Andekha Jaal - 1 in Hindi Thriller by Deep books and stories PDF | अनदेखा जाल - भाग 1

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अनदेखा जाल - भाग 1

कॉलेज का माहौल हमेशा से ही चहल-पहल भरा रहता है। क्लासेस, ग्रुप डिस्कशन्स, कैन्टीन की मस्ती—हर दिन बस यूं ही कट जाता। वरुण के लिए भी कॉलेज एक रूटीन की तरह था। क्लास अटेंड करना, दोस्तों के साथ टाइम बिताना और लाइब्रेरी में कुछ समय निकालना—बस यही उसकी दिनचर्या थी। लेकिन उसे क्या पता था कि एक मामूली सा दिन उसकी पूरी जिंदगी बदलने वाला है।

"भाई, नोट्स दे न, अगले हफ्ते इंटरनल्स हैं!"

वरुण ने मुड़कर देखा—रोहित था, उसका सबसे करीबी दोस्त, जो हमेशा उसकी कॉपी मांगने के बहाने ढूंढता था।

"ले ले यार, वैसे भी तेरी लिपि देखकर टीचर को शक हो ही जाएगा।" वरुण ने हंसते हुए कहा।

रोहित ने कॉपी ली और बड़बड़ाने लगा, "तेरे बिना मेरा काम ही नहीं चलता।"

इसी बीच कॉलेज के गेट पर एक सफेद स्कूटी आकर रुकी। वरुण ने अनजाने में उधर देखा। स्कूटी से स्नेहा उतरी, और उसके साथ एक लड़की थी—शायद उसकी बहन। पहली नजर में कुछ खास नहीं लगा, लेकिन जैसे ही उसने हेलमेट उतारा, वक्त जैसे ठहर सा गया।

लंबे, खुले बाल, बड़ी-बड़ी आँखें, हल्की सी मुस्कान—कुछ तो था उसमें जो वरुण को खींच रहा था।

वरुण कुछ पलों के लिए उसे बस देखता ही रह गया। कभी-कभी, किसी अजनबी को देखकर ऐसा लगता है कि वो हमारी जिंदगी में कोई खास भूमिका निभाने वाला है। लेकिन वरुण को अंदाजा भी नहीं था कि ये मुलाकात उसके लिए एक नई मुसीबत बनने वाली थी।

"वरुण, मिलो मेरी बहन से, श्रुति।" स्नेहा ने casually कहा।

श्रुति ने हल्की मुस्कान दी, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब सी गहराई थी। मानो वो कुछ छुपा रही हो।

"हाय," वरुण ने बस इतना ही कहा।

उस एक पल में मानो कोई अदृश्य कनेक्शन बन गया। श्रुति भी थोड़ी देर के लिए उसे देखती रही, फिर स्नेहा के साथ अंदर चली गई। लेकिन जाते-जाते उसकी आँखों में एक हल्की सी चमक थी—जैसे उसने अपने शिकार को देख लिया हो।

कॉलेज का माहौल फिर से अपने पुराने रूटीन पर लौट आया। वरुण ने खुद को समझाया कि ये बस एक आम मुलाकात थी, लेकिन मन के किसी कोने में श्रुति की मुस्कान अटक गई थी।

रात का सन्नाटा और बेचैनी
उस रात वरुण सो नहीं पा रहा था। वो अनजाने में बार-बार उस मुलाकात के बारे में सोच रहा था। उसकी आँखों के सामने श्रुति का चेहरा घूम रहा था। वो सोचने लगा—क्या ये पहली नज़र का प्यार था? या फिर कुछ और?

रात के अंधेरे में हर चीज़ गहरी लगने लगती है, और शायद इसी वजह से वरुण को श्रुति की वो हल्की सी मुस्कान भी अब अजीब लगने लगी थी।

वो करवट बदलते हुए सोचने लगा, "मैं ऐसा क्यों महसूस कर रहा हूँ? मैंने उससे सिर्फ एक बार मुलाकात की है, फिर भी ऐसा क्यों लग रहा है कि वो लड़की कोई राज़ छुपा रही है?"

तभी अचानक उसके फोन की स्क्रीन चमकी। एक नया मैसेज आया था—"कल लाइब्रेरी में मिलना, तुम्हें कुछ बताना है। - स्नेहा"

ये मैसेज पढ़कर वरुण का दिमाग और उलझ गया। स्नेहा उससे क्या कहना चाहती थी? कहीं ये श्रुति से जुड़ा हुआ तो नहीं?

वो समझ नहीं पा रहा था कि ये सब सिर्फ एक इत्तेफाक था या फिर किसी बड़े खेल की शुरुआत।

उसे क्या पता था कि ये बेचैनी, ये अजीब सा एहसास—आने वाले खतरों की आहट थी।

(जारी रहेगा...)