Bandhan Pyar ka - 41 in Hindi Fiction Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | बन्धन प्यार का - 41

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बन्धन प्यार का - 41

औऱ रात धीरे धीरे ढल रही थी।और फिर  फेरो का समय हो गया था।फेरे हंसी मजाक और रात भर सेसेउ भोर होने से पहले कोमल विदा होकर चली गयी थी।सब थके हारे थे।उस दिन सब विश्राम करते रहे।अगले दिन कांता, नरेश से बोली,"बहु को जबलपुर तो घुमा दो।"

"हां मौसी

और नरेश, हिना को लेकर चल दिया हिना बोली कहां चलोगे

"जबलपुर में घूमने की बहुत जगह है।आज हम  धुहाँ धार और भेड़ाघाट चलेंगे

और नरेश ने टेक्सी कर ली थी।नरेश, हिना को नर्मदा नदी के बारे में बता रहा था।

"क्या तुम पहले आ चुके हो

"दो बार म।मम्मी के साथ।सब देख चुके हैं।

औऱ टेक्सी से वे लोग धुंआ धार पहुंच गए थे।यहाँ पर नर्मदा के पानी का वेग इतना तेज होता है कि लगता है धुंआ उठ रहा है।नदी किनारे भारी भीड़ थी।।लोग बेहद उत्साहित थे।जगह जगह लोग सेल्फी ले रहे थे नरेश भी हिना के साथ नदी किनारे पर गया था।उसने हिना के साथ सेल्फी ली और हिना को जगह जगह बैठाकर उसके अलग अलग पोज लिये थे।वहा पर वे काफी देर तक घूमते रहे।और फिर चल दिये

"यहाँ पर पत्थर का काम बहुत है?"जगह जगह पत्थर का काम होते  देखकर हिना ने पूछा था।

"पूरे जबलपुर मे यह काम बहुत होता है।न नरेश और हिना ने वहाँ हो रहे पत्थर के काम को देखा था।फिर टेक्सी के पास आते हुए बोला,"भेड़ाघाट चलो लेकिन

"लेकिन क्या

"पहले64 योगनी पर रोकना

और उनके बैठते ही टेक्सी चल पड़ी।लोग टेम्पो से भी आते हैं और टैक्सी या अपने निजी वाहन से भी।और कुछ ही देर बाद टेक्सी64  योगनी मन्दिर पर आकर खड़ी हो गयी थी

"तुम चलोगी या यही बैठोगी?,

"घूमने के लिये आयी हूँ बैठने के लिये नही

"वो तो सही है लेकिन यह एक हिन्दू मन्दिर है।"

"मैं हिन्दू नही हूँ लेकिन हिन्दू की बीबी तो हूँ।और बीबी को तो पति के साथ ही चलना है।मेरी सासु माँ ने मुझे यही बताया है कि पत्नी को पति का अनुसरण ही करना है

"तो आप आइए"नरेश बोला था

"थैंक्स

हिना ने मुस्कराहट फेंकते हुए नरेश का हाथ थाम लिया था।दोनों सीढ़ी चढ़कर गए थे।नर्र्श बोला,"यहां पर शिव पार्वती का वास है।यह भी एक विचित्र कथा है।

"वो कैसे?"हिना बोली थी

"यहा पर इस स्थान पर हजारों साल पहले ऋषि सवर्ण रहते थे।

नरेश, हिना को प्राचीन कथा के बारे में बताने लगा।

वह ऋषि रोज नर्मदा स्नान के लिए जाया करते थे।शिव और पार्वती के बारे में कथा प्रचलित है।

"भगवान शिव की महिमा ज्यादा है।उनकी कथाएं भी बहुत है,"हिना बोली,"ऐसा क्यो

"उन्ही को जगत पिता कहा जाता है।नरेश बताने लगा।

शिव और पार्वती रोज ब्रह्म मुहर्त में पृथ्वी पर भृमण के लिये निकलते हैं।कभी किधर कभी किधर।एक बार वह पार्वती के साथ भृमण के लिय निकले।वे दोनों भृमण करते हुए इस स्थान पर आ गए।ऋषि उन्हें देखकर खुश होते हुए बोले,"धन्य भाग्य है मेरे जो आप पधारे

ऋषि ने तुरंत आसान बिछा कर आग्रह किया,"आसान ग्रहण करे

दोनों के बैठ जाने के बाद उनमें वार्तालाप होने लगा।ऋषि सुवर्ण बहुत  खुश थे।भगवान शिव, पार्वती के साथ जो पधारे थे।कुछ देर बाद ऋषि बोले,"आप कुछ देर औऱ बैठे तब तक मैं नर्मदा में स्नान कर आता हूँ

औऱ भगवान से आज्ञा लेकर ऋषि स्नान करने के लिये चले गए