The Author Anand Tripathi Follow Current Read आधुनिक युग By Anand Tripathi Hindi Classic Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books ભાગવત રહસ્ય - 118 ભાગવત રહસ્ય-૧૧૮ શિવજી સમાધિમાંથી જાગ્યા-પૂછે છે-દેવી,આજે બ... ગામડા નો શિયાળો કેમ છો મિત્રો મજા માં ને , હું લય ને આવી છું નવી વાર્તા કે ગ... પ્રેમતૃષ્ણા - ભાગ 9 અહી અરવિંદ ભાઈ અને પ્રિન્સિપાલ સર પોતાની વાતો કરી રહ્યા .અવન... શંકા ના વમળો ની વચ્ચે - 6 ઉત્તરાયણ પતાવીને પાછી પોતાના ઘરે આવેલી સોનાલી હળવી ફ... નિતુ - પ્રકરણ 52 નિતુ : ૫૨ (ધ ગેમ ઇજ ઓન)નિતુ અને કરુણા બંને મળેલા છે કે નહિ એ... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Share आधुनिक युग (1) 1.9k 8.3k कैसा जमाना आ गया है। है रि इसको देखो ये क्या से क्या हो गया। इनका देखो फैशन के नाम पर तन पर कपड़े ही कम है। और तो और पैंट भी नही है बेचारे के पास कैसी परिस्थिति है। ओ हो,ये देखो कितनी महंगी गाड़ी है न बंगला देखो उनके बेटे को बुलेट मिली है। वह ऑनलाइन क्लास लैप टॉप पर बैठ कर बातें करना, शूज अच्छा है। मेट्रो ,हेलीकॉप्टर,बड़े बड़े शहरों में मॉल आह क्या बात है क्या आधुनिक जमाना आ गया है। भैया जरा ये खत लगा देना तो अरे काका वहा क्या जाएगा खत यही से लगा लो व्हाट्सएप है न फेसबुक ट्विटर पर खबर पढ़ो अखबार क्या छोड़ो वो जमाने गए। एक चाय हो जाती और कुछ खाना कहा से लाऊं। ऑनलाइन मंगावली जीए। वाह क्या बात है सब कुछ ऑनलाइन। अरे वाह भाई जी। ये तो भाई जी की बात लेकिन सच है दोस्तो की जमाने ने करवट बदली और सब कुछ भुला दिए। क्या खत चिट्ठी,यह तक पूरी जिंदगी बदल दी। आधुनिक काल समय वक्त नजर आ रहा है न। क्या है सब बहुत बदल गया है। पहले जैसा कुछ भी नही रहा। खेत नल,चुरुआ वाला जल,इंजन की आवाज,बगिया की सरसराहट,बैलों की घंटी,द्वारे खड़ी बैलगाड़ी,अम्मा बैठी पहने साड़ी। दादा भी धोती के शौकीन,दर्पण भी टूटा हुआ था और मिट्टी की दीवारों पर आधा ही लटका होता था। आंगन में तुलसी और मन भी तुलसी के राम। कहा गए ये दिन। जिनकी अब हम और आप तलाश कर रहे है। जब केमिकल नही थी। तब भी जिंदगी। थी। और अब केमिकल आया है अब भी जिन्दगी है लेकिन उसके बावजूद उस जिंदगी में एक अंतर है। वह अंतर हमारे अंतर मन में है। जिसका बखान मैं नही कर सकता हूं। और भी बहुत कुछ है इस जीवंत प्रमाण में। जिसकी कल्पना करना या उस बीते वर्षों को लाना एक बड़ा संघर्ष है। और धरती को माया का द्वार कहा जाता है। लेकिन मेरा मनन करना है। की उस दौरान भी कभी माया रही होगी क्या। हालांकि आज का युग सत्यता माया पर आधारित है। और मजे की बात यह है। की सब कुछ बिक रहा है। लेकिन को बेचता है उस पर इसका कोई प्रभाव नहीं है। पहले आदर था अब आदर भी नही है। पहले भले ही चीनी और पानी का ही स्वाद मिलता था। लेकिन उनमें एक अपनी अलग अनुभूति थी आदर था सत्कार था। तिरिस्कार नही था। आज का युग त्रिस्कृत युग है। जिस कारण से ही यह युग कलयुग कहा जाता है। पते की बात है। की ओय इधर आ करके बुलाया भी जाता है। आधुनिक समय ने व्यक्ति के मन क्रम और वचनों को निराधार