्मी ने मुझे कहा की बेटा !! अब से इसे अपना ही घर समजो तुम्हारा जब मन करे तब बिंदास आ जाना उसके बाद मेने नकचडी के मम्मी पापा के पेर छुये और आशीर्वाद लिया आयुषी को भी अलविदा कहा और फिर नकचडी भी मुझे थोड़ी दूर तक छोड़ ने आई और हम दोनो ने यादगिरी के लिये साथ मे एक  सेल्फी ली इस तरह मेने मेरी और नकचडी की मम्मी की गलती फेमि पांच साल के बाद दूर की । 

उसके बाद नकचडी ने मुझे एक और फोटो अपने फोन मे दिखाई जिसे देखने के बाद मेरे तो होस उड़ गये जैसे मेरे पेरो तले से मानो जमीन ही खिसक गई क्युकी वो फोटो किसी और लड़के की थी और नकचडी मुझे कुछ बता रही थी  ?...वो लड़का कोन था ? नकचडी ने क्रिक को क्या बताया होगा ?  ये सब हम आगे के पार्ट मे जानेंगे । 

!! चलो दोस्तो चलता हूँ आगे के पार्ट मे फिर से मिलत हूँ, तब तक के लिये अपना ख्याल रखे । "