"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -५१) अंतिम पार्ट
डॉक्टर शुभम और रूपा की कार का अकस्मात हो जाता है।
दोनों अस्पताल में दाखिल है।
शुभम के पास प्रांजल और दिव्या है साथ में ज्योति जी और लड़का हर्षल भी है।
अब आगे....
इतने में डॉक्टर और नर्स कमरे में दाखिल हुए।
डॉक्टर बोले:-' कैसे हो डॉक्टर शुभम? अब ठीक महसूस कर रहे हो?'
पीछे प्रांजल और ज्योति के साथ-साथ हर्षल भी था।
हर्षल, ज्योति जी का बेटा
डॉक्टर शुभम कुछ बोले नहीं
तो फिर से डाक्टर बोले
डॉक्टर:-'हैलो डॉक्टर शुभम, तुम्हें होश आ गया है ।अब कैसा लग रहा है?'
डॉक्टर शुभम:-' अभी तो ठीक लगता है लेकिन डॉक्टर मेरे पैर नहीं हिल रहे हैं। रूपा कहाँ है? मुझे उसे देखना है। वो कैसी है?'
डॉक्टर:- 'डॉक्टर शुभम, जब आपको अस्पताल में भर्ती कराये गये थे तब आपकी हालत गंभीर थी। आपके दोनों पैरों को बहुत नुक्सान हो चुका था।हम आपके पैरों को नहीं बचा पाए। हमने बहुत कोशिश की थी कि एक पैर बचाएं लेकिन आप की हालत गंभीर थी। कुदरत ने आपको जीवनदान दिया है। वैसे ऐसे गंभीर अकस्मात में बचने की संभावना नहीं है।आप एक डॉक्टर हैं..आप समझ सकते हैं कि ऐसी स्थिति में क्या होता है..लेकिन अब ठीक है। चिंता मत करो।'
उस वक्त ज्योति ने कहा- 'डॉक्टर शुभम, आप तो बच गए लेकिन बहुत भयानक कार एक्सीडेंट हो गया। रूपा की कार चिपक गई थी। जो उसमें बैठा होगा उसके बचने की संभावना नहीं थी एक भले आदमी ने तुरंत एम्बुलेंस और पुलिस को बुलाया, इसलिए आप बच गय गए। आपकी बेटी प्रांजल ने मुझे बताया, इसलिए हम तीनों दो दिन से अस्पताल में हैं ताकि आपको तुरंत अच्छा इलाज मिल सके। मेरा बेटा हर्षल प्रांजल का दोस्त है। वह भी हमारे साथ है।'
यह सुनकर डॉक्टर शुभम रो पड़े।
वहीं प्रांजल और दिव्या भी रोने लगीं।
ज्योति:- 'डॉक्टर शुभम, तुमने पूरी जिंदगी हिम्मत से जी ली है, बुरा वक्त भी गुजर जाएगा।'
डॉक्टर शुभम:-' दिव्या बेटी, तुम्हारी मम्मी कहां है? यह लोग मुझे बता नहीं रहे। इसी अस्पताल में है या दूसरे अस्पताल में? तुम लोग मेरे पास ही क्यूं हो, रूपा के साथ कोई नहीं है?'
दिव्या कुछ बोल नहीं पा रही थी।
तभी ज्योति ने बाजी संभाल ली।
ज्योति बोली:-'मेरा हर्षल भी आपकी बेटी का दोस्त है मुझे सब पता है। हर्षल ने मुझे बताया था कि दिव्या और प्रांजल उसकी दोस्त हैं।तुम चिंता मत करो, हम सदैव आपके साथ हैं। अपना दिमाग मजबूत रखो और तुम साहसी भी हो। आज तक तुमने बहुत सी तकलीफें झेलीं है,उस वक्त तुम अकेले थे, लेकिन अब इस वक्त तुम्हारे साथ तुम्हारी दोनों बेटीयां और मैं भी हूं। हम तुम्हारा ख्याल अच्छी तरहसे करेंगे।'
फिर भी डॉक्टर शुभम को यह सुनकर संतोष नहीं हुआ।
बोलें:-' पहले मुझे यह बतायें कि रूपा कहां है? उसे कुछ हुआ तो नहीं? मेरी रुपा... मैं रूपा से बहुत प्यार करता हूं। मैं उसके बिना जी नहीं सकूंगा। मुझे कुछ तो बताओ।'
तुरंत प्रांजल और दिव्या डॉक्टर शुभम के पास आईं और उनका हाथ पकड़कर भावुक हो गईं।
दोनों एक साथ बोले- 'पापा, हम आपका ख्याल रखेंगे, आप चिंता न करें, आप ठीक हो जाएंगे।हमलोग आपके साथ हैं।'
डॉक्टर शुभम:-' वो तो है लेकिन रूपा के साथ कौन है? मुझे रूपा की चिंता हो रही है।'
दिव्या रो रही थी।
दिव्या ने बताया कि मम्मी ठीक है। बच गई है। मम्मी के साथ मेरी मम्मी और पापा है। अकस्मात की बातें मैंने मम्मी पापा को बताई थी। वो तुरंत आ गये थे। रूपा मम्मी के साथ ही है।आप चिंता मत करो। अपनी सेहत का ख्याल रखो। हम आपके और मम्मी के साथ हैं।'
डॉक्टर शुभम:-' तुम सच कह रही हो या मेरा मन रखने के लिए कह रही हो? रूपा को कोई हानि तो नहीं हुई है?'
