Nafrat e Ishq - Part 20 in Hindi Love Stories by Umashankar Ji books and stories PDF | Nafrat e Ishq - Part 20

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Nafrat e Ishq - Part 20



सहदेव ने एक नॉन-अल्कोहलिक मॉकटेल ऑर्डर किया, जबकि बाकी लोगों ने अपनी पसंद की ड्रिंक्स लीं। टेबल के चारों ओर बैठकर सभी ने गहरी बातचीत शुरू कर दी। 

"तो, सहदेव, तुम्हारी मीटिंग कैसी रही?" शालिनी ने अपनी ड्रिंक घुमाते हुए पूछा।

"काफी अच्छी रही! प्रोजेक्ट अच्छा चला, और टीम ने भी बेहतरीन काम किया।" सहदेव ने आत्मविश्वास से कहा। 

"वाओ! तो इसका मतलब डबल सेलिब्रेशन होना चाहिए," आदित्य ने हंसते हुए कहा। 

"अच्छा! वैसे भी नाइट क्लब सिर्फ़ ग़म भुलाने की जगह नहीं होती, खुशियां दोगुनी करने के लिए भी होती है," मनोज ने चुटकी ली।

"अरे वाह! तो चलो फिर जश्न को अगले लेवल पर ले चलते हैं!" सोनिया ने मुस्कुराते हुए कहा।

तभी डीजे ने अनाउंस किया, "अगला गाना बर्थडे गर्ल सोनिया के लिए!"

सोनिया ने एक्साइटमेंट से अपनी ड्रिंक रखी और कहा, "चलो, डांस फ्लोर पर चलते हैं!"  



सभी दोस्त हंसते हुए उठे और क्लब के चमचमाते डांस फ्लोर की ओर बढ़े। चारों तरफ़ नीली और बैंगनी लाइटें झिलमिला रही थीं, तेज़ म्यूजिक पूरे माहौल को जोशीला बना रहा था।  

डीजे ने माइक उठाते हुए कहा, "लेडीज़ एंड जेंटलमेन! यह है हमारी बर्थडे क्वीन सोनिया के लिए स्पेशल ट्रैक। तो उठो, झूमो और इस रात को यादगार बनाओ!"  

गाना शुरू होते ही सोनिया सबसे आगे पहुंच गई और उसने ज़ोरदार ठुमके लगाने शुरू कर दिए। उसके पीछे-पीछे बाकी दोस्त भी डांस फ्लोर पर उतर आए।  

"वाह! आज तो सोनिया मूड में है!" शालिनी ने तालियां बजाते हुए कहा।  

"अरे भई, बर्थडे गर्ल है, और फिर हमारा दोस्ताना भी कमाल का है!" आदित्य ने मज़ाकिया अंदाज में कहा और फिर एक जबरदस्त स्टेप मार दिया।  

मनोज ने सहदेव की ओर देखा, "क्या बात है भाई? आज बस दर्शक बने रहोगे या कुछ धमाका भी करोगे?"  

सहदेव ने हल्की मुस्कान के साथ अपनी जैकेट उतारी और म्यूजिक की बीट्स पर अपनी जगह संभाली। "अब तो कुछ स्पेशल करना पड़ेगा!"  

गाने की रिदम पर सहदेव ने भी शानदार मूव्स दिखाने शुरू कर दिए। सभी हैरान रह गए क्योंकि किसी को अंदाजा नहीं था कि वह इतना अच्छा डांस कर सकता है। 

"भाई, छुपे रुस्तम निकले!" आदित्य ने चुटकी ली।  

"सच में, लगता है कि ऑफिस में सीरियस रहने वाले सहदेव की एक और पर्सनालिटी भी है!" शालिनी ने हंसते हुए कहा।  

"तो फिर अगला चैलेंज?" सोनिया ने शरारती अंदाज में कहा।  

"चलो, बर्थडे डांस बैटल हो जाए!" आदित्य ने चिल्लाया।  

"वाह! आइडिया बढ़िया है!" सभी ने एक साथ कहा।  

इसके बाद, एक जबरदस्त डांस बैटल शुरू हुई। सोनिया और वंशिका एक टीम में थीं, जबकि आदित्य और मनोज दूसरी टीम में। डांस फ्लोर पर जैसे आग लग गई थी। 

शालिनी और सहदेव तालियां बजाकर चीयर कर रहे थे।  

"अरे भाई, इतना जोश तो किसी जंग में भी नहीं देखा!" सहदेव ने हंसते हुए कहा।  



कुछ देर बाद डीजे ने फिर माइक उठाया, "ठीक है दोस्तों, अब वक्त आ गया है हमारे बर्थडे गर्ल सोनिया के लिए एक स्पेशल मोमेंट का!"  

