Nagendra - 14 in Hindi Fiction Stories by anita bashal books and stories PDF | नागेंद्र - भाग 14

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नागेंद्र - भाग 14

नगेंद्र ने नीलमणि के बताएं रास्ते पर जाकर देखा तो वहां पर कुछ लोग खड़ा खोद रहे थे और वहां पर सांपों की बलि देने वाले थे।वह लोग सांपों के ऊपर केरोसिन डालकर उन्हें जिंदा जलाने वाले थे लेकिन नगेंद्र ने यह सब कुछ रोक लिया। लेकिन उसे इस बात का पता नहीं चला कि यह सब क्यों हो रहा था। 

अब वह वापस घर की तरफ आ रहा था लेकिन उसे कुछ आवाज आई इसलिए वह अपनी जगह पर रुक गया। वह ध्यान से रास्ते की तरफ देख रहा था कि तभी उसे किसी घोड़े की आवाज आई। देखते ही देखते अवनी घोड़े पर सवार उसके सामने आकर खड़ी हो गई।

अवनी इस तरह से कभी भी बाहर कभी नहीं आती थी। अवनी को अपने सामने देखकर नागेंद्र हैरान हो गया। अवनी घोड़े से नीचे उतर कर नागेंद्र के सामने आकर खड़ी हो गई और उसने नागेंद्र के आसपास देखते हुए पूछा।

" तुम यहां क्या कर रहे हो? इतनी रात गए तुम्हें ऐसा कौन सा काम आ पड़ा था तुम बिना किसी को बताए यहां आ गए?"

नगेंद्र ने यह बिल्कुल नहीं सोचा था कि अवनी उसके पीछे-पीछे यहां आ जाएगी। इसलिए उसने कोई बहाना भी नहीं सोचा था। उसने अपनी नज़रें फेरते हुए कहा।

" वह मेरे दोस्त को मेरी मदद की जरूरत थी।"

" दोस्त? मुझे तो पता ही नहीं था कि तुम्हारा कोई दोस्त भी है।"

नगेंद्र ने अवनी की तरफ देखा लेकिन उससे नज़रें नहीं मिल पा रहा था। जब भी कोई इंसान झूठ बोलता है तो उसे नज़रे मिलाने की उसमें हिम्मत नहीं होती, नागेंद्र का भी वही हाल था। उसने बहाना बनाते हुए कहा।

" हां एक दोस्त है मेरा। उसे मेरी जरूरत थी तो मैं उसके लिए आ गया था।"

नागेंद्र की बात सुनकर अवनी ने फिर से आसपास देखते हुए पूछा।

" तो फिर कहां है तुम्हारा दोस्त?"

नागेंद्र को समझ नहीं आ रहा था क्यों क्या जवाब है लेकिन तभी एक आवाज आई।

" माफ करना मुझे लेट हो गया।"

जब आवाज की दिशा में दोनों ने देखा तो दोनों हैरान हो गए। एक लड़की वहां पर खड़ी थी जिसके बाल कमर तक लंबे थे। उसकी आंखें ब्राउन कलर की थी और उसके बाल लंबे होने के साथ-साथ काफी हद तक सुनहरे भी थे। उसने रेड कलर का वन पीस पहना हुआ था और वह धीरे-धीरे चलते हुए उन दोनों की तरफ आ रही थी।

" सॉरी तुम इंतजार करवाने के लिए।"

फिर उसे लड़की ने अवनी की तरफ देखा और अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा।

" हेलो मेरा नाम माया है।"

" तो फिर वही रहना था।"

" जी आपने कुछ कहा।"

माया ने अपने गारदन हल्की सी टेढ़ी करते हुए पूछा। अवनी ने तुरंत बात को बदलते हुए कहा।

" मेरा मतलब है आपको तो इस वक्त सो जाना चाहिए था ना, आधी रात को आप यहां पर क्या कर रही है इस सुनसान इलाके में?"

