Bewafa - 19 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | बेवफा - 19

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बेवफा - 19

रहस्य और भय का विस्तार


सभी की साँसें थमी हुई थीं। तहखाने में फैली अजीब-सी खामोशी और दीवार पर उभरती परछाईं ने माहौल को और डरावना बना दिया था।


समीरा ने धीमी आवाज़ में कहा, "हमें यहाँ से निकलना चाहिए। यह जगह ठीक नहीं लग रही।"


राहुल ने सहमति में सिर हिलाया, लेकिन विजय अब भी दीवार पर नजरें गड़ाए खड़ा था। "अगर यह परछाईं सच में किसी की है, तो हमें यह पता लगाना होगा कि यह कौन है," उसने कहा।


सभी ने चारों ओर देखा। तहखाने की ठंडी हवा में एक अजीब-सा सिहरन थी। अचानक, एक पुरानी लकड़ी की अलमारी खुद-ब-खुद चरमराते हुए हिली और गिर पड़ी। उसके पीछे एक और संकरी गली दिखी, जो अंधकार में गुम हो रही थी।


योगेश ने काँपते स्वर में कहा, "हमें सच में यहाँ से जाना चाहिए।"


सलोनी, जो अब तक चुप थी, उसने कहा, "नहीं, अब पीछे हटने का सवाल ही नहीं। हम यह जानने आए थे कि यहाँ क्या रहस्य है, और अब जब हम इतनी दूर आ चुके हैं, तो हमें पीछे नहीं हटना चाहिए।"


राहुल ने उसकी ओर देखा और सिर हिला दिया। "ठीक है, लेकिन हमें सतर्क रहना होगा।"


सभी ने धीरे-धीरे उस संकरी गली में कदम बढ़ाया। वहाँ दीवारों पर अजीब आकृतियाँ बनी हुई थीं, जैसे किसी ने जानबूझकर कोई संदेश छोड़ा हो। समीरा ने दीवार पर हाथ फेरा और बुदबुदाई, "ये आकृतियाँ... शायद कोई संकेत हैं।"


गली के अंदर और भी ठंडक थी। हवा में एक अजीब-सी गंध थी, जैसे सड़े हुए लकड़ी और पुराने लोहे की। कुछ कदम आगे बढ़ते ही उन्हें एक बड़ा सा कमरा दिखा, जिसके बीचों-बीच एक पुरानी लकड़ी की मेज थी। मेज पर एक और डायरी रखी थी।


विजय ने डायरी उठाई और उसे खोला। पन्ने पीले पड़ चुके थे, लेकिन कुछ शब्द अब भी साफ दिखाई दे रहे थे। उसने पढ़ना शुरू किया:


"जो यहाँ आया, वह वापस नहीं गया... लेकिन अगर कोई इस रहस्य को सुलझा सके, तो उसे एक नया सच मिलेगा।"


राहुल ने उत्सुकता से पूछा, "क्या यह वही डायरी है जिसका जिक्र पहले हुआ था?"


समीरा ने सिर हिलाया, "शायद। लेकिन इसमें आगे और क्या लिखा है?"


विजय ने पन्ने पलटे। एक पन्ने पर लिखा था:


"यहाँ प्रयोग किए जाते थे। इंसानों पर। वे लोग जिन्हें समाज भूल चुका था, उन्हें यहाँ लाकर भयानक प्रयोगों का शिकार बनाया जाता था। कोई नहीं बचा। जो भी यहाँ आया, उसे बाहर जाने का मौका नहीं मिला।"


यह पढ़कर सबके रोंगटे खड़े हो गए।


सलोनी ने धीरे से कहा, "हमें यहाँ से जल्दी निकल जाना चाहिए, इससे पहले कि कुछ अनहोनी हो।"


तभी अचानक कमरे का दरवाज़ा ज़ोर से बंद हो गया। हवा में एक तेज़ सरसराहट हुई और मेज पर रखी मोमबत्ती की लौ कांपने लगी। योगेश घबराकर दीवार से चिपक गया, "यह... यह सब क्या हो रहा है?"