प्रांजल भी बोल नहीं सकती थी। उसकी आंखों में से आंसु निकलने लगे।
ज्योति जी यह देखकर भावुक हो गई।
बोली:-' मुझे रूपा और तुम्हारे बारे में सब पता चल गया था। तुम रूपा बहुत प्यार करते हो। इसी प्यार की वजह से रूपा बच गई है। मैं जान गई थी कि दिव्या भी तुम्हारी बेटी है। रुपा के साथ के प्यार की निशानी। तुम्हारी दोनों बेटीयां है और भावुक है। ऐसा प्यार मैंने जिंदगी में नहीं देखा। तुम नसीब दार हो। रुपा का दूसरा आपरेशन चल रहा है। कार के टकराने से पहले कार का दरवाजा खुल गया था और रूपा कार से बाहर दूर तक उछल पड़ी थी। दोनों आंखों से देख नहीं पा रही थी। रूपा की दोनों आंखों की रोशनी चली गई है।'
यह सुनकर शुभम रोने लगा।
प्रांजल:-' पापा,मत रोना। हम सब तूट जायेंगे। आप हमारे आदर्श है। आपने सारी जिंदगी हिम्मत रख कर मुझे और परितोष को बड़ा किया है,यह याद कर हमारी हिम्मत बढ़ गई है। आप निराश हो जायेंगे तो हमारा क्या होगा? दो दिन बाद भाई परितोष इन्डिया आ रहा है भाभी के साथ। उन्हें भी मैंने अकस्मात की बातें बता दी थी। वो भी चिंतित हैं और अपनी करनी पर शर्मिन्दा हैं। आप हिम्मत रखो।'
तभी ज्योति जी बोली:-' प्रांजल बिटिया ठीक कह रही है। आपकी हिम्मत की सराहना करते हुए मैं कहती हूं कि यह तकलीफें भी धीरे धीरे कम हो जायेगी। हम सब आपके साथ है। हम दोनों दोस्त की तरह ही रहेंगे। रूपा जब ठीक हो जायेगी तब हम सब आप दोनों की शादी करवायेंगे। डॉक्टर का कहना है कि छोटा सा ओप्रेशन है। रूपा को ठीक होते होते दो महीने लग जायेंगे।'
डॉक्टर शुभम कुछ नहीं बोल सका।
फिर बोला कि ज्योति जी मैं आपका शुक्रगुजार हूं। आपने मेरी बहुत मदद की है।
थोड़ी देर में रूपा का भाई आया और बोला कि ओप्रेशन सफ़ल हुआ है। रूपा का एक हाथ आधा काटना पड़ा है। बाकी पांव ठीक ठाक है। तीन महीने तक आराम करना पड़ेगा।
शुभम:-' लेकिन रूपा और मैं अकेले कैसे जीयेंगे? दिव्या और प्रांजल छुट्टी के बाद अपनी कालेज की पढ़ाई के लिए चली जायेगी।'
प्रांजल बोली:-' पापा,आप चिंता मत करो। हमने सारे प्रबंध कर दिये है। और ज्योति आंटी ने हमें मदद की है।'
शुभम:-' लेकिन कैसा प्रबंध किया है? तुम दोनों चलीं जाओगी और मैं ज्योति जी के घर रहने के लिए जाने वाला नहीं हूं।'
ज्योति जी:-' मुझे मालूम है कि तुम ऐसा ही कहोगे। इसलिए मैंने सारा इंतजाम किया है। अपनी NGO के सहारे दूसरे NGO से मदद ली है। आपको अस्पताल से इस्तीफा देना चाहिए। ऐसी हालत में आप जोब नहीं कर पाओगे। और दिव्या का कहना है कि आप और रूपा दोनों रूपा के घर रहो ऐसा चाहती है। और उसके साथ सहमत हूं। मेरा सहयोग आपके साथ हमेशा रहेगा। कैसा इंतजाम किया है वह प्रांजल और दिव्या को बता दिया है और दोनों सहमत है। आपको मैं बाद में बताउंगी। एक साल बाद आपकी दोनों बिटिया आप के साथ ही रहने आने वाली है। तब तक मैं सब कुछ संभाल लूंगी।'
'शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल 'यह धारावाहिक यहां खत्म होती है।
मेरी धारावाहिक कहानी पढ़ने के लिए आप सबका धन्यवाद।
- कौशिक दवे