The Author Anand Tripathi Follow Current Read लंका की राजनीति By Anand Tripathi Hindi Spiritual Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books શ્રીમદ્ ભગવદ્ ગીતા - સંપૂર્ણ ૐ ઊંધ્ટ્ટ થ્ૠધ્ધ્અૠધ્ઌશ્વ ઌૠધ્ઃ ગરુડ પુરાણ અનુક્રમણિકા ૧. પ્રથમ અધ્યાય निलावंती ग्रंथ - एक श्रापित ग्रंथ... - 1 निलावंती एक श्रापित ग्रंथ की पूरी कहानी।निलावंती ग्रंथ Love at First Slight - 31 Rahul Khanna’s Day in Singapore as CEORahul Khanna, the CEO... Trembling Shadows - 8 Trembling Shadows A romantic, psychological thriller Kotra S... Secret Affair - 18 Inayat felt a rush of warmth as she embraced Maya, kneeling... My Grandfather My Grandfather Grandpa was very generous and kind-hearted.... Festivals Of Gujarat Traditions of Gujarati FestivalsGujarat, known for its rich... 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तो लंका में परिस्थिति मनस्थिति के अनुसार चलती थी। जिस कारण लंका निवासी भय भीत नही होते है। एक और अगर कोई मांस खाता है। तो दूसरी ओर विभीषण और त्रिजटा भी है जो नित्य रामगुण गाती है। सब। कुछ है लंका की राजनीति में लेकिन इतनी मुस्तैद सरकार होने के बाद भी सुख नही है। इसलिए ही बस लंका कही रुकी हुई है। और एक चीज और है। की राम के लंका जाने के बाद उस लंका की इज्जत बढ़ी। जिसको लंका कहते थे। उसे श्री लंका कहा जाने लगा। राम ने लंका के लोकतंत्र पर एक अमित छाप छोड़ी है। जिसका वर्णन स्वयं संभू भी करते है। रावण के दो पुत्र थे और उनके नाम थे अक्षय कुमार,इंद्रजीत जो मंदोदरी से हुए थे। लेकिन प्रश्न यह उठता है। की लोग ऐसा क्यों करते है की रावण को गलत साबित करते है। जलते है। उसके चरित्र को समझने का प्रयत्न क्यों नही करते है। रावण ने अगर कोई एक पाप किया हो तो बताओ। रावण ने सीता का हरण किया वो भी सत्य स्वरूप का नही केवल छाया का। और कैसा आरोप की रावण ने सीता जिसको कोई भी जगत का व्यक्ति हाथ नही लगा सकता है तो आप क्या है खैर लेकिन रावण कोई साधारण व्यक्ति नही था। वह भी। रावण को यह पता था कि वह परमेश्वर। से बैर ले रहा है। और रावण यह सब भली भाटी जनता है की समय के साथ उसका क्या हाल होगा इसलिए ही वह अपने आपको बड़ा सहज महसूस करता था क्योंकि वह यह बात जनता था की अब वह अकेला नहीं उसका संपूर्ण परिवार तर जाएगा। अयोध्या से रावण का कोई बैर नहीं था था रावण तो एक अच्छा मित्र था श्री दशरथ का लेकिन उसकी जानकारी के बाद की राम उनके घर जन्म लिए है यह सुनकर। वो बहुत प्रसन्न होता है। क्योंकि शिव से ही वह कहता है की प्रभु अब कष्ट को निवारो। अब मुझे बर्दाश्त नहीं है। रावण बहुत ज्ञानी था। स्वयं श्री हरि जिस ज्ञान ले उसको कितना ज्ञान है यह बात आप और हमसे परे है। सदा के लिए जन्म सफल हो गया रावण का देवी को स्वर्ग से ही प्रणाम करता है। और प्रभु लक्ष्मण को भेजते है। और इनसे ही अपनी बात कहलवाते है। प्रभु की दिव्यता है की वो रावण का वध करने के बाद भी उनसे मिलते हैं। और रावण उन्हें कई ज्ञान की बाते बताता है। जिसकी रोधी क्या है। सिद्धि क्या है। कैसे प्राप्त करें। और दशरथ को मिलने के बाद रावण भी रोया होगा। की प्रभु के प्रेम का अमृत मुझे भी मिला। जय और विजय ही तो रावण है। या कोई और है। सनाकादी ऋषि ने श्राप वश इन्हे रक्षध वध में शामिल होना पड़ा। और रावण को प्रकांड माना जाता है। और रहेगा। भी। कैसी भी परिस्थिति हो रावण हमेशा जनता था। को नरम पड़ा तो प्रभु छोड़ेंगे और गर्म हुआ और दुष्टता की तो परिवार सहित मैं तर जाऊंगा। और उससे अच्छा तो कुछ नही हो सकता है। जन्म से बिखरा मन और कलुषित हृदय दोनो को मुक्ति मिलेगी यह आस लेकर हीरावन लड़ा था और अंततः वह अपने सभी परिवार को मुक्ति दिलवाता है। यह तक की कुंभकरण को भी। जबकि कुंभकरण को विधिवत पता था। की जगदंबा और हरी से बैर लेना ठीक नहीं होगा। Download Our App