नाग गुरु ने नागेंद्र को शिक्षा के रूप में एक स्थान पर वहां मौजूद सर्पो की मदद करने के लिए कहा। नागेंद्र उसके लिए मान गया वहीं दूसरी तरफ दिलावर सिंह को शक होने लगा किउसके परिवार के साथ कुछ हो रहा है इसीलिए उसने मार्को को फोन किया। मार्को एक ऐसी कल्ट का हिस्सा था जो काला जादू करता था।
" मार्को मुझे तुम्हारी मदद चाहिए।"
फोन रिसीव होते ही दिलावर सिंह ने कहा। दिलावर ने काफी समय के बाद मार्को को फोन किया था। उसने दो-तीन बार मार्को से वशीकरण करने के लिए कुछ सामान लिया था लेकिन वह अवनी पर कुछ काम नहीं आया था। उस वक्त से दिलावर ने कभी भी मार्को से कोंटेक्ट नहीं किया था। आज काफी समय के बाद उसने कॉल लगाया था इसलिए सामने से आवाज आई जो काफी खुर्ददिली सी थी।
" दिलावर काफी समय के बाद फोन किया है तुमने। क्या तुम फिर से उस लड़की को पाना चाहते हो? मैं तुम्हारी मदद तो करूंगा लेकिन तुम जानते हो कि तुम्हें क्या करना है।"
दिलावर ने उसकी बात खत्म होने पर तुरंत जवाब दिया।
" मार्को बाद उसे लड़के की नहीं है आज बात कुछ और है।"
कहते हुए दिलावर ने उसके साथ जो कुछ भी हुआ और उसके पिता जो नींद में बड़बड़ा रहे थे वह सारी बात बताई। मार्को एक भी शब्द कहे बिना चुपचाप पूरी बात सुनता रहा। पूरी बात खत्म होने के बाद उसने कहा।
" देखो इस तरह से बात सुनकर तुम्हें कुछ नहीं कह सकता इसके लिए तुम्हें मुझसे मिलना होगा। तुम जानते हो कि तुम्हें कहां आना है जल्दी से आ जाओ।"
बात करने के बाद फोन कट गया और दिलावर ने घड़ी की तरफ देखा जहां अब रात के 12:30 बज रहे थे। दिलावर आज मां के फोन से जल्दी आ गया था वरना रोज उसका आना तीन या चार बजे का ही रहता था। वह अपनी जगह से उठा और वहां से जाने लगा। उसने देखा कि उसकी मां सोफे पर ही सो गई है लेकिन उसने उसे जगाया नहीं।
करीब 1 घंटे के बाद वह एक भीड़ भाड़ वाली जगह पर पहुंच गया। सामने एक जाना माना डिस्को क्लब था। काफी कपल अंदर जा रहे थे और कुछ लोग बाहर आ रहे थे। सारे कपल एक दूसरे से चिपके हुए थे और प्यार भरी बातें करते हुए वहां से निकल रहे थे।
इन सबको नजर अंदाज करते हुए दिलावर अंदर की तरफ जाने लगा जहां पर बाउंसर ने उनको रोक दिया।
" सर यहां पर सिर्फ कपल अलाउड है।"
दिलावर ने बिना कुछ कहे अपनी जेब से एक कार्ड निकाल जिसमें एक बड़ा सा डायमंड बना हुआ था और उसके अंदर काली नाग की शक्ल बनी हुई थी। जिसे देखकर वह बाउंसर कुछ समझा नहीं इसीलिए वह दिलावर को वहां से जाने को खाने वाला था लेकिन उसके पहले ही पीछे से किसी ने आकर कहा।
" माफ करना सर यह नहीं आया है इसे कुछ नहीं पता। आप अंदर चले जाइए।"