क्लब के वेटर एक बड़ा, शानदार चॉकलेट ट्रफल केक लेकर आए, जिस पर सोनिया का नाम चमक रहा था। मोमबत्तियां जल चुकी थीं, और चारों तरफ़ तालियां गूंजने लगीं।  

"हैप्पी बर्थडे टू यू..." सभी ने एक साथ गाना गाना शुरू किया।  

सोनिया ने खुश होकर मोमबत्तियां बुझाईं और केक काटा। सबसे पहला केक का टुकड़ा उसने शालिनी को खिलाया, फिर बाकी दोस्तों को।  

"अरे, हम तो गिफ्ट देना भूल ही गए!" आदित्य ने अपनी जेब से एक खूबसूरत बॉक्स निकालते हुए कहा।  

"ओह, यह क्या है?" सोनिया ने उत्सुकता से पूछा।  

"खोलकर देख लो!" मनोज ने मुस्कुराते हुए कहा।  

सोनिया ने धीरे-धीरे बॉक्स खोला, और अंदर एक खूबसूरत सिल्वर ब्रेसलेट था, जिस पर उसकी नाम की इनिशियल्स 'S' उकेरी हुई थी।  

"ओएमजी! यह तो कमाल का है! थैंक यू सो मच, गाइज!"  

"तुम्हारे लिए तो कुछ भी!" वंशिका ने मुस्कुराते हुए कहा।  

"अब जब गिफ्ट मिल गया, तो एक और सरप्राइज़ बाकी है!" शालिनी ने शरारती अंदाज में कहा।  

"अरे, और क्या?" सोनिया ने हैरानी से पूछा।  

"डीजे! सबसे धमाकेदार गाना बजाओ, और पार्टी का मजा डबल करो!" शालिनी ने ज़ोर से चिल्लाया।  







डीजे ने तुरंत एक हिट पार्टी ट्रैक प्ले कर दिया, और एक बार फिर पूरा क्लब झूम उठा। रोशनी के चमकते स्ट्रोब्स, बूमिंग म्यूजिक और मदहोश करती फिजा में हर कोई अपनी दुनिया में खोया था।

सहदेव ने अपनी ड्रिंक उठाई, हल्के से एक सिप लिया और सोचा—"यह रात वाकई यादगार होने वाली है!"

लेकिन किसे पता था कि यह रात यादगार नहीं, बल्कि कयामत जैसी साबित होने वाली थी।



तभी क्लब के गेट पर कुछ हलचल हुई। चार-पाँच लोग अंदर दाखिल हुए—कुछ लड़के, कुछ लड़कियां। उनकी चाल में अजीब-सा घमंड और आँखों में बेतुकी शरारत झलक रही थी। उनके कपड़े, उनकी बॉडी लैंग्वेज, उनके चेहरे पर बिखरी हुई बेतकल्लुफ़ी—सब कुछ चीख-चीख कर कह रहा था कि ये लोग यहाँ मस्ती के लिए नहीं, बल्कि कुछ गड़बड़ करने आए हैं।

क्लब का मैनेजर उन्हें देखकर तुरंत सतर्क हो गया। उसने अपने स्टाफ को हल्का सा इशारा किया।

"स्स्स्स... इन लोगों को अंदर क्यों आने दिया?" मैनेजर ने बारटेंडर से धीरे से पूछा।

"सर, इनके पास पैसा बहुत है... और आप जानते हैं, इनसे उलझना खतरनाक है।" बारटेंडर ने जवाब दिया।

बीस्ट ग्रुप—हाँ, यही नाम था इनका। यह लोग इतनी बुरी तरह कुख्यात थे कि पुलिस भी इनसे उलझने से बचती थी। उनके कुछ लोग जेल की हवा खा चुके थे, लेकिन कानून से ज्यादा उनके पास पैसे और रसूख थे, जिससे वे हर बार बच निकलते।

"चलो दोस्तों, आज इस क्लब का माहौल और गर्म करते हैं!" उनके लीडर, विक्रम, ने ठहाका लगाया।



बीस्ट ग्रुप ने अंदर आते ही अपनी बदमाशी शुरू कर दी। पहले तो उन्होंने डांस फ्लोर पर मौजूद कुछ लोगों को धक्का-मुक्की करनी शुरू की।

"अरे भाई, देख कर नाचो!" एक लड़की ने गुस्से में कहा।

"अरे... देखो तो सही! हमसे तो बड़ी अकड़ में बात कर रही है!" विक्रम ने उसकी कलाई कसकर पकड़ ली।

"छोड़ो मुझे!" लड़की ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन उसकी पकड़ मजबूत थी।

