Life Sukta in Hindi Moral Stories by Anand Tripathi books and stories PDF | जीवन सूक्त

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जीवन सूक्त

मूर्ख भी कई प्रकार के होते हैं। पढ़े-लिखे लोग भी मूर्ख होते हैं। यदि आप मूर्ख नहीं हैं तो आप मूर्खों से दूर रहेंगे तो लाभ में रहेंगे अन्यथा आपकी गिनती भी मूर्खों में होगी। मूर्ख व्यक्ति को आप अपना दोस्त समझकर उसे कोई रहस्य बताएंगे, तो वह कभी भी राज नहीं रहेगा।मूर्खों की कोई निश्चित विचारधारा नहीं होती।
यह भी कहा जाता है कि मूर्ख व्यक्ति से ज्ञान की बातें नहीं करना चाहिए। वह कुछ का कुछ समझ लेगा। मूर्ख व्यक्ति का आप कितना ही भला करें, वह कभी भी पलट जाएगा। मूर्ख व्यक्ति के साथ सोच-समझकर ही व्यवहार करना चाहिए। हो सके तो उससे बचकर निकल जाएं तो ही अच्छा है। यदि आप उसका विरोध करेंगे तो खुद भी मूर्ख साबित हो जाएंगे।
-लिखे मूर्खों से समाज और राष्ट्र का ज्यादा नुकसान होता है।
बहुत से लोग ऐसे होते हैं कि उनके समक्ष कुछ भी कहो, वे तर्क-वितर्क करके उसमें नकारात्मकता ही खोज लेंगे। ऐसे लोगों में संशय, संदेह, दुविधा, छल और डर रहता है। उनके मुंह से हमेशा नकारात्मक बातें ही निकलती रहती हैं।
नकारात्मक लोगों की जुबान पर हमेशा 'नहीं' शब्द विराजमान रहता। ये काम तो हो नहीं सकता, वहां जाकर क्या करेंगे, ऐसा करने से कुछ हासिल नहीं होगा, इस कार्य में कभी सफलता नहीं मिलेगी, यदि तुमने ये किया तो तुम बर्बाद हो जाओगे... ऐसे हजारों वाक्य हैं, जो नकारात्मक व्यक्ति की जुबान पर होते हैं।
 
नकारात्मक लोगों के साथ रहने से आपके भीतर निराशा, उदासी और तनाव का विकास होगा और आप भी खुद को जिंदगी में हारे हुए व्यक्ति समझेंगे। नकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोग ब्लैक होल जैसे होते हैं, जो अचानक आकर हमारी पूरी ऊर्जा खींच लेते हैं। हम सकारात्मक बने रहने की कोशिश करते हैं, पर उनकी नकारात्मकता हावी हो जाती है। हम तनाव में हो जाते हैं, असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। 
ऐसे कई व्यक्ति हैं, जो कुछ नहीं होते फिर भी घमंड पाले रहते हैं और लोगों पर जबरन ही रौब झाड़ा करते हैं। ऐसे भी कुछ लोग हैं, जो बहुत-कुछ होते हैं। उनके पास धन, पद और सम्मान सब कुछ होते हैं और इसी से वे घमंड करते हैं। दोनों ही तरह के लोगों से बचकर रहेंगे तो फायदे में रहेंगे अन्यथा ये लोग आपको हीनता का बोध कराते रहेंगे और आपको हरदम नीचा दिखाते रहेंगे।

यह बात सही है कि हर व्‍यक्ति में थोड़ा-बहुत घमंड तो होता ही है, लेकिन कुछ ज्यादा ही घमंड है तो फिर वह आपका मित्र तो कतई नहीं बन सकता। अगर आपका कोई दोस्‍त आपसे पहले अपनी बात कहना चाहता है तथा वह आपकी बात सिर्फ इसलिए काट देता है, क्‍योंकि उसकी राय इससे जुदा है तो सही मायनों में आप अहंकारी व्‍यक्‍त‍ि से बात कर हैं।
ऐसे लोग अपने अहं के लिए घंटों लड़ सकते हैं। उन्‍हें इस बात से कोई सरोकार नहीं होता कि आप क्‍या कह रहे हैं। उनकी नजर में सिर्फ वे ही सही होते हैं। वे किसी भी सूरत में अपनी गलती मानने को तैयार नहीं होते। ऐसे लोगों से व्‍यवहार रखने का एक ही तरीका होता है कि आप उनकी हां में हां मिलाते जाएं।
आपने देखे होंगे इस तरह के लोग, जो अक्सर आसपास मिल जाएंगे। जो आपसे ईर्ष्या रखते हैं, तो उनकी ईर्ष्या कभी भी दुश्मनी में बदल सकती है। वे हर वक्त आपके बारे में बुरा ही सोचेंगे। आपसे प्रतिद्वंद्विता की भावना रखने वाले भी अक्सर ईर्ष्यालु हो जाते हैं। ऐसे लोगों से बचकर दूर ही रहें अन्यथा आप भी उनके जैसे होकर अपने लक्ष्य से तो भटकेंगे ही, साथ ही समय और ऊर्जा भी नष्ट कर लेंगे।
झगड़ा करना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन किसी की आदत ही हो जाती है हर मुद्दे पर झगड़ते रहना। ऐसे लोगों को कब और कौन-सी बात चुभ जाए, कहा नहीं जा सकता। ऐसे लोग आपके जीवन को नर्क बना सकते हैं। बात-बात पर झगड़ते रहना या कुछ न कुछ चुभने वाली बातें बोलते रहने वाले से आप दूर रहेंगे तो ही शांतिपूर्वक प्रगति कर पाएंगे

बहुत से लोग हैं, जो बिना बात के ही दुखी रहते हैं। ऐसे लोगों से हमेशा दूर रहें। चाणक्य का कहना था कि कुछ लोग भगवान द्वारा बहुत कुछ दिए जाने के बाद भी हमेशा विलाप करते रहते हैं तथा अपना दुख प्रकट करते रहते हैं तो ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए। क्यों?
दुखी लोगों के साथ रहकर अच्‍छे-भले सुखी लोग भी दुखी हो जाते हैं। बार-बार दुख पर चर्चा करना और दुख के बारे में ही सोचते रहने से एक दिन आपके जीवन में भी दुख प्रवेश कर जाएगा और आप भी दुखी ही रहेंगे। हंसना, रोना, सुखी रहना और दुखी रहना यह संक्रमण रोग की तरह होता है।