Krick Or Nakchadi - part -5 in Hindi Love Stories by krick books and stories PDF | Krick और Nakchadi - 5

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Krick और Nakchadi - 5

बस इस तरह क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्यार मे बदली गई और बिना प्यार किये ही उनका ब्रेकअप हो गया । उन्हे तो ठीक से प्यार भी नही मिला और बदनाम तो ऐसे हुवे की प्यार मोहब्बत के बादशाह थे।

"वो केहते है ना की पहली नजर मे प्यार के लिये दिल जिसे चुनता है वो अपना हो या ना हो लेकिन दिल पर राज उसिका ही रेहता है । "

क्रिक और नकचडी एक दूसरे को भूल ही नही पा रहे थे और कोरोना लॉक डाउन की छुटिया बढ़ती ही जा रही थी ।  क्रिक ने नकचडी को सोर्री बोलने के लिये बहुत प्रयास किये मानो नकचडी कही खो सी गई थी बहुत सारे उनके दोस्तो से पूछा की नकचडी से बात करनी है लेकिन कही से भी उसके साथ बात ही नही हो पा रही थी फिर क्रिक ने क्या किया की  सारी बाते उसने अपने फोन मे लिख दी और वो नकचडी को शेर करने के लिये बहुत सारे तरीके खोजता रहता लेकिन कही से भी उसके साथ बात ही नही हो पा रही थी अब क्रिक और नकचडी का प्यार एक तरफा हो गया था उन्हे पता ही नही था की क्रिक के दिमांग मे क्या चल रहा होगा पर नकचडी के दिमांग मे क्या चल रहा होगा लेकिन हकीकत मे तो झगडा हो कर उनकी दोस्ती अलग हुवी थी वही सब सोच उनके दिमांग मे चलती रहती थी नये नये नंबर से क्रिक हर बार नकचडी के जन्मदिन पर सबसे पहले बारह बजे ही नकचडी को बहुत सारी जन्मदिन की बधाई देता था और उसके बाद नकचडी उसको हर बार ब्लॉक कर देती थी क्रिक सारे जन्मदिन पर ऐसे ही नये नये नंबर से बारह बजे सबसे पहले जन्मदिन की बधाई देता और वो देखने के बाद नकचडी बिना कुछ बात किये हर बार की तरह क्रिक को ब्लॉक ही कर देती थी जिसकी वजसे क्रिक को बहुत बुरा भी लगता था लेकिन सबसे पहले जन्मदिन की बधाई देकर उसे अच्छा भी लगता था लेकिन बार बार नकचडी बिना कुछ बाते किये वो क्रिक को ब्लॉक ही कर देती उसे कुछ भी बात नही करना था ये घटना लॉक डाउन की है इस लिये क्रिक का पूरा लॉक डाउन नकचडी की यादों मे खोया खोया सा गया उसे सिर्फ एक सोर्री बोल ना था लेकिन वो भी नकचडी को नही बोल पाया उसके दिल मे कही ना कही बहुत पछतावा और दुख था लेकिन फिर ऐसे ही ऐसे चार साल बीत गये उसके बाद एक दिन क्रिक ने नकचडी को इंस्टाग्राम पर फॉलो किया और बडी ही मुश्किल से उसने फॉलो अक्सेपट तब जाके नकचडी की पहली बार बात हुई उसके बाद उन दोनो ने बहुत सारी बाते की और बाद मे जो मेसेज क्रिक ने चार साल पेहले लिखा था वही उसने नकचडी को भेजा उसे पढ़ कर नकचडी भी बहुत रोने लगी उसने बताया की एक छोटी सी गलत फेमि की वजसे क्रिक को पांच साल बाद उसकी यादों की तस्वीरों मे जीना पड़ा और पांच साल के बाद उसने नकचडी से बात की ये सब नकचडी को पता लगा तो उसे भी बड़ा दुख हुआ अब वो दोनों चार साल के बाद  बहुत बडे और समझदार भी हो गये थे ।  

