Jungle - 28 in Hindi Thriller by Neeraj Sharma books and stories PDF | जंगल - भाग 28

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जंगल - भाग 28

 --------------  देश के दुश्मन ------------

                    ( 7)

                    वास्तव को रिंगटोन पे मिसिज मिला... ये संगीना का था। " भाई साहब लोग हमें मार देंगे,अगर समय पे कुछ न किया तो। " हम कश्मीर मे हैं... "पक्का पता नहीं... "  चुप था हर किरदार।

               तभी वास्तव ने राहुल से कहा " मैसेज आया हैं, टेप हो कर। लिखा हुआ हैं।  "कुछ करो, मार देंगे हमें।" राहुल गंभीर था। तभी सगीना का फोन आया।

" हेलो, मै सगीना हू, सर। " 

"--हम बंद हैं एक काल कोठड़ी मे, अंधेरा ही अंधेरा हैं, सर।" फिर वो रोने लगी। तभी फोन पकड़ा एक बाड़ी बिल्डर ने " चूहें बाहर निकल, आ बताते हैं, कश्मीर आ। " तभी गुसे से बोला राहुल, " कश्मीर आऊ, हरामजादे ज़ब भी आया भागने नहीं दुगा... देखे गे चूहा कौन हैं " 

वास्तव ने इशारा किया, अड्रेस पूछने को, " चूहा बिल्ली का खेल तो तब चले गा, ज़ब हम पहुँचे गे " राहुल ने नाक सिकोड़ के कहा।

                "-- अड्रेस पिल्ले नोट कर.... लखिर लड़ाख... बर्फ मे जम जायेगा..." 

" ---कुत्ते की मौत आती हैं, तो जगल मे आग लगानी लाज़मी होता हैं...राहुल ने जोर से कहा.... और फोन खुद पटक दिया।  राहुल ने वास्तव को दो पेग बनाने को कहा.... और वो लाश को ठिकाने लगाने की सोचने लगे। जो वास्तव के घर पर थी। 

तभी बेल वजी। टीवी कैमरे मे दो आदमी और माया दिखी। वास्तव ने पेग जल्दी बनाये...

" ये कयो धमक पड़ी... वास्तव " हलक मे उड़ेल के वास्तव ने उसे पकड़ा दिया पेग... जो छलक रहा था। वास्तव ने कहा... " ये दो बंदे कौन हैं " हसते हुए राहुल ने कहा... " पता नहीं साली किस बिल से ले आयी ये " 

वास्तव ने कहा..." मै कया करू... राहुल जी। " 

तुम पिछले दरवाजे से खिसको, तुम्हे देख भड़के गी..." वास्तव बोला अचनचेत "-----ये बंदे कोई नुकसान पहुंचाने को आये हुए तो... "  राहुल बोला धीरे से... " एक पेग और बनाओ " विस्की की बोतल खाली हो चुकी थी। " राहुल अचनचेत बोला " वास्तव तुम निकलो... लाश को ठिकाने लगा ने का सोचो, मैं आता हू... निबटा लू इनको... " 

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             तभी माया ने कहा ----"बड़ी देर लगा दी.... तुमने। " राहुल की मेज के सामने दो पेग देख, सिकोड़ कर भौहे कहा, " आज किससे लगे हुए थे बाते करने... " -----! राहुल ने एक दम से हसते हुए कहा, " निशाने बहुत लगाते हो... जनाब.. " राहुल ने नयी विस्की की बोतल उठ कर निकाली आइसस्ट्रा से... " बनाओ तीन पेग " माया ने विस्की का कारक तोड़ते हुए कहा.. " ये जीवत प्राणी जानते हो राहुल महाराज। " हसते  हुए न मै सिर मारते हुए कहा, " नहीं शायद  "। माया हस पड़ी..." सच मे "  राहुल बोला, " कोई शक की गुजायश। " 

 तभी रिंगटोन वही अंग्रेजी अलाप गुजा... " अरे कमीने अभी तुम औलाद का सोचे नहीं हो " ये आवाज़ बड़ी भावक यही थी। राहुल बोला " अरे ओ झोपडी के गरीब लोगों, औलाद को घड़ीस ते हो, सालो... कमीनो... सीधा जिजे से पंगा लो "  उधर से भारी सी आवाज़ आयी... " अरे ओह, विचकोड़ी की गंदी जिनस, कल शाम तक एक की लाश तेरो को अपड़ता करेंगे, पठान की औलाद हू, झूठ नहीं बोलता.... " राहुल ने फोन टपका दिया था। वो पता नहीं कया सोच रहा था। 🙏🏻

             ( चलदा )               ( नीरज शर्मा )