Agni Samrat Dhruv - 2 in Hindi Adventure Stories by Novel Yoddha books and stories PDF | अग्नि सम्राट ध्रुव - 2

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अग्नि सम्राट ध्रुव - 2

अंधेरी सुरंग में, कुछ मामूली से दिखने वाले लोग टूटते तारो की तरह आगे बढ़ रहे थे। चारो ओर बस घना अंधेरा था, और ऐसा लग रहा था जैसे वो बहुत लंबे समय से उड़ रहे हों। लेकिन अजीब बात ये थी कि इस सुरंग का कोई अंत ही नहीं दिख रहा था।

"कमबख्त! इस सुरंग में शक्ति नाम की कोई चीज़ ही नहीं है, और ऐसा लग रहा है कि इस अंधकार में कोई रहस्यमयी शक्ति है जो धीरे-धीरे हमारी शक्तियो को निगल रही है!" ध्रुव ने अपनी अंदरूनी शक्ति से चारों ओर जांच करते हुए गंभीर आवाज़ में कहा।

शक्तिदेब रैंक के योद्धा के पास खुद की एक छोटी दुनिया होती है, और वो आसमान और धरती की ऊर्जा से खुद को ताकतवर बना सकते हैं। लेकिन एक ऐसी जगह, जहाँ कोई ऊर्जा मौजूद ही न हो, वहाँ होना किसी भी शक्तिशाली योद्धा के लिए नामुमकिन था।


"कमाल है! ये सुरंग इतनी लंबी क्यों है?" महाबश ने झुंझलाते हुए कहा। जब वो मार्कस में थे, तो पलक झपकते ही हजारों मील की दूरी तय कर सकते थे, लेकिन अब उन्हें उड़ते हुए काफी वक्त हो गया था और फिर भी कोई अंत नहीं दिख रहा था। उनके मन में बेचैनी सी छा गई, और फिर उन्होंने जल्दी से ध्रुव की ओर देखा।

"सामने कुछ रोशनी दिख रही है, शायद वहीं से बाहर निकल सकते हैं। लेकिन सभी लोग सावधान रहें, मुझे ये जगह ठीक नहीं लग रही।" ध्रुव ने चारों ओर नजर घुमाई और तुरंत अपनी अंदरूनी शक्ति से पूरे स्थान को घेर लिया।

अचानक, सुरंग के अंत में दो अजीब चमकती हुई रोशनी दिखाई दीं। ऐसा लग रहा था जैसे कोई जंगली जानवर हजारों सालो की नींद के बाद अपनी आँखें खोल रहा हो।

"रुको! सब ठहर जाओ! क्या तुम भी वही देख रहे हो जो मैं देख रहा हूँ?" 

"ये सुरंग... अजीब है!" ध्रुव ने गहरी आवाज़ में कहा और अपनी उंगली से उन दो चमकते बिंदुओं की ओर इशारा किया।

महाबश, कनिष्क, हिनीसा और ईरा ने उस ओर देखा जहाँ ध्रुव ने इशारा किया था। पहले तो वहाँ घना अंधेरा था, लेकिन अब वहाँ हल्की-हल्की रोशनी टिमटिमा रही थी, जैसे कुछ ग़लत होने वाला हो।

उनके दिमाग में यह ख्याल अभी आया ही था कि अचानक... कुछ असामान्य घटित हुआ!

पहले तो ये समझ नहीं आया कि वो क्या था, लेकिन जब वो करीब पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि वो एक जोड़ी विशाल आँखें थीं! उन आँखों को देखते ही सबके शरीर में झुरझुरी दौड़ गई।

"दस हजार सालों से मार्कस में कोई भी शक्तिदेब रैंक का योद्धा नहीं आया था। यकीन नहीं हो रहा कि आज वो दिन आ ही गया! तुम पाँचों के आने से अब मैं आखिरकार आज़ाद हो सकता हूँ!

एक गहरी और डरावनी आवाज़ अंधेरी सुरंग में गूँज उठी, और उसी के साथ एक खौफनक आभा चारों ओर फैल गई। विशाल आँखों के आसपास का आकार अंधेरे में ही घुला हुआ था, लेकिन उनकी उपस्थिति इतनी डरावनी थी कि वहाँ खड़े रहना भी मुश्किल हो रहा था।

ध्रुव सबसे पहले उस खौफनक ऊर्जा को महसूस कर चुका था।

"ये शक्ति... ये तो मुझसे भी ज़्यादा ताकतवर है!"