दिलावर ने उसे कार्ड को वापस अपनी जेब में रखा और अंदर चला गया। जिस बाउंसर ने दिलावर को रोका था वह कुछ दिनों पहले ही यहां पर जॉइन हुआ था इसलिए उसे इन सब चीजों के बारे में कुछ नहीं पता था। उसे सिर्फ वह नियम पता थे जो आम लोगों के लिए है। दूसरा बाउंसर जो अभी आया था उसने उसको समझाना शुरू किया कि अगर किसी के हाथ में इसी तरह का कोई कार्ड दिखे तो उसे अंदर जाने देना।
दिलावर सिंह जब उसे क्लब के अंदर गया तो काफी कपल वहां पर मौजूद थे। कोने में लड़की लड़कियां डांस कर रहे थे और काफी लाउड म्यूजिक बज रहा था। एक तरफ कोने में बीयर बार था जिसमें कई लोग बैठकर शराब का आनंद ले रहे थे। काफी खूबसूरत लड़कियां लड़कों को रिझा रही थी।
अगर कोई और दिन होता तो दिलावर से इस जगह पर बैठ जाता लेकिन इस वक्त उसे किसी और चीज का काम था इसलिए इन सबको इग्नोर करके वह क्लब के दाहिने तरफ जाने लगा। दाहिनी तरफ एक लंबी गली आ रही थी और गली-गली के और में एक बंद कमरा था। दिलावर से उसे कमरे में गया जो की पूरी तरह से खाली था।
उसे कमरे के एक दूसरे दरवाजे में गया और जैसे ही उसने दरवाजा खुला अंदर और भी कई सारे कमरे थे। जैसा महल बाहर था अंदर भी कुछ वैसा ही था बस यहां पर लाउड म्यूजिक नहीं बज रहा था। लड़की और लड़कियां किसी पाउडर जैसी चीज को इन्हेल कर रहे थे।
दिलावर यहां पर भी नहीं रुका और सबसे आखरी के कमरे में चला गया जहां पर कुछ लोग बैठे हुए थे। जैसे ही दिलावर दरवाजा खोल के अंतर्गत एक लड़का क्योंकि उसी की उम्र का था उसने हाथ दिखाते हुए कहा।
" आखिर तुम आ ही गए दिलावर। आओ बैठो हम आपका इंतजार कर रहे थे।"
वह आदमी कोई और नहीं मार्को था। मार्को अपनी जगह से खड़ा हुआ और वहां पर मौजूद बाकी लोगों की तरफ देखकर कहा।
" आप लोग बैठे हमें बहुत जरूरी काम है।"
कहते हुएवह दिलावर के पास आया और दिलावर का हाथ पकड़ कर वहां से ले जाने लगा। रास्ते में चलते हुए मार्को ने पूछा।
" दिलावर सिंह तुमने कहा था कि तुमने उसकी आंखों देखी थी। क्या तुम उसके बारे में डिटेल में बता सकते हो?"
दिलावर सिंह ने चलते हुए ही जवाब दिया।
" हां अच्छे से बता सकता हूं वह कैसी आंखें थी। पापा भी कुछ ऐसा ही बता रहे थे मुझे लगता है उन्होंने भी कुछ इसी तरह की आंखों देखी होगी।"
दिलावर ने अपने आसपास देखा और फिर पूछा।
" मार्को काला कोबरा नहीं दिख रहे। क्या वह कहीं बाहर गए हैं?"
मार्को ने दिलावर के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
" काला कोबरा आजकल बहुत जरूरी काम में बिजी है। वह एक छोटे से मंदिर में कुछ ढूंढ रहे हैं इसलिए वहां पर एक अनुष्ठान कर रहे हैं।"
" किस तरह का अनुष्ठान? वहां पर ऐसी कौन सी चीज है जिसके लिए खुद काला कोबरा गए हुए हैं?"
