Bandhan Pyar ka - 39 in Hindi Fiction Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | बंधन प्यार का - 39

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बंधन प्यार का - 39

"मैं समझ रही थी वहां ऐसा खाना नही मिलता।"

और वे नाश्ता करने लगी।नाश्ता करते हुए कोमल बोली,"आप नरेश भैया के साथ काम करती हो क्या?"

"नही।""

"तो एक साथ पढ़ते होंगे?"

"नही।"

"साथ काम नही करते।पढ़े भी  नही हो फिर आप पाकिस्तान की भैया इंडिया के कैसे मिले औऱ प्रेम हुआ?"कोमल  बोली थी।

"यह भी एक इत्तफाक है "

"कैसे?"

"एक दिन मैं ट्रेन पकड़ने के लिये दौड़ी आ रही थी और

हिना ,कोमल को बताने लगी कैसे पहली बार वे मिले औऱ उनमें प्यार हुआ।हिना की जुबानी सुनकर कोमल बोली,"यह तो फिल्मों जैसा है।"

"जिंदगी भी तो फ़िल्म ही है।"

"भाभी तुम लगती ही नही हो पहली बार हम मिल रहे हैं "कोमल, हिना से चिपट गयी थी

"अरी  लड़कियों बैठी ही रहोगी।

बाहर से आवाज आई थी।कोमल बोली"अब तो उठना ही पड़ेगा।नहीं तो ताई हल्ला मचा देगी,"कोमल बोली,"अभी तो मौसी को लेक्चर सुनने पड़ेंगे"

"क्यो?"हिना, कक

 कोमल की बात सुनकर बोली थी।

"तुम्हारी वजह से।"

"मेरी वजह से क्यो/"

"ताई अभी आयी है।तुम उनके पैर छुईओगी।फिर वो तुमसे नाम पूछेगी।कहाँ की हो।फिर देखना"कोमल बोली"मजा आएगा।तुम बोलना मत

"मैं क्यो बोलूंगी

"चलो

कोमल, हिना को अपने साथ बाहर ले गयी थी।।

"ताई नमस्ते,"कोमल बोली,"भाभी ताई सासु के पैर छू लो।"हिना ने पैर छू लिये

"खुश रहो।सदा सुहागवती रहो,"हिना को आशीर्वाद देती हुई ताई बोली,"कौन है यह?"

"म मीरा मौसी की बहू हिना"कोमल ने हिना के बारे मे बताया था। तभी कांता औऱ मीरा भी आ गयी थी1

"क्यो री मीरा तुझ्रे कोई हिन्दू लडक़ी नही मिली जो मलेक्ष को ले आयी

तभी कांता के पति महेश आ गए1।भाभी के पैर छूकर बोले,"भाभी जमाना बदल गया है।बच्चे  खुश रहे।बस

महेश बोले,"कोमल, हिना को ले जाओ

कोमल हंसते हुए बोली,"ज़

 सुन लिया बुरा मत मानना

और कॉलोनी की औरते आने लगी।ढोलक बजने लगी औरते गाने  लगी।नाचने लगी।और हिना को भी नाचना पड़ा।कोई यह नही पूछ रहा था कि वह किस मजहब या जाति कि है।सबकी नजर में बहु थी।रोज रस्मे निभाई जा रही थी।हिना से इसके देश के बारे में भी पूछ रहे थे।

और बरात वाले दिन बड़ी गहमा गहमी थी।हर कोई  व्यस्त था।ब्यूटी पार्लर वाली को घर पर ही बुला लिया गया था।कोमल बोली थी,"भाभी का मेकअप बढ़िया करना।"

"शादी तुम्हारी है।"

"तो क्या हुआ मेरी भाभी भी सुंदर लगनी चाहिय।"

हिना पहली बार किसी हिन्दू रीति रिवाज औऱ परम्परा से हो रही शादी को देख ही नही रही थी।उसमें शामिल थी कांता मौसी भी हिना का पूरा ख्याल रख रही थी।और शाम को बड़ी गहमा गहमी थी।सब व्यस्त थे ।बारात के आने का समय हो रहा था।और फिर दूर से बेंड की आवाज सुनाई पड़ी थी।कोई बोला था,"बारात आ रही है।"

और बारात आने का समाचार सुनकर सब दरवाजे की तरफ भागे थे।औरते, बच्चे, लडकिया।और बेंड की आवाज धीरे धीरे पास आ रही थी।और आखिर में बारात दरवाजे के पास आ पहुंची थी।

दूल्हे की घोड़ी के आगे बेंड की धुन पर औरत आदमी बच्चे सभी नाच रहे थे।और दरवाजे पर बारात आने पर उसका स्वागत  किया जाने लगा।बारातियों को माला पहनाई जाने लगीं।उनका सत्कार किया जाने  लगा।औऱ फिर दूल्हा दरवाजे पर आ गया।

"दूल्हा दरवाजे पर आ गया "

कांता मौसी पूजा की थाली उठाते हए बोली,"कोमल को वरमाला के लिये ले आओ

कांता परिवार और कॉलोनी की औरतों के साथ दरवाजे की रस्म के लिये चली गयी थी