दिलावर सिंह आधी रात को ही मार्को से मिलने के लिए घर से निकल गया और वह किसी डिस्को क्लब के खुफिया जगह पर चला गया। वहां पर वह काला कोबरा नाम के किसी इंसान के बारे में पूछने लगा जो कि इन सब का लीडर था। मार्को ने बताया कि काला कोबरा इस वक्त किसी जरूरी काम के लिए बाहर गया हुआ है जो करीब 2 घंटे के अंदर वहां तक पहुंच जाएगा। नीलमणि ने नागेंद्र को जगाया और उसे किसी जगह पर लेकर चला गया जिसे जाते हुए अवनी ने देख लिया।
अवनी जल्दी से अपने कमरे के बाहर आई और तेजी से चलते हुए गेट के पास पहुंच गए लेकिन तब तक नागेंद्र जा चुका था। अवनी ने अपने आसपास देखा लेकिन नागेंद्र का पीछा करने के लिए उसके पास कुछ नहीं था। एक समय था जब उसके पास कर थी लेकिन अब उसके पास कुछ नहीं था। तभी उसका ध्यान अपने घोड़े डार्क लायन की तरफ गया।
उसे नागेंद्र का पीछा करना था वह जानना चाहती थी कि इस वक्त आधी रात को नागेंद्र कहां गया है। अवनी भागते हुए उसे हवेली के पीछे की तरफ जाने लगे जहां पर घोड़े का अस्तबल था। एक समय में यहां पर कई सारे घोड़े थे लेकिन इस वक्त सिर्फ अकेला एक घोड़ा था क्योंकि वह अवनी को बहुत प्यारा था।
अवनी ने जल्दी से पैडल को बांदा और घोड़े के ऊपर बैठ गई। वह घोड़ा अवनी का वफादार था जो चुपचाप अवनी के इशारों पर भागने लगा। अवनी ने नागेंद्र को जाते हुए देखा था इसलिए उसी रास्ते पर वह आगे बढ़ने लगी। लेकिन वह एक जगह पर आकर रुक गई क्योंकि वहां पर चार रास्ते थे और नागेंद्र उन तीन रास्तों में से किसी पर भी जा सकता था।
अवनी ने बड़ी-बड़ी उन तीनों रास्तों की तरफ देखा और उसने फिंगर क्रॉस करके आसमान की तरफ देखा और एक रास्ते को चुनकर उस पर जाने लगी। नागेंद्र ने अपने हाथों पर उसे नीलमणि को पकड़ा हुआ था जहां से एक रोशनी सीधे रास्ते की तरफ पॉइंट कर रही थी।
" समझ में नहीं आ रहा कि इस वक्त मुझे कहां लेकर जा रहा है। इस वक्त वाला आप किसको क्या मदद की जरूरत होगी?"
नागेंद्र अपने आप से ही सवाल पूछ रहा था क्योंकि नीलमणि की तरफ से कोई जवाब नहीं आ रहा था। नाग गुरु ने बताया था कि नीलमणि हर सवाल का जवाब देती है लेकिन इस वक्त उसे कोई आवाज नहीं आ रही थी। नागेंद्र को तो यह भी नहीं पता था कि उसे इस मणी से किस तरह से जवाब मिलेगा।
रास्ता अब काफी सुनसान हो गया था जहां पर सिर्फ अकेले नागेंद्र की बाइक जा रही थी। वह बार-बार इधर से उधर देख रहा था लेकिन आसपास झाड़ियां के सिवा और कुछ नहीं दिख रहा था। सिर्फ उसने दूसरे रास्ते से एक काले रंग की कर को जाते हुए देखा। उसे काले रंग की मर्सिडीज़ के सिवाय और वहां कुछ नहीं था।
कुछ दूरी पर जाकर वह नीलमणि ने चमकता बंद कर दिया। नागेंद्र समझ गया कि उसे यहीं पर रुकना है। नगेंद्र ने देखा कि वहां पर एक बड़ा सा बरगद का पेड़ था जिसके नीचे एक छोटा सा मंदिर था जिसके अंदर एक सांप की पत्थर की मूर्ति थी। इस मंदिर के कुछ दूरी पर एक कॉलोनी बनी थी जहां पर इस वक्त सिर्फ स्ट्रीट लाइट थी और एक चौकीदार बैठकर सो रहा था।
नागेंद्र को लगा कि हो सकता है कि इस कॉलोनी में ही किसी को मदद की जरूरत हो। यही सोच कर वह उसे तरफ जाने लगा लेकिन तभी उसे कॉलोनी के दूसरी तरफ से कुछ लोगों की आवाज आई। वह बस काफी तेज थी जो नागेंद्र को साफ सुनाई दे रही थी। लेकिन हिरानी के बाद यह थी कि चौकीदार अभी भी सो रहा था जबकि आदमियों की आवाज के साथ-साथ खुदाई की भी आवाज आ रही थी।
नागेंद्र को समझ नहीं आया कि उसे पहले उसे कॉलोनी की तरफ जाना चाहिए या फिर उसे जंगल की तरफ जहां से वह आवाज आ रही थी। उसने कॉलोनी की तरफ देखा जहां पर एकदम शांति थी फिर उसने उसे जंगल की तरफ देखा जहां से आदमियों की आवाज आ रही थी। उसने एक लंबी सांस ली और उसे जंगल की तरफ चला गया। जंगल में काफी अंधेरा था लेकिन नागेंद्र आराम से आगे की तरफ जा रहा था।
वह उस आवाज को सुनकर उसी की दिशा में जाने लगा। जब कुछ दूरी पर गया तो उसे कुछ लोग खुदाई करते हुए दिखे। उसने यह भी देखा कि एक छोटे से पिंजरे के अंदर चार-पांच सांप थे जिसे बाजू में रखा हुआ था। वह लोग खुदाई करते वक्त एक दूसरे के साथ बात कर रहे थे।
" समझ में नहीं आता कि इस जंगल में खुदाई करने से क्या मिलेगा?"