फिर अवनी ने नागेंद्र की तरफ देखा और पूछा।

" तुम्हारी कोई लड़की दोस्त है यह तुमने कभी बताया नहीं।"

नगेंद्र ने एक नजर माया की तरफ देखा जो हंसते हुए उसकी तरफ देख रही थी। फिर उसने गहरी सांस ली और फिर अवनी की तरफ देखते हुए जवाब दिया।

" इससे पहले हमने कभी इतनी बातें भी तो नहीं की है।"

नागेंद्र का जवाब सुनकर अवनी चुप हो गई। उसने कुछ गलत भी तो नहीं कहा था उन दोनों की हल्की-फुल्की बातें भी कभी नहीं हुई थी। फिर अवनी ने माया की तरफ देखा और पूछा।

" तुम नागेंद्र को कैसे जानती हो और यहां क्या कर रही थी इस वक्त?"

माया ने हंसते-हंसते जवाब दिया।

" एक बार मैं फोन में बात करते हुए रोड क्रॉस कर रही थी और मेरा ध्यान ही नहीं था कि मेरे सामने एक ट्रक आ रहा है। तभी इसी ने मेरी जान बचाई थी। सो क्यूट हाउ स्ट्रांग यू आर।"

रहते वक्त माया ने हंसते हुए नागेंद्र के गाल को अपने अंगूठी और उंगली से पकड़ कर हिलाया। बिल्कुल वैसे जैसे की कोई छोटे बच्चों को बात करते वक्त किया जाता है। फिर उसने अवनी की तरफ देखा और आगे कहा।

" उसके बाद मैंने उससे उसका नंबर ले लिया था। आज मेरी कार खराब हो गई और मैं पैदल-पैदल आ रही थी लेकिन यहां पर मुझे कुछ नहीं मिला और मुझे लगा कि मुझे किसी को मदद के लिए बुला लेना चाहिए। ऐसे में मैं किसी एक की पर विश्वास कर सकती थी और वह नागेंद्र था। इसलिए मैंने उसे फोन किया और वह तुरंत आ भी गया।"

कहने के बाद माया ने हंसते हुए नागेंद्र की तरफ देखा। नागेंद्र को समझ नहीं आ रहा था क्यों क्या कहे इसलिए उसने खुद को चुप रखना ही ज्यादा सेफ समझा। अवनी और भी कुछ पूछना चाहती थी लेकिन उसके पहले ही नगेंद्र ने कहा।

" अवनी में इसे घर छोड़कर आता हूं।"

लेकिन अवनी ने तुरंत नागेंद्र को रोकते हुए कहा।

" उसकी कोई जरूरत नहीं है। तुम उसे अपनी स्कूटी की चाबी दे दो वह अपने घर चली जाएगी।"

नागेंद्र ने अवनी की तरफ देखा और हकलाते हुए पूछा।

" अवनी अगर मैं स्कूटी की चाबी इसे दे दी तो मैं कैसे घर आऊंगा?"

अवनी ने अपने दांत पीसे लेकिन इस तरह से कि वह सामने वाले को दिखाई ना दे। उसने पीछे खड़े हुए अपने घोड़े की तरफ उंगली से दिखाते हुए कहा।

" तुम्हें इतना बड़ा घोड़ा दिखाई नहीं दे रहा है क्या? इसमें चलो और सपना को अपनी स्कूटी की चाबी दे दो वह कल तुम्हारी स्कूटी तुम्हें देखकर चली जाएगी।"

फिर उसने माया की तरफ देखा और अपनी आवाज को कडक करते हुए कहा।

" और तुम सवेरे स्कूटी हमारे घर पर पहुंच जानी चाहिए वरना मां हमारा जीना हराम कर देगी और खासकर के नागेंद्र का।"

माया ने पीछे खड़े हुए घोड़े की तरफ देखा और अपने हाथों को बांधकर अपनी ठुड्डी के नीचे रखते हुए कहा।

" आज तक लड़की को बचाने के लिए प्रिंस चार्मिंग को आते हुए देखा था आज पहली बार लड़के को बचाने के लिए प्रिंसेस गॉर्जियस को आते हुए देखा है और वह भी नाइट ड्रेस में।"

माया की बात सुनकर अवनी ने अपने कपड़ों की तरफ देखा। उसने नागेंद्र को आधी रात के वक्त घर से तेजी से निकलते हुए देखा और वह तुरंत उसके पीछे-पीछे यहांब आ गई उसने यह भी नहीं देखा कि वह इस वक्त नाइट ड्रेस में थी। यह तो अच्छी बात थी कि उसे किसी ने ऐसी हालत में देखा नहीं वरना कोई क्या सोचता? अवनी ने तुरंत आंखों को झपकाते हुए कहा।