दिलावर के इस सवाल पर मार्को ने मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखा और कहा।
" दिलावर इन सब बातों के लिए तुम अभी बच्चे हो। तुम फिकर मत करो काला कोबरा 2 घंटे में यहां पहुंचने वाले हैं। वह यह सारे काम रात को करते हैं दिन में हमारे आदमी लोग वहां पर जाते हैं। तुम तो जानते हो की काला कोबरा कभी किसी के सामने नहीं जाते। लेकिन इतनी बात तो पक्की है कि तुम्हें जिस सवाल का जवाब चाहिए उनके जवाब उनके पास होंगे ही।"
नागेंद्र इस वक्त सो रहा था जहां पर उसकी आंखों में तेज रोशनी गिर रही थी। आंखों में आई तेज रोशनी के कारण उसकी नींद बार-बार डिस्टर्ब हो रही थी। उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ किया लेकिन फिर भी रोशनी उसकी आंखों को परेशान कर रही थी। जब उसे ज्यादा ही परेशानी होने लगी तब वह अपनी आंखें खोल कर उठकर बैठ गया।
जैसे ही वोट कर बैठा उसकी आंखों के सामने वह नीलमणि आ गया। इस वक्त वह नीलमणी हवा में उड़ रहा था और नागेंद्र की आंखों के सामने था। उसमें से नीले रंग की रोशनी निकल रही थी। पहले तो नागेंद्र को कुछ समझ नहीं आया लेकिन फिर उसे याद आया कि नाग गुरु ने उसे बताया था कि यह नीलमणी हमेशा उसकी रास्ता दिखाएगी। नगेंद्र ने उसे अपने हाथ में लिया और उसे अलग-अलग कर देखने लगा क्योंकि उसे समझ नहीं आ रहा था जब उसे क्या करना चाहिए।
" देखो मैं यह तो समझ रहा हूं कि तुम मुझेकुछ बताने की कोशिश कर रहे हो लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा कि मुझे पता कैसे चलेगा कि तुम क्या कह रहे हो।"
नगेंद्र ने इतना कहा ही था कि उसे मणी में से एक रोशनी की लकीर दरवाजे की तरफ जाने लगी। वह समझ गया कि यह मणी उसे किसी जगह पर ले जाना चाहती है। बिना समय गंवाए नागेंद्र अपनी जगह से उठ गया और जल्दी से अपनी स्कूटी की चाबी उठा ली। वह उसे दिशा में जाने लगा जहां पर वह रोशनी की लकीर जा रही थी।
अपने कमरे में सो रही थी और बंद आंखों में उसे एक बड़ा सा तीन सर वाला नाग दिखाई दे रहा था। उसे ऐसा लग रहा था कि उसके पूरे शरीर में सांप लोट रहे हैं। तभी उसे अपनी सीधे हाथ की हथेली पर किसी का स्पर्श महसूस हुआ।
" नहीं।"
कहते हुए अवनी उठकर बैठ गई। यह सपना हर रात को उसे आता था जिसके कारण वह ठीक से सो नहीं पाती थी। जब भी वह सोई थी उसे सपने में तीन सर वाला सांप दिखाई देता था। बार-बार उसे ऐसा लगता था कि सीधे हाथ की हथेली में किसी ने उसे छुआ है।
अवनी का पूरा शरीर पसीने से तरबतर हो चुका था। उसने अपना पसीना पूछा और उठकर खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गई। अभी पैसे की तंगी के कारण उनके कमरों में ऐसी लगा तो हुआ था लेकिन वह चालू नहीं था। खिड़की खोलकर ठंडी हवा जब उसे छूने लगी तब उसे कुछ अच्छा महसूस हुआ।
उसने अपने दोनों हाथ बांधे और खिड़की के बाहर से आती हुई ठंडी हवा को महसूस करने लगी। तभी उसकी नजर बाहर रास्ते में गई। उसे ऐसा लगा कि अभी-अभी उसने नागेंद्र को घर से बाहर जाते हुए देखा है।
आखिर नीलमणि उसे कहां लेकर जा रही थी? यह काला कोबरा कौन है और वह किसी जरूरी काम को कर रहा है? अवनी को बार-बार आते हुए उसे सपना का मतलब क्या है?