यह कहानी एक सुंदर और बुद्धिमान राजकुमारी चंद्रप्रभा की है, जो नौगढ़ के राजा वज्रकेतु की पुत्री थी। उसकी सुंदरता इतनी अद्वितीय थी कि स्वर्ग की अप्सराएँ भी उसके सामने फीकी लगतीं। परंतु सौंदर्य के साथ-साथ वह अत्यंत बुद्धिमान भी थी, और इसी कारण उसने प्रण किया था कि जो राजकुमार उसके 10 प्रश्नों के सही उत्तर देगा और चौसर के खेल में उसे पराजित करेगा, उसी से वह विवाह करेगी। अन्यथा, वह आजीवन अविवाहित रहेगी और सोचेगी कि भगवान ने उसकी टक्कर का कोई पुरुष बनाया ही नहीं।
चंद्रप्रभा का एक और नियम था। जो भी राजकुमार परीक्षा में असफल होगा, उसे जीवनभर कारावास में रहना होगा। वह नहीं चाहती थी कि कोई केवल उसकी सुंदरता निहारने आए और फिर असफल होने पर बाहर जाकर उसका बखान करे। उसका मानना था कि जिसने एक बार उसे देख लिया, वह या तो उसका पति बनेगा या फिर कैदी।
अनेक राजकुमारों ने अपनी बुद्धि पर गर्व करते हुए इस चुनौती को स्वीकार किया, परंतु वे सब विफल होकर कैदी बन गए। लेकिन एक दिन ऐसा हुआ जो पहले कभी नहीं हुआ था। एक राजकुमार किसी तरह उसके कैदखाने से भाग निकला। जंगल में भटकते हुए वह बड़बड़ाने लगा, "हे भगवान! या तो मुझे मार डालो या चंद्रप्रभा के दर्शन करा दो। बिना उसके यह जीवन बेकार है।"
भटकते-भटकते वह चंद्रावती नगर के बाहर आ पहुँचा, जहाँ उसी समय राजा वीरभान शिकार खेलते हुए वहाँ आए। उन्होंने उस राजकुमार की दयनीय स्थिति देखकर पूछा, "वत्स, तुम्हें क्या कष्ट है?" राजकुमार ने अपने दुख की कथा उन्हें सुना दी।
राजा वीरभान, जो गुरु गोरखनाथ के शिष्य थे, उसे अपने राजमहल ले गए और फिर अपनी सबसे बड़ी बुद्धिमान संपत्ति। अपने बोलने वाले मिठ्ठू तोते। से परामर्श किया। मिठ्ठू तोते ने कहा, "राजन, स्त्रियों के मोह में पड़कर अपना जीवन व्यर्थ मत करो। चंद्रप्रभा केवल बाहर से सुंदर है, भीतर से अहंकारी।" लेकिन जब राजकुमार नहीं माना, तो राजा वीरभान ने कहा, "यदि यही तुम्हारी इच्छा है, तो मैं स्वयं जाकर राजकुमारी के 10 प्रश्नों का उत्तर दूँगा।"
लेकिन मिठ्ठू तोते ने उन्हें रोका, "पहले मुझे जाने दीजिए, यह देखने कि सच में नौगढ़ और राजकुमारी चंद्रप्रभा है भी या नहीं।" राजा ने सहमति दी और मिठ्ठू तोता उड़ चला।
कई दिनों बाद, वह राजकुमारी चंद्रप्रभा के महल पहुँचा। उसकी अद्भुत सुंदरता देखकर चंद्रप्रभा चकित रह गई और उसने पूछा, "हे तोते, तुम कौन हो?"
तोते ने उत्तर दिया, "मैं चंद्रावती के राजा वीरभान का संदेशवाहक हूँ और यह देखने आया हूँ कि क्या वास्तव में ऐसी कोई राजकुमारी है। परंतु तुम इतनी उदास क्यों हो?"
राजकुमारी सोचने लगी कि यह तोता नहीं, बल्कि कोई राजकुमार मंत्रबल से तोता बना है। उसने कपट भरी मुस्कान के साथ तोते को अपने पास बुलाकर पकड़ लिया और आदेश दिया, "इसे मार डालो!"
लेकिन मिठ्ठू तोते ने चतुराई से कहा, "हे रानी, मुझे मत मारो! मैं तंत्र-मंत्र जानता हूँ और तुम्हें सिखा सकता हूँ।"
राजकुमारी ने सभी दासियों को हटाकर मंत्र सुनने के लिए सिर झुकाया, और उसी क्षण तोते ने उसके गाल पर चोंच मार दी और उड़कर खिड़की पर जा बैठा। क्रोध में भरकर चंद्रप्रभा ने बाज बुलवाया, लेकिन तब तक तोता वहाँ से उड़ चुका था।
कई दिनों बाद वह राजा वीरभान के पास पहुँचा और पूरी घटना सुनाई। राजा वीरभान ने कहा, "अब मैं स्वयं वहाँ जाकर राजकुमारी से निपटूँगा।"
वह नौगढ़ पहुँचे और राजकुमारी से भेंट की। जब 10 प्रश्नों की परीक्षा शुरू हुई, तो राजा वीरभान ने एक-एक कर सभी प्रश्नों के सही उत्तर दिए। उनकी बुद्धिमत्ता से प्रभावित होकर चंद्रप्रभा ने उन्हें अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया।
इस प्रकार राजा वीरभान ने न केवल राजकुमारी को जीता, बल्कि उसका घमंड भी तोड़ दिया।