सहदेव, जो अब तक सब कुछ शांत भाव से देख रहा था, अब और नहीं सह सका। उसने आगे बढ़कर विक्रम की कलाई पकड़ ली।

"लड़की की मर्जी के बिना उसे छूना तुम्हारी हैसियत से बाहर है। छोड़ो उसे।"

विक्रम ने उसे घूरा। "ओहो! हीरो बनने की कोशिश मत कर, वरना तेरी हालत ऐसी होगी कि पहचान भी नहीं पाएगा खुद को।"

सहदेव ने उसकी पकड़ से लड़की को छुड़ाया और उसे उसके दोस्तों के पास भेज दिया।

"तुम जैसे लोग सिर्फ डराने की कोशिश करते हो, लेकिन असली ताकत दिल में होती है, गुंडागर्दी में नहीं।" सहदेव की आवाज ठहरी हुई थी, लेकिन उसमें गहरा आत्मविश्वास था।



इतना सुनना था कि विक्रम ने गुस्से में एक जोरदार घूंसा सहदेव के चेहरे पर जड़ दिया।

भीड़ में हलचल मच गई। कुछ लोग डरकर पीछे हट गए, कुछ ने अपने फोन निकालकर वीडियो बनाना शुरू कर दिया।

सहदेव लड़खड़ाया लेकिन उसने तुरंत खुद को संभाला। अगले ही पल, उसने विक्रम के पेट में एक तेज़ घूंसा मारा, जिससे वह दो कदम पीछे हट गया।

"अबे साले! बहुत तेज़ बनता है?" विक्रम के साथी भी उसके समर्थन में आ गए।

अब लड़ाई सिर्फ सहदेव और विक्रम तक सीमित नहीं थी। सहदेव के दोस्त आदित्य, मनोज और बाकी सभी भी उसकी मदद के लिए आगे आ गए।

माहौल पूरी तरह हिंसक हो गया। घूंसे, लातें, बोतलें—हर चीज़ हथियार बन चुकी थी।



बीस्ट ग्रुप का एक सदस्य बार काउंटर पर चढ़ गया और ऊपर से कूदते हुए एक टेबल को तोड़ दिया। एक दूसरा लड़का डीजे सेट के पास जाकर माइक पर चिल्लाने लगा, "आज क्लब में धमाका होगा, और इसका जिम्मेदार सिर्फ ये हीरो बनने वाले लड़के होंगे!"

डीजे ने डरकर म्यूजिक बंद कर दिया। लेकिन तभी, विक्रम ने अपने जैकेट से एक चाकू निकाल लिया।

"अब बताओ, कौन बचाएगा तुम्हें?" विक्रम ने चाकू को चमकाते हुए कहा।

सहदेव बिना डरे उसकी आँखों में देखता रहा।

"तू जब से आया है, सिर्फ धमकियाँ दे रहा है। लेकिन अब तुझे समझाऊँगा कि गलत इंसान से टकरा गया है।"

विक्रम ने चाकू से वार किया, लेकिन सहदेव झुक गया और उसके हाथ को पकड़कर उसे जमीन पर पटक दिया। विक्रम दर्द से कराह उठा।

तभी पुलिस सायरन की आवाज आई।



पुलिस ने क्लब में घुसते ही सबको अलग-अलग कर दिया। कुछ मिनटों में ही बीस्ट ग्रुप को हथकड़ियों में जकड़ लिया गया।

"इस बार तुम लोग नहीं बच पाओगे," इंस्पेक्टर राजवीर ने विक्रम से कहा।

"देख लेंगे," विक्रम ने थूकते हुए कहा।

सहदेव ने राहत की सांस ली।

"थैंक यू, सहदेव! अगर तुम नहीं होते, तो पता नहीं क्या होता!" लड़की, जिसे विक्रम ने परेशान किया था, ने आकर कहा।

"कोई भी होता, यही करता," सहदेव ने मुस्कुराकर जवाब दिया।



पुलिस के जाने के बाद, क्लब का माहौल थोड़ा शांत हुआ, लेकिन अभी भी उस तनाव की गूंज हवा में थी।

डीजे ने माइक उठाया और कहा, "आज क्लब में जो भी हुआ, वह गलत था, लेकिन हमने देखा कि अच्छाई हमेशा जीतती है! तो अब, क्यों न इस डर को भुलाकर, इस रात को फिर से शानदार बनाया जाए?"

सभी ने तालियाँ बजाईं।

डीजे ने फिर से म्यूजिक ऑन किया।

और इस तरह, एक भयानक रात जो हिंसा में बदल सकती थी, फिर से खुशी और जीत के रंग में रंग गई।

सहदेव ने एक सिप लिया और सोचा, "यह रात वाकई यादगार रही—लेकिन जिस तरह मैंने सोचा था, उस तरह नहीं।"