Monster the risky love - 29 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 29

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दानव द रिस्की लव - 29

आखिर वशीकरण लाकेट कैसे टूटा....

….Now on …….

 
अदिति : हितेन विवेक कहां हैं ….?
हितेन : अदिति वो cafeteria में हैं ….
अदिति : तुम नही गये उसके साथ..?
हितेन : मुझे कुछ काम था ...तुम जाओ हम तीनो भी पहुंच जाएंगे....
अदिति : ठीक है ….
अदिति cafeteria में पहुंचती हैँ. ……
अदिति : विवेक…(विवेक अदिति की आवाज को ignore कर देता है) ……विवेक …(सामने बैठ जाती हैं) …क्या हुआ है morning से देख रही हूं ignore कर रहे हो मुझे ……क्या बात है बोलो न क्यूं ignore कर रहे हो मुझे ….( अदिति ने मासुमियत से पूछा) ….
विवेक : तुम यहां क्या कर रही हो और तक्ष नही है तुम्हारे साथ ….उसे तुम्हारे साथ होना चाहिए था ….
अदिति : तुम मुझे चिढ़ा रहे हो ……अब समझी कल रात की बात को लेकर गुस्सा हो ….
विवेक : भैय्या को उस तक्ष को तुम्हारी protection देने की क्या जरुरत थी …मैं नही था तुम्हारे साथ ….!
अदिति : तुम थे नही विवेक …तुम हो मेरे साथ और हमेशा रहोगे जबतक मैं जिंदा हूं …
विवेक : but मुझे लगा तुम अब मुझे अपने से दूर कर दोगी …!
अदिति : तुम्हें ऐसा क्यूं लगा ……?
विवेक : जब भैय्या ने तक्ष को तुम्हारी responsibility दी तब तुमने कुछ नहीं कहा अदिति …क्यूं ….…?…तुम भाई को मना कर सकती थी न …फिर …
अदिति : तुम्हें तक्ष का मेरे साथ रहना अच्छा नहीं लगा …मुझे भी बस तुम ही अपने साथ चाहिए ……पर तुम जानते हो विवेक (अदिति विवेक के कंधों पर हाथ रखती हैं) ….मैं जितना प्यार तुमसे करती हूं उतना ही भाई से भी करती हूं …शायद तुमसे ज्यादा भी …भाई ने कभी मेरी जिद्द को मना नही किया …बस कहते ही मेरी wishes को बिना देर किये पूरा कर दिया , कभी मुझे डांटा भी नहीं है……अब तुम ही बताओ मैं भाई की इच्छा को मना करके उन्हें निराश नही करना चाहती थी ……
विवेक : right अदिति ……(embraces) …sorry अदिति मैं पता नहीं क्यूं गुस्सा हो गया …
अदिति : वो …इसलिए ……की तुम मुझसे …प्यार करते हो (गाल पर kiss करके भाग जाती हैं) …
विवेक : अदिति ……रूको ….
अदिति ground की तरफ जाकर अचानक रुक जाती हैं …
विवेक : अदिति क्या हुआ ….?
अदिति : विवेक वहां सब क्यूं इकठ्ठा हुए हैं ……वहां तो मैं तक्ष को wait करने के लिए कहकर गई थी ……!
विवेक : तक्ष को ……चलो देखते है क्या हुआ है ….?
दोनों वहां पहुंचते हैैं ……
अदिति : what happened here why are all gathered ……?
विवेक : अदिति ….वो देखो ….I think तक्ष है वो ……इसे चोट कैसे लगी ….?
अदिति : हां विवेक वो तक्ष है चलो ……
कंचन : अच्छा तुम दोनों आ गये ……
अदिति : क्या हुआ इसे ….? 
कंचन : इसने उस piller को संभालकर इन चारो को बचाया है ….
श्रुति : हां अदिति ….taksh is hero 
विवेक : (मन में) hero एक जानवर है इंसान है कुछ पता नहीं …अब सबको बचाने चल रहा हैं.. ….