राहुल ने चारों ओर देखा। उसकी नज़र एक कोने में पड़े पुराने ट्रंक पर पड़ी। उसने धीरे-धीरे ट्रंक का ढक्कन उठाया। अंदर कुछ पुराने कागजात थे, जिन पर खून के धब्बे लगे हुए थे।


"यह... यह तो उन लोगों के दस्तावेज़ लगते हैं, जिन पर प्रयोग किए गए थे," राहुल ने धीमे स्वर में कहा।


तभी समीरा की नज़र एक और चीज़ पर पड़ी—एक पुरानी तस्वीर। तस्वीर में कुछ लोग सफेद कोट पहने खड़े थे, और उनके सामने एक आदमी कुर्सी पर बंधा हुआ था। उसके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था।


विजय ने तस्वीर ध्यान से देखी और धीरे से कहा, "यहाँ सच में कुछ भयानक हुआ था... और शायद अब भी हो रहा है।"


अचानक, गली से एक हल्की सी आवाज़ आई, जैसे कोई वहाँ चल रहा हो। सबने एक-दूसरे को घबराकर देखा।


समीरा ने धीमी आवाज़ में कहा, "हमें अब यहाँ से निकल जाना चाहिए, इससे पहले कि..."


उसकी बात पूरी भी नहीं हुई थी कि दीवार पर वही परछाईं फिर से दिखने लगी। परछाईं धीरे-धीरे बड़ी होने लगी और उनकी ओर बढ़ने लगी।


सभी ने घबराकर पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन कमरे का दरवाज़ा अब भी बंद था। योगेश ने ज़ोर से दरवाज़ा खींचने की कोशिश की, लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ।


सलोनी ने कांपती आवाज़ में कहा, "यह परछाईं... यह हमारे बहुत करीब आ रही है।"


तभी अचानक परछाईं ने एक शक्ल ले ली—वह एक आदमी की आकृति थी, जिसका चेहरा धुंधला था, लेकिन उसकी आँखें जलती हुई दिख रही थीं।


"तुम लोग यहाँ क्यों आए हो?" एक गहरी, डरावनी आवाज़ गूंज उठी।


सबके शरीर में सिहरन दौड़ गई। राहुल ने हिम्मत जुटाकर पूछा, "तुम... तुम कौन हो?"


आकृति थोड़ी और पास आई और बोली, "मैं वो हूँ, जिसे इस जगह ने कैद कर लिया। मैं वो हूँ, जिसे यहाँ बंद कर दिया गया था, और जो अब कभी नहीं लौट सकता।"


समीरा ने घबराकर पूछा, "तुम हमसे क्या चाहते हो?"


परछाईं की आँखों में एक अजीब चमक आई। "तुम लोग इस रहस्य को जानना चाहते थे, तो अब जान लो—जो यहाँ आता है, वह कभी वापस नहीं जाता।"


सभी के चेहरों पर डर साफ झलक रहा था। विजय ने हिम्मत कर दरवाज़े को ज़ोर से धक्का दिया, और अचानक वह खुल गया।


"भागो!" राहुल ने ज़ोर से कहा।


सभी तेजी से बाहर की ओर दौड़े। पीछे से वह गहरी आवाज़ अब भी गूंज रही थी, "तुम लोग बचकर नहीं जा सकते... यह जगह अब तुम्हारी भी कब्रगाह बनेगी।"


सभी ने जैसे-तैसे तहखाने से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढा और आखिरी सीढ़ी चढ़ते ही दरवाज़ा उनके पीछे ज़ोर से बंद हो गया।


समीरा ने हांफते हुए कहा, "हम बच गए... लेकिन यह क्या था?"


राहुल ने गंभीर स्वर में कहा, "यह सिर्फ एक डरावनी कहानी नहीं थी, य

ह सच्चाई थी। और हो सकता है कि यह खत्म न हुई हो..."


(अगले एपिसोड में जारी...)