Chudel se Pyaar - 6 - Last Part in Hindi Horror Stories by Rakesh books and stories PDF | चुडैल से प्यार - 6 (अंतिम भाग)

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चुडैल से प्यार - 6 (अंतिम भाग)

आरव और ज़ोया एक-दूसरे का हाथ थामे सुरंग के अंदर बढ़े। जैसे-जैसे वे आगे बढ़ रहे थे, दीवारों पर अजीब-सी आकृतियाँ उभरने लगीं। ये आकृतियाँ इंसानों जैसी लग रही थीं, लेकिन उनके चेहरे धुंधले और डरावने थे। हवा में हल्की-सी बड़बड़ाहट गूंज रही थी, जैसे कई लोग एक साथ फुसफुसा रहे हों।  

सुरंग के अंत में, जहाँ दो जलती हुई आँखें दिख रही थीं, वहाँ अब धीरे-धीरे एक आकृति उभरने लगी। यह कोई आम जिन्न नहीं था—यह किसी पुराने राजा की आत्मा जैसी दिख रही थी। लंबा शरीर, काले कपड़े, सिर पर टूटा हुआ मुकुट और उसकी लाल आँखों में जलती हुई नफरत।  

"ज़ोया..." वह भारी आवाज़ में बोला। "तुम वापस आ गई?"  

ज़ोया के चेहरे पर डर उभर आया। "मैं तुम्हें पहचानती हूँ..."  

"तुम्हें पहचानना ही पड़ेगा। तुम मेरी हो, हमेशा से मेरी ही रहोगी!"  

आरव ने ज़ोया को अपने पीछे कर लिया। "यह कौन है?"  

ज़ोया ने कांपते हुए कहा, "यह वही राजा है जिसने मुझ पर प्रेम का श्राप डाला था। अगर मैं किसी और से प्रेम करूंगी, तो या तो वो मरेगा, या मैं हमेशा के लिए इस हवेली की क़ैदी बन जाऊँगी।"  

राजा ठहाका मारकर हँस पड़ा। "और अब, तुम्हारे इस प्रेमी का समय पूरा हो चुका है!"  

अचानक हवेली की दीवारें हिलने लगीं। तेज़ आंधी उठी और आरव हवा में उछलकर दूर जा गिरा। ज़ोया चीख पड़ी।  

"नहीं! उसे कुछ मत करना!"  

राजा आगे बढ़ा और ज़ोया का हाथ पकड़ लिया। "अगर तुम चाहती हो कि यह ज़िंदा रहे, तो मेरे पास लौट आओ!"  

ज़ोया की आँखों से आँसू बहने लगे। वह जानती थी कि यह श्राप सच्चा था। अगर वह आरव से दूर नहीं गई, तो उसे खो देगी। लेकिन अगर वह राजा के साथ गई, तो वह हमेशा के लिए एक क़ैदी बन जाएगी।  

आरव ने दर्द से उठते हुए ज़ोया की ओर देखा। "ज़ोया, मैं तुम्हें खोने नहीं दूँगा!"  

राजा ज़ोर से गरजा और उसने हवा में एक तलवार बना ली। "तो आओ, इंसान! देखता हूँ तुम अपने प्यार को कैसे बचाते हो!"  

आरव ने कोई हथियार नहीं देखा, लेकिन तभी ज़ोया ने अपने गले से एक पुरानी चेन निकाली।  

"यह चेन मेरे खून से बंधी है। अगर इसे कोई सच्चे प्रेम से पकड़े, तो यह राजा की शक्ति को खत्म कर सकती है।"  

आरव ने बिना सोचे समझे चेन पकड़ ली। जैसे ही उसने इसे अपने हाथ में लिया, चेन चमक उठी और उससे एक सुनहरी रोशनी निकलने लगी।  

राजा घबराया। "नहीं! यह असंभव है!"  

आरव ने पूरी ताकत से चेन को राजा की ओर फेंका। चेन हवा में घूमी और राजा के शरीर से लिपट गई। वह चीखने लगा, उसकी लाल आँखों की रोशनी फीकी पड़ने लगी।  

"नहीं... यह नहीं हो सकता..."  

धीरे-धीरे उसकी आकृति काले धुएँ में बदल गई और हवा में विलीन हो गई। हवेली में एक गूंजती हुई चीख सुनाई दी, और फिर सबकुछ शांत हो गया।  

ज़ोया भागकर आरव के पास आई। "तुम ठीक हो?"  

आरव ने मुस्कुराकर उसका हाथ थाम लिया। "हम जीत गए, ज़ोया।"  

उसकी आँखों में आँसू आ गए। "हाँ, लेकिन अब मुझे जाना होगा..."  

"नहीं! तुम आज़ाद हो चुकी हो!"  

ज़ोया के चारों ओर हल्की-सी रोशनी फैली। उसके शरीर से हल्का धुआँ निकला और वह धीरे-धीरे पारदर्शी होने लगी।  

"आरव, तुमने मुझे मुक्त कर दिया। अब मैं इस दुनिया में नहीं रह सकती..."  

आरव का दिल धड़क उठा। "नहीं, मैं तुम्हें नहीं खो सकता!"  

ज़ोया ने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया। "लेकिन मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगी... तुम्हारे दिल में, तुम्हारी कहानियों में।"  

धीरे-धीरे, ज़ोया हवा में घुलने लगी। उसकी मुस्कान वही थी, उसकी आँखों में वही प्यार था।  

और फिर, वह पूरी तरह गायब हो गई।  

आरव घुटनों के बल बैठ गया। हवेली अब शांत थी, लेकिन उसकी ज़िंदगी में एक खालीपन रह गया था।  

कई साल बाद, उसकी सबसे मशहूर किताब प्रकाशित हुई—**"चुडैल से प्यार"**। किताब के आखिरी पन्ने पर उसने लिखा था—  

*"कभी-कभी, प्यार हमें बचा भी सकता है और हमसे छीन भी सकता है। लेकिन सच्चा प्यार कभी खत्म नहीं होता।"*