" तुम्हारा हो गया हो तो तुम जो मुझे घर जाना है और सवेरे ऑफिस भी जाना है।"

माया ने मुस्कुराते हुए दोनों को बाय किया और स्कूटी लेकर वहां से चली गई। ‌ उसके जाने के बाद अब वहां पर सिर्फ नागेंद्र और अवनी खड़े थे। अवनी ने देखा कि नागेंद्र के नजरे अभी भी उसे रास्ते को देख रही थी जहां से माया गई थी। उसने दातों को दबाते हुए कहा।

" अगर तुम्हारा देखना हो गया हो तो घर चले क्या?"

नगेंद्र ने डार्क लायन की तरफ देखा और अवनी से पूछा।

" लेकिन तुम्हें तो पसंद नहीं है कि तुम्हारे घोड़े के ऊपर कोई और बैठे।"

अवनी डार्क लायन के पास जाते हुए कहने लगी।

" हां तो मैं ही कह रही हूं ना कि ऊपर बैठो। अब जल्दी से बैठो मुझे नींद आ रही है।"

नागेंद्र बिना कुछ कहे चुपचाप बैठ गया और वह दोनों वापस अपने घर के लिए निकल गए। वहां दूसरी तरफ दिलावर उसे नाइट क्लब के अंदर एक खास कमरे में बैठा हुआ था जहां पर मार्को और काला कोबरा भी थे। काला कोबरा गुस्से में इधर से उधर घूम रहा था। वह बार-बार फोन लगा रहा था लेकिन सामने से कोई फोन नहीं उठा रहा था।

" मार्को हमें वापस जाना होगा वहां पर कुछ हो गया है।"

कहते हुए काला कोबरा वहां से बाहर निकल गया और पीछे-पीछे मार्को भी जाने लगा। तभी दिलावर ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोका और पूछा।

" कहां जाने की बात हो रही है? अरे मेरी समस्या का क्या?"

मार्को ने अपना हाथ छुड़ाने हुए धीरे से कहा।

" अरे मैं बात करता हूं ना। पहले यह देख लेते हैं की परेशानी क्या है फिर तुम्हारी बात भी निकालेंगे।"

" नहीं आज मिला है मुझे काला कोबरा फिर नहीं मिला तो। मैं भी साथ में आना चाहता हूं।"

मार्को ने एक नजर दिलावर को देखा और फिर सोचते हुए साथ में चलने का इशारा किया। दिलावर ने देखा की सबसे पहले काला कोबरा की कार चल रही थी और उसके पीछे दो और कार और आखरी में वह और मार्को जा रहे थे। जब काला कोबरा की कार यहां आई थी तो वह अकेली थी उसके साथ कोई भी नहीं था यहां तक की ड्राइव भी वह खुद अकेला ही कार ड्राइव रहा था। लेकिन यहां से वहां जाते वक्त इतने लोग क्यों जा रहे थे? लेकिन इस वक्त दिलावर ने उसे बात पर ध्यान नहीं दिया और चुपचाप बैठ गया।

कुछ देर बाद वह लोग उसी जगह पर पहुंचे जहां पर खुदाई का काम चालू था। काला कोबरा ने देखा कि खड़ा खुदा हुआ है सांपों का पिंजरा भी वहीं पर है लेकिन सांपों की जली हुई लाश वहां पर नहीं थी। उसने आसपास देखा तो कुछ दूरी पर तीन खुदाई करने वाले लोग और उसका साथी बुलेट बेहोश पड़े थे। 

काला कोबरा ने उसके आदमियों की तरफ देखा और सब ने जाकर उनको होश में लाने की कोशिश की। बुलेट ने अपनी आंखें खोली लेकिन वह पूरी तरह से आंख खोल नहीं पा रहा था। काला कोबरा को अपने सामने देखकर उसने सिर्फ इतना ही कहा।

" वह आदमी और उसकी पीली आंखें..."

क्या दिलावर काला कोबरा को बता देगा की उसने नागेंद्र की भी पीली आंखों देखी थी? आखिर यह माया कौन है और नागेंद्र ने उसकी किसी भी बात का विरोध क्यों नहीं किया? क्या सच में माया नागेंद्र की

कोई दोस्त थी जो उसकी मदद करने आ गई थी या फिर वह कोई और ही थी?