चलो इस तरह क्रिक की नकचडी के साथ तो गलतफेमि दूर हो गई लेकिन सिर्फ नकचडी से बात होने से क्रिक को शांति नही मिले क्युकी नकचडी की मम्मी को भी एक गलत फेमि और थी जो स्कूल मे हो गई थी जिसे दूर करना बेहद जरूरी था नकचडी की मम्मी को ये गलत फेमि हो गई थी क्रिक उनकी बेटी को परेशान करता है वो उसे अपनी प्रेम जाल मे फसा रहा है वो अच्छा लड़का नही है इतनी सारी गलत मानसिकता को दूर करना क्रिक के लिये बहुत ही जरूरी था क्युकी स्कूल मे तो हम दोनो बहुत अच्छे दोस्त थे " हमे तो प्यार भी नसीब नही हुआ था और बदनाम तो ऐसे हुवे की प्यार मोहोब्बत के बादशाह थे हम । "

बस‍ ऐसे ही पांच साल के बाद क्रिक की नकचडी के साथ पहली बार कॉल पर बात हुई और उनकी ये छोटी सी गलत फेमि दूर हुवी मेने अपनी गलती मानी जो मेने की भी नही थी और नकचडी ने गलती माफ की और दोनों अब फिर से अछे दोस्त बन गये लेकिन क्रिक तो आज भी नकचडी को वैसा ही प्यार करता था जैसा तब करता था लेकिन मुझे तो ऐसा लग रहा था की नकचडी को कोई और मिल गया है खेर ये मेरी एक तरफी विचारधारा थी वैसे मेने भी ये पूछा नही था बस इतनी बाते हुई मेरी नकचडी से उसके बाद अपने अपने काम मे लग गये मुझे लगा की इतने सालों के बाद वो मुझसे मिलेगी तो बहुत खुश होगी मुझसे बहुत बाते करेगी लेकिन ऐसा नही था कुछ भी ऐसा नही हुआ हमारी बात बिल्कुल सरल हुई कोई स्पेशल बात ही नही हुई बस हाल चाल और पढ़ाई के बारे मे पूछा यहा  तक की नकचडी को ये भी नही पता की मे कहा पढ़ता हूँ ? क्या कॉर्श करता हूँ मेरा एडमिशन कहा है ?  और एक मे मुझे सब पता था वो कहा पढ़ती है क्या पढाई करती है ये सब मेने उनके सारे दोस्तो से  पता किया था लेकिन क्या फायदा ये सब का उसे तो कुछ भी पता नही था उसे तो वो पुरानी बात दिल पर लेली थी उसके बाद तो मुझे कभी याद ही नही किया लेकिन मेरी दोस्ती मे पहले की तरह अभी भी प्यार था । 

मेने इतने साल उसकी यादों की तस्वीरों मे निकाल दिये थे और उसने मुझे एक पल मे ही सब कुछ बया कर दिया था वो तो कब की अपने काम मे लग गई थी लेकिन मे उसके लौट ने की राह देख रहा था और ये बात मुझे पांच साल के बाद पता चली थी और मेने भी केसे उसकी याद मे सालों निकाल दिये ये भी नकचडी को बताया था लेकिन जैसी सोची थी वैसी उसकी और से कोई प्रतिक्रिया नही आई इस लिये मे भी उदास हो गया इस दोस्ती, प्रेम और हवाई सपनो से भरे इस रिश्ते ने मुझे तोड कर रख दिया और बहुत कुछ शिखा भी दिया जीवन की ये ठोकर ने मेरे सारे बाहरी जिवन के रिश्तों पर से केसे भरोसा तोड़ दिया वो हम आगे जानेंगे । 

"आगे के भाग मे जैसे नकचडी की गलत फेमि क्रिक ने दूरी की वैसे ही नकचडी की मम्मी की गलत फेमि क्रिक केसे दूर करता है वो हम जानेगे वो कहानी बहुत ही दीलजस्त है । "

"चलो दोस्तो चलता हु आगे की कहानी मे फिर से मिलता हूँ तब तक के लिये अपना ख्याल रखे । "