Nafrat e Ishq - Part 21 in Hindi Love Stories by Umashankar Ji books and stories PDF | Nafrat e Ishq - Part 21

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Nafrat e Ishq - Part 21

सोनिया के जन्मदिन को हुए एक हफ्ता बीत चुका था। पार्टी की चमक-दमक और नाइट क्लब की घटनाएँ अब भी लोगों के ज़ेहन में ताज़ा थीं, लेकिन सहदेव के लिए ज़िंदगी फिर से अपनी सामान्य गति पकड़ चुकी थी। ऑफिस में सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन इस दौरान एक अनकही कहानी भी आकार ले रही थी—एक कहानी जो मोहब्बत, जलन और छिपे हुए जज़्बातों से भरी थी।

सोनाक्षी सिंह, जो सहदेव की ही डिपार्टमेंट में एक घोस्ट राइटर थी, पिछले कुछ दिनों में खुद को कुछ अलग ही महसूस कर रही थी। वह पहले भी सहदेव की इज़्ज़त करती थी, लेकिन सोनिया की बर्थडे पार्टी में जब उसने सहदेव को उन बदमाशों से अकेले भिड़ते और उन्हें सबक सिखाते देखा, तो उसके दिल में कुछ और ही महसूस हुआ।

वह पहली बार उसके आत्मविश्वास और निर्भीकता से इतनी प्रभावित हुई थी कि उसकी सोच का एक हिस्सा अब सहदेव की ओर खिंचने लगा था। उसकी आँखें अक्सर सहदेव को ढूँढतीं, और जब भी वह उसके आसपास होता, उसके होंठों पर अनजाने में एक मुस्कान आ जाती।



ऑफिस में सहदेव और सोनाक्षी के बीच पहले भी बातचीत होती थी, लेकिन अब सोनाक्षी उसे लेकर ज़्यादा सतर्क रहने लगी थी। वह उसके हर शब्द, हर हावभाव को नोटिस करती। जब भी वह उसकी टेबल के पास आता, उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो जातीं। कभी-कभी जब वे दोनों अकेले होते, तो सोनाक्षी कोशिश करती कि कुछ कहे, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पाती।

"सहदेव, तुमने कल की रिपोर्ट्स देखीं?" उसने एक दिन हिम्मत कर के पूछा।

"हाँ, बहुत बढ़िया काम किया है तुमने," सहदेव ने उसकी ओर देखकर कहा।

बस इतना सुनते ही सोनाक्षी का चेहरा हल्का गुलाबी हो गया। उसने नज़रे झुका लीं, लेकिन अंदर ही अंदर उसका मन खुशी से झूम रहा था।

दूसरी तरफ.

लेकिन हर कहानी में सिर्फ रोमांस नहीं होता, कभी-कभी जलन भी अपनी जगह बना लेती है।

मैनेजर मनीषा, जो हमेशा से सहदेव को पसंद करती थी, पिछले कुछ दिनों से बेचैन महसूस कर रही थी। जब भी वह सोनाक्षी और सहदेव को एक साथ देखती, तो उसके दिल में अजीब सी कसक उठती। उसे यह पसंद नहीं आ रहा था कि सोनाक्षी, जो अब तक बस एक घोस्ट राइटर थी, अब सहदेव के साथ इतनी घुल-मिल रही थी।

"तुम इन दिनों सहदेव के बहुत करीब दिख रही हो," एक दिन मनीषा ने हल्की मुस्कान के साथ लेकिन चुभते हुए अंदाज़ में कहा।

सोनाक्षी थोड़ी चौंक गई, लेकिन उसने अपनी भावनाएँ छुपाते हुए कहा, "ऐसी कोई बात नहीं, हम बस काम के सिलसिले में बात कर रहे थे।"

मनीषा ने हल्के से सिर हिलाया, लेकिन वह जानती थी कि कुछ तो था जो बदल चुका था। वह इसे नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती थी।



एक दिन लंच ब्रेक के दौरान, सहदेव कॉफी मशीन के पास खड़ा था। सोनाक्षी भी वहाँ आ गई, और जब उसकी नज़रें सहदेव से मिलीं, तो वह हल्की सी मुस्कान देने से खुद को रोक नहीं पाई।

"तुम आजकल बहुत खुश लग रही हो," सहदेव ने मुस्कुराते हुए कहा।

"शायद," सोनाक्षी ने शरारती अंदाज़ में कहा, "लेकिन कुछ लोग होते ही इतने कमाल के कि उनके आसपास रहकर मूड अच्छा हो जाता है।"

सहदेव ने उसकी बात को हल्के में लिया, लेकिन मनीषा, जो दूर से यह सब देख रही थी, अंदर ही अंदर और अधिक जलने लगी। उसने तय कर लिया कि वह इस बढ़ती नज़दीकी को रोकने के लिए कुछ करेगी।

क्या होगा आगे?

क्या मनीषा अपनी जलन को सहन कर पाएगी, या वह कोई ऐसा कदम उठाएगी जिससे सब कुछ बदल जाएगा? क्या सोनाक्षी अपनी भावनाओं को सहदेव के सामने ज़ाहिर कर पाएगी, या यह बस एक अनकहा क्रश बनकर रह जाएगा?

रहस्य, रोमांस और जलन की इस कहानी में आगे क्या होगा, यह जानने के लिए पढ़ते रहिए…