" और नहीं तो क्या हर रोज खुदाई करो और इन सांपों की बली दो। यहां पर कुछ नहीं मिलने वाला लेकिन साहब को कौन समझाए।"
" चुपचाप काम करो अगर सब ने देख लिया तो इन सांपों की बाली के साथ-साथ हमारे भी बलि चढ़ जाएगी।"
" खामोश हो जाओ और चुपचाप अपना काम करो। जल्दी करो और हमें इन सांपों की बलि देनी है बस कुछ दिन और फिर हमें जो चाहिए वह मिल जाएगा।"
इस आवाज ने सब कुछ चुप कर दिया और सब लोग चुपचाप खुदाई करने लगे। नागेंद्र एक जगह पर छुप कर यह सारी बातें सुन रहा था। उसने आखिरी आवाज की तरफ देखा जहां पर काफी अंधेरा था लेकिन नागेंद्र को अंधेरे में दिखाई दे रहा था कि वहां पर कुर्सी के ऊपर एक आदमी अपने पैर लंबे करके बैठा हुआ था।
नागेंद्र उसे आदमी की तरफ देख रहा था कि तभी उसका फोन बजने लगा। फोन उठाने के बाद उसे आदमी ने कुछ देर सामने वाले की बात सुनी और फिर कहा।
" ओके सर मैं काम कर देता हूं।"
खाने के बाद उसे आदमी ने उन आदमियों की तरफ देखा जो खड़ा कर रहे थे और फिर अंगूठे को नीचे की तरफ किया और कुछ काम करने का इशारा किया। नागेंद्र की देखने की कोशिश कर रहा था कि वह लोग क्या करने वाले हैं की तभी उन लोगों ने उन सांप के पिंजरे को लिया और उसमें केरोसिन डालने लगे।
उस आदमी ने एक नजर उन सब की तरफ देखा और फिर वापस पलट कर फोन में बात करने लगा। तभी उसे लोगों के चीखने की आवाज आई। वह कुछ समझ पाता उसके पहले ही जो लोग खड्डा खोदने का काम कर रहे थे वह उसके पास आकर गिर गए। वह करीब तीन लोग थे जो उसके पास आकर गिर गए थे।
" बुलेट यह कैसी आवाज है?"
फोन के अंदर से आवाज आई लेकिन वह आदमी जिसका नाम बुलेट था उसने जैसे ही पलट कर देखा तो उसकी नजर वहां पर खड़े एक आदमी पड़ गई। उस आदमी ने अपने चेहरे को किसी गमछे से लपेटा हुआ था और उसकी आंखें पूरी तरह से पीले रंग की थी। उसे आदमी ने सांप के पिंजरे को खोल और सारे सांपों को आजाद कर दिया।
" बुलेट क्या हो रहा है वहां?"
" 1 मिनट सर मैं आपसे बाद में बात करता हूं।"
कहते हुए बुलेट ने फोन को काटा और अपने शर्ट की स्लीव को ऊपर करते हुए उसे आदमी के पास गया और उसे धमकाने के अंदाज में कहने लगा।
" कौन है बे तु? मेरे मामले में टांग मत अड़ा वरना बचेगा नहीं।"
" टांग तुम लोग अदा रहे हो मैं तो बस उसे काट रहा हूं।"
कहते हुए उस आदमी ने बुलेट के पेट में एक जोरदार घुसा मारा। जिसे पडते ही बुलेट के मुंह से खून का फवारा निकल गया। उसके मुंह से एक भी आवाज नहीं आई और वह घुटनों के बल जमीन में बैठ गया। देखते ही देखते उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया और वह नीचे गिर कर बेहोश हो गया।
" बड़ी-बड़ी बातें करता है और एक वार भी झेल नहीं पाया।"
कहते हुए उस आदमी ने अपना गमछा निकाला तो वह कोई और नहीं नागेंद्र ही था। वह यह जानना चाहता था कि यहां क्या हो रहा है लेकिन वहां पर चार लोग मौजूद थे और चारों ही बेहोश हो गए थे। उसने गहरी सांस ली और उसने बुलेट का फोन उठाया और उसके फिंगरप्रिंट से ओपन कर के एंबुलेंस को कॉल किया और वहां से निकल गया।
काफी समय राह देखने के बाद भी जब काला कोबरा नहीं आया तो दिलावर वहां से जा रहा था। मार्को उसे रोकने के लिए उसके पीछे-पीछे आ रहा था। जैसे ही वह लोग क्लब के बाहर पहुंचे एक काले रंग की मर्सिडीज़ वहां पर आकर रुकी। उसके अंदर से एक आदमी बाहर आया जिसने पूरी तरह से काले रंग के कपड़े पहने हुए थे और सर पर काले रंग की हेट। काले रंग का चश्मा और अपने चेहरे को भी मास्क से कवर किया हुआ था।
" काला कोबरा आप आ गए?"
क्या यह वही मर्सिडीज़ थी जो नागेंद्र को रास्ते में देखी थी? सांपों की बली के पीछे का कारण क्या हो सकता है? सांपों की बाली देकर किसी को क्या हासिल हो सकता है? क्या इन सब के पीछे काला कोबरा का हाथ था?