अदिति : विवेक ….तक्ष की help करो उसे उठेंगी में.. ….
विवेक : हां …. (मन में) ये सही तरीका है पता करने का इसने मुझ-पर हमला किया था या नहीं …………(विवेक तक्ष को उठाने के लिए नीचे झुकता है …वैसे ही तक्ष मना करके देता है)
तक्ष : नही ……मैं ठीक हूं.... मैं खुद उठ जाऊंगा ……
विवेक : (मन में) मुझे छूने नही दे रहा हैं.. मेरा शक सही है …
अदिति : तक्ष संभलकर ……
तक्ष : मैं ठीक हूं.... अदिति ….
अदिति : विवेक क्या सोच रहे हो चलो …….!
विवेक : हां …. अदिति
……in car …….
अदिति विवेक के साथ आगे बैठती है और तक्ष पीछे वाली सीट पर ……
विवेक : (मन में) इसके गले पर मेरे ही लाकेट का निशान छपा था …पर इसकी मुझसे क्या दुश्मनी है और ये अदिति के यहां क्यूं रूका …लेकिन एक बात अजीब है …जो अदिति के साथ हो रही है …या तो अदिति के बारे में जो भाई कह रहे हैं ठीक है या तो ये तक्ष ने (तभी अदिति आवाज देती हैं (
अदिति : विवेक ……कहां खो गये सामने देखो ……!
विवेक : हां अदिति ….…(मन में) अगर मुझे कुछ पता करना है तो मुझे आज अदिति के यहां ही रूकना पड़ेगा ….हां..
अदिति : क्या हां …. विवेक ….?
विवेक : कुछ नहीं ……
तीनो घर पहुंचते हैैं…..
अदिति : ताई orange juice ला दो हमारे लिए……
बबिता : जी ……(चली जाती हैं)
विवेक : अदिति ……क्या मैं आज रुक जाऊं ……
अदिति : हां …. विवेक …
तक्ष :( मन में ) ये क्यूं रूका है….….अदिति मैं जाता हूं …
विवेक : thanks sweet heart (embrace) ….(मन में) ये प्यार के चक्कर में नहीं है……नही तो मुझे देखकर गुस्सा तो आता… बात कुछ और ही है …लेकिन क्या ……(विवेक की नजर अदिति के लाकेट पर जाती हैं) ….........अदिति ये लाकेट किसने दिया …भाई ने. …?
अदिति : अरे! नही ….ये तो तक्ष ने दिया है ….
विवेक : (हैरानी से) तक्ष ने ….?
अदिति : हां विवेक ….इतना चौंक क्यूं गये ….?
विवेक : कुछ नहीं ……(मन में) ये लाकेट तक्ष ने क्यूं दिया है …एक छोटा सा tryl लेता हूँ ............अदिति एक बात मानोगी ….
अदिति : हां …. बोलो मैंने कभी मना किया है ….!
विवेक : ये लाकेट उतार दो ….
अदिति : क्यूं विवेक ……?
विवेक : अदिति क्या तुम इतना नही कर सकती ….?
उबांक तक्ष के कहने पर विवेक पर नजर रखे  हुए था इसलिए विवेक की कही बात जाकर तक्ष को बताता है ……
तक्ष : बोल उबांक ….
उबांक : दानव राज.. वो अदिति से आपका दिया हुआ वशीकरण तावीज उतारने के लिए कह रहा हैं..
तक्ष : मुझे लग ही रहा था ….तू चिंता मत कर ……!
अदिति गले से लाकेट उतारने की कोशिश करती है ,लेकिन लाकेट नही उतार पाती ……
अदिति : विवेक ये नही निकल पा रहा हैं..
विवेक : रूको मैं कोशिश करता हूँ ……(जैसे ही विवेक उस लाकेट को छुता है. …अदिति के सिर में तेज दर्द होने लगता हैं)…अदिति क्या हुआ ……?
अदिति : विवेक रहने दो please बहुत सिर दर्द हो रहा हैं.. …
विवेक : आखिर ये लाकेट क्यूं नही उतर रहा हैं... …?
 
………….to be continued …….