रात का सन्नाटा और बेचैनी...
वरुण के दिमाग में सवालों का तूफान था। स्नेहा ने उसे लाइब्रेरी में मिलने के लिए क्यों बुलाया? क्या ये श्रुति से जुड़ा हुआ था? उसने मोबाइल स्क्रीन पर नजर डाली, लेकिन कोई और मैसेज नहीं आया। रात और गहरी हो गई थी, लेकिन उसकी बेचैनी कम नहीं हो रही थी।
अगले दिन - कॉलेज लाइब्रेरी
वरुण समय से पहले लाइब्रेरी पहुँच गया। चारों तरफ सन्नाटा था, सिर्फ कुछ स्टूडेंट्स किताबों में घुसे हुए थे। उसे घबराहट हो रही थी, लेकिन उसने खुद को संभाला।
थोड़ी देर बाद, दरवाजे से स्नेहा अंदर आई। लेकिन वो अकेली नहीं थी... श्रुति भी उसके साथ थी।
वरुण का दिल जोर से धड़कने लगा। उसने कल की मुलाकात के बाद श्रुति के बारे में बहुत सोचा था, लेकिन अब जब वो सामने थी, तो कुछ अजीब महसूस हो रहा था। स्नेहा ने इशारे से उसे एक कोने में बुलाया।
"वरुण, मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है।" स्नेहा की आवाज़ में गंभीरता थी।
"हाँ, बोलो," वरुण ने धीरे से कहा।
स्नेहा कुछ कहती, उससे पहले श्रुति ने बोलना शुरू कर दिया, "वरुण, तुम कल मुझे देखकर चौंक गए थे, है ना?"
वरुण ने हड़बड़ाकर उसे देखा। उसकी आँखों में वही अजीब सी गहराई थी, जो कल थी।
"नहीं... ऐसा कुछ नहीं... बस," वरुण ने जवाब देने की कोशिश की।
श्रुति हल्का सा मुस्कराई, लेकिन उसकी मुस्कान में एक रहस्य था। "मैं जानती हूँ कि तुम मुझसे कुछ पूछना चाहते हो। लेकिन फिलहाल, मैं सिर्फ इतना कह सकती हूँ-हमारी मुलाकात कोई इत्तेफाक नहीं थी।"
वरुण के रोंगटे खड़े हो गए। "क्या मतलब?"
श्रुति ने स्नेहा की तरफ देखा। स्नेहा झिझक रही थी, लेकिन फिर उसने धीरे से कहा, "श्रुति को कोई स्टॉक कर रहा है. और हमें लगता है कि वो हमारे कॉलेज का ही कोई है।"
वरुण को लगा कि उसकी सोच कहीं ओर जा रही थी।
"स्टॉकर?" उसने हैरानी से पूछा।
हाँ," श्रुति ने गंभीरता से कहा। "और हो सकता है कि वो तुम्हें भी फॉलो कर रहा हो।"
वरुण का दिमाग एक पल के लिए सुन्न हो गया। क्या वो किसी अनदेखे खतरे में फैंस चुका था? या फिर ये कोई माइंड गेम था?
तभी अचानक, लाइब्रेरी के बाहर किसी के तेज़ क़दमों की आवाज़ आई। श्रुति और स्नेहा ने एक-दूसरे की तरफ देखा।
"वो यहाँ है," श्रुति ने धीमे लेकिन डर भरी आवाज़ में कहा।
वरुण ने दरवाजे की तरफ देखा, और उसका दिल जोर से धड़कने लगा। एक परछाईं धीरे-धीरे उनकी तरफ बढ़ रही थी...
लाइब्रेरी में सस्पेंस
परछाई करीब आई और दरवाजा हल्के से खुला। वरुण ने अनजाने में अपनी साँसें रोक लीं।
"अरे! तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो?"
ये रोहित था!
वरुण ने राहत की साँस ली, लेकिन स्नेहा और श्रुति अब भी बेचैन दिख रही थीं।
"तू यहाँ क्या कर रहा है?" वरुण ने नॉर्मल होने की कोशिश
की।
"भाई, नोट्स लेने आया था। लेकिन तू यहाँ क्यों छुपा बैठा है?" रोहित ने हँसते हुए कहा।
वरुण ने स्नेहा की तरफ देखा। श्रुति का चेहरा अब भी गंभीर था।
"कोई नहीं, बस ऐसे ही," वरुण ने बात टाल दी।
रोहित चला गया, लेकिन उस परछाईं का रहस्य अब भी बना हुआ था।
श्रुति ने धीमे स्वर में कहा, "ये रोहित नहीं था। कोई और भी हमें देख रहा था।"
वरुण के मन में एक डरावना ख्याल आया- अगर रोहित अंदर था, तो वो परछाईं किसकी थी?
(जारी रहेगा...)
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