शहर से दूर, घने जंगलों के बीच एक पुरानी हवेली थी। लोग कहते थे कि वहां अजीब घटनाएं होती हैं—रात में किसी के रोने की आवाजें आती हैं, दरवाजे खुद-ब-खुद खुलते-बंद होते हैं, और कभी-कभी कोई छायामूर्ति खिड़कियों से झांकती दिखती है।
लेकिन आरव को इन सब कहानियों पर यकीन नहीं था।
आरव एक लेखक था, जिसे डरावनी कहानियां लिखने का शौक था। जब उसने इस हवेली के बारे में सुना, तो वह खुद वहां जाकर सच्चाई जानना चाहता था।
उसने अपने दोस्त निखिल से कहा, "अगर मैं इस हवेली में एक हफ्ता बिता सका, तो मेरी किताब का सबसे बेहतरीन अध्याय तैयार हो जाएगा।"
निखिल ने चेतावनी दी, "आरव, वहां जाना खतरे से खाली नहीं। लोग कहते हैं कि वहां एक जिन्न रहता है, जो किसी को जिंदा नहीं छोड़ता।"
लेकिन आरव ने हंसकर कहा, "डर और रोमांच ही तो कहानी की जान होते हैं!"
आरव हवेली में पहुंचा। वहां की दीवारों पर समय की परछाइयाँ थीं—टूटी हुई खिड़कियाँ, जाले से भरी छतें, और एक अजीब सी ठंडक जो हवा में तैर रही थी।
जैसे ही रात हुई, अंधेरा घना हो गया। तभी उसे किसी के कदमों की आहट सुनाई दी।
आरव ने टॉर्च जलाकर देखा। सामने एक लड़की खड़ी थी—लंबे, काले घने बाल, गहरी काली आँखें, और सफेद झिलमिलाता गाउन। उसकी खूबसूरती इतनी अद्भुत थी कि आरव मंत्रमुग्ध हो गया।
"तुम कौन हो?" आरव ने पूछा।
लड़की मुस्कुराई। "मेरा नाम ज़ोया है। तुम यहां क्यों आए हो?"
"मैं एक लेखक हूँ, और मुझे इस हवेली की सच्चाई जाननी है।"
ज़ोया ने हल्का सा सिर झुकाया। "तो तुम्हें बहुत कुछ देखना और सहना पड़ेगा। यह हवेली जितनी सुंदर दिखती है, उतनी ही खतरनाक भी है।"
अचानक हवेली की दीवारें हिलने लगीं। हवा में एक भारी आवाज गूंजी—
"तुम यहां क्या कर रहे हो, इंसान?"
आरव ने घबराकर चारों ओर देखा। सामने एक काले धुएँ का गुबार उठा और उसमें से एक विशाल आकृति निकली—लाल आँखें, चमकती हुई काली त्वचा, और लंबा, डरावना शरीर।
"यह कौन है?" आरव ने ज़ोया से पूछा।
ज़ोया ने फुसफुसाया, "यह जिन्न है... इसका नाम 'इफ़रीत' है। यह इस हवेली का मालिक है। और यह किसी को यहां जिंदा नहीं रहने देता।"
जिन्न ने गरजकर कहा, "इंसानों को इस जगह से दूर रहना चाहिए था। अब तेरा मरना तय है!"
आरव पीछे हटने लगा, लेकिन ज़ोया ने उसके हाथ को थाम लिया। "डरो मत। मैं तुम्हारी मदद करूंगी।"
आरव ने महसूस किया कि ज़ोया का हाथ ठंडा था, बहुत ठंडा।
"तुम... तुम कौन हो?" उसने कांपते हुए पूछा।
ज़ोया की आँखों में एक अजीब चमक आई। "मैं एक चुड़ैल हूँ... और यह हवेली कभी मेरी थी।"
आरव अवाक रह गया।
"मुझे इस जिन्न ने इस हवेली से बाँध दिया है। मैं चाहकर भी इसे छोड़ नहीं सकती। लेकिन अब तुम यहां आ गए हो... और शायद तुम मुझे इससे आज़ाद कर सको।"
आरव ने हिम्मत जुटाकर कहा, "कैसे?"
ज़ोया ने एक पुरानी किताब निकाली। "अगर कोई इंसान सच्चे दिल से मेरी आत्मा को प्रेम से स्वीकार कर ले, तो मैं मुक्त हो सकती हूँ।"
आरव की दिल की धड़कन तेज़ हो गई। क्या वह किसी चुड़ैल से प्यार कर सकता था?
इस बीच, जिन्न हवा में उठ गया और ज़ोया पर हमला करने को तैयार हो गया।
"अगर यह इंसान तुम्हें अपनाएगा, तो उसे भी मरना पड़ेगा!" जिन्न गरजा।
ज़ोया ने आँखें बंद कर लीं। "नहीं, मैं ऐसा नहीं चाहती थी..."
लेकिन आरव ने उसका हाथ पकड़ लिया। "मैं तुम्हें अपनाता हूँ।"
अचानक हवेली में तेज़ रोशनी फैल गई। जिन्न चीखने लगा और धीरे-धीरे धुएँ में बदलने लगा।
ज़ोया की आँखों में आँसू आ गए। "तुमने मुझे आज़ाद कर दिया, आरव..."
"अब तुम कहाँ जाओगी?" आरव ने पूछा।
ज़ोया ने मुस्कुराते हुए कहा, "अगर तुम चाहो, तो मैं तुम्हारे साथ रह सकती हूँ..."
समाप्त..