ध्रुव ने झटपट अपनी रैहस्यमय स्काई फायर तकनीक को सक्रिय कर दिया—" पैहला पड़ब, दूसरा पड़ब, तीसरा पड़ब, फिर उसने अपनी बसंत हथेली तकनीक को मज़बूती से पकड़ लिया।

लेकिन, कनिष्क को एक अजीब एहसास हो रहा था। जब उसने उस आँखों की जोड़ी को देखा, तो उसके शरीर में खून उबाल मारने लगा, जैसे वो किसी पैहचानी ताकत के सामने झुकने को मजबूर हो रहा हो।

"ये क्या हो रहा है?" कनिष्क ने अपने भीतर की हलचल को दबाते हुए हालत का जाएज़ा लिया, लेकिन ध्रुव को परेशान नहीं किया।

"तुम कौन हो?" ध्रुव ने दृढ़ता से कहा, अपनी नज़रो को विशाल आँखों पर गड़ाते हुए।

ईरा और हिनीसा भी सतर्क थीं। वो दोनो ध्रुव को अच्छी तरह जानती थीं और समझ गईं कि वो इशारों में उन्हें कुछ संकेत दे रहा था।


मे कौन हूँ ये जानना ज़रूरी नहीं, इतने सालों से मैं शक्ति देब योद्धाओं की ऊर्जा निगलने के लिए तरस रहा था, और अब तुम सब आए हो, मुझे इस अभिशप्त अंधकार से बाहर निकलने के लिए बस तुम पाँचों की ज़रूरत थी!"

चारों ओर से गूँजती आवाज़ ने हवा में एक सिहरन फैला दी।

"हम मार्कस के नए शक्ति देब हैं। हम बस इस रास्ते से होकर एक नए दुनिया की ओर जा रहे थे। हमने अनजाने में आपके आराम में खलल डाल दिया इसके लिए माफ करें। अब हमें जाने दें।" 

ध्रुव ने शांत आवाज़ में कहा, लेकिन उसके अंदर छिपी शक्ति पहले ही सक्रिय हो चुकी थी।

"कमबख्त! हम लगभग बाहर पहुँच गए हैं, अब हम क्या करें?" महाबश ने बेचैनी से पूछा।

"तुम सब पहले निकल जाओ! मैं इसे रोकूँगा! आत्मा पत्थर की मदद से मैं तुम लोगों को बाद में ढूँढ लूँगा!" 

ध्रुव ने सख्त आवाज़ में कहा, और पूरी शक्ति से अपनी ऊर्जा समेटनी शुरू कर दी।

ईरा और हिनीसा सब समझ गईं। वे जानती थीं कि ध्रुव ने जो कहा, वह अंतिम फैसला था।

"ध्रुव, हम नई दुनिया में तुम्हारा इंतज़ार करेंगे!" 

ईरा और हिनीसा ने आँखों में चिंता के साथ कहा और महाबश, कनिष्क के साथ तेजी से सुरंग के अंत की ओर बढ़ गईं।

"तुम लोगों को जाने नहीं दूँगा!"

वो भयानक आँखें अचानक चमक उठीं और एक भयानक ऊर्जा लहर चारों की ओर दौड़ी।

"तुम्हें मुझसे होकर जाना होगा!" 

ध्रुव गरजा और उसने अपनी शक्ति पूरी तरह से छोड़ दी।

"बसंत हथेली तकनीक!" 

ध्रुव की हथेली से एक विशाल ऊर्जा लहर निकली और उस प्राणी के हमले को रोक दिया। फिर उसने बिना रुके अपनी आत्मा शक्ति का इस्तेमाल करते हुए एक खौफनक हमला किया।

"बिनाशकारी शौर्य कमल!" 

ध्रुव ने अपने हाथों में इक्कीस रंगों वाली बिनाशकारी शक्ति इकट्ठी कर ली।

"जाओ!" 

उसने पूरी ताकत से हमलावर आँखों पर अपनी बिनाशकारी ऊर्जा छोड़ी।

"ध्रुव अगर तुम मरे तो मैं भी नहीं जीऊँगी!" ईरा की आवाज़ पूरी सुरंग में गूँज उठी।

चारों सुरक्षित बाहर निकल चुके थे। ध्रुव ने गहरी सांस ली और बुदबुदाया, "ईरा, हिनीसा... मेरा इंतज़ार करना। मैं ज़रूर आऊँगा!"

आखिरकार ध्रुव ने अपनी पूरी ताकत उस दैत्य पर झोंक दी।

"अब देखता हूँ आखिर तू है कौन!" ध्रुव की गरजती आवाज़ अंधेरी सुरंग में गूँज उठी।


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