साबित करने में कोई कसर नही छोड़ी है। आज युग के अंधकार में बिना अंधे हुए ही अंधे होना पड़ रहा है। लेकिन इसमें मानव का ही दोष है। इसलिए यह क्रम अब और भी प्रभावी होता जा रहा है। चूंकि हिंदू मान्यता में थोड़ा संस्कार अभी भी बाकी है। जिस कारण से ही यह युग बचा है। इसलिए ही इसमें माया का अच्छा खासा प्रभाव रहा है। आधुनिक युग आते आते ही सब कुछ बदला जीवन पर एक बड़ा असर भी हुआ। जिस कारण ही प्रदूषण की मात्रा में काफी इजाफा हुआ और लोग भी इस की तरफ इतना आकर्षित हुए की अपनी मौत को दावत दे दिया। जीवन पर इस आधुनिक युग का एक बुरा असर हुआ। जो की बहुत गलत हुआ। और इन दिनों में नारियल खाना और नारियल का तेल लगाना सिर में बहुत ही बड़े अंतर की बात है। आप और हम जहा भी है। वहा से वापस तो नही जा सकते है। लेकिन वहा से हम अपने लिए फिर से एक नई जिंदगी जीने की कला का निर्माण कर सकते है। इसलिए हमेशा इस आधुनिक युग की दुहाई न दे क्योंकि यह आपको दुख दरिद्र और लालची ही बनाएगा लेकिन आपको स्वस्थ और समृद्धि देने वाला जीवन आपके उन दिनों में था। जिसके लिए हम ओर हमारे पूर्वज ने बहुत कुछ दिया है। जिस तरह से हम इन्हें लूटा रहे है ऐसे में तो सब चला जायेगा। केवल पैसा ही रह जायेगा। जिंदगी छोटी सी है। और उससे भी छोटा है ई गोला जिस पर हम और आप लड़े हुए है। बस इसको संभालना है। अभी हमने जीतना पाया है उतना और पाना है। लेकिन जब आधुनिक युग ईट बढ़ जायेगा तब यह संभव नहीं है। इसीलिए तो आप को मजबूत बनाने वाले पेड़ पौधे और प्रकृति का सहारा जरूरी है। जीवन जीने के लिए यह परिश्रम बहुत जरूरी है। ताकि आपका शहर आपका स्वागत प्रकृति से करे न की कूड़े से। सबसे कठिन वक्त को आसान बनाना है तो आप खुद को। सहज कीजिए। और इतना भी न हो तो मैं रहिए सदा। आधुनिक होना मतलब अपनी संस्कृति और परंपरा में बदलाव लाना नही है। आधुनिक का मतलब है अपनी संस्कृति में रहते हुए अपने में बदलाव लाना है। ऐसा होता है आधुनिक जीवन जीने का मूल्य क्या है। ऐसे पता चलेगा। आधुनिक के छक्के तो तब छूटेंगे जब लोग वापस अपने जीवन को जीना शुरू करने लगेंगे। इसलिए अभी तो बहुत समय है। अभी जो बने वो बनाए और पुरानी वस्तु को रहने दे और असीम कुछ परिवर्तन ही लाए अन्यथा ज्यादा परिवर्तन भी जीवन की दशा बिगड़ देगा। तो कल्याण कारी परिवर्तन की बात करे। जमाने में रहकर भी उनसे अलग बन जाए तो यह आधुनिक बदलाव होगा। और शब्द को नापतोल कर ही बोले तो भी बदलाव दिखेगा। अन्यथा फिर बदलाव की कामना छोड़ दीजिए। आप और हम एक अलग व्यवस्था में जी रहे है। इसलिए वहा से निकले और एक अनोखा रास्ता ढूंढे जिसपर विचार और समाधान दो का संयोग हो। वियोग में रहकर आधुनिक नही बना जा सकता है बल्कि निकलो और योग में आकार लो और फिर एक दिन मैं और हम खत्म होगा और हम आधुनिक बनेगे। यही कटु सत्य है। करेला लेकिन आदत डालनी होगी। जिंदगी बेदाग है उन पर दाग नहीं होता किंतु हम लगाते है। इसको छोड़ो नही तो लाइफ आपको सताना शुरू करेगी और आप भगवान को कोशेंगे। और उससे गलत कुछ भी नही है। लेकिन इतनी गलती न हो इसलिए आधुनिक बनिए। Download Our App