विराट श्लोक को अपने केबिन से जाने के लिए इशारा करता है तो श्लोक एक तिरछी नजर जानवी पर डालकर वहां से चला गया।
"वो बनने की कोशिश मत कर जो तू नहीं है और कोशिश भी करेगी तो बन नहीं पाएगी, इसलिए वही रहे जो तू है ।"कहकर विराट जानवी को छोड़ देता है और नीचे फर्श पर फाइल्स को उठाते हुए बिना किसी भाव के बोला.... "4 दिन बाद शादी है मेरी और तपस्या रायचंद की । इस दिन के लिए 12 साल से इंतजार किया है मैं अगर तेरी वजह से कुछ भी ऐसा हुआ जो
"ये शादी बस एक बदला है या और कुछ ?"विराट की बातों को आधे में काटते हुए जानवी ने पूछा।
विराट अभी भी बिना किसी भाव फाइल उठा कर टेबल पर रखते हुए...."वो मायने नहीं रखता है ना ही तुझे बताना जरूरी समझता हूं।"कहते हुए वो रुका और जानवी के तरफ मुड़कर खड़ा हो गया।
जानवी बस उसे देख रही थी। उसने जानवी के गले पर बेपरवाह से पड़े उसके दुपट्टे को ठीक से उसके सीने पर रखते हुए बोला...."तुझे देखकर बहक ता नहीं हूं मैं बस जो अपने अंदर उन केलिये गुस्सा और नफरत है खुद को बदकिरदार बनाकर उतार ता हूं कि उन्हें तकलीफ दे सकूं के उन्हें जलन हो और उन्हें भी वही दर्द महसूस हो जो मुझे महसूस होता है... और ये बात तू जानती है।."कहते हुए वो जानवी के चेहरे पर पड़े बालों को कानों के पीछे करता है और उसके माथे से बिंदी निकाल ते हुए मुस्कुरा कर बोला......"ये बिंदी तभी मुझे बहका सकती है जब ये उनके माथे पर चमकती है।"
बोलकर वो वहां से जाने लगा तो जानवी उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए बोली...."तू मेरे पागलपन के हद को जानता है।"विराट अचानक उसके और पलट कर उसे खींचकर अपने करीब करते हुए दांत पीसकर......"श्लोक हमेशा से रोकता था मुझे । चिढ़ता था तुमसे । समझ में नहीं आता था कि क्यों । अब समझ में आ रहा है।"
जानवी विराट को उसीके लहजे से देखते हुए और सर्द आवाज में पूछने लगी....."अच्छा तो ऐसा क्या समझ में आ गया तुम्हें इन कुछ दिनों में?"विराट उसे खुद से थोड़ा दूर करते हुए......."मुझे लगा था कि तू समझती है मुझे लगा था कि मेरे हर दर्द से वाकिफ है तो जितना प्यार मैं अपने परिवार से करता हूं तू भी करती है लेकिन नहीं तू तो मुझे पाने के लिए उनके साथ गेम खेलने से भी बाज नहीं आएगी । अच्छा गेम खेलती है अपने गेम में परी दी को भी शामिल कर लिया जो खुद अपने होश में है ही नहीं।"
बोलकर वो जा ही रहा था कि जानवी चीखते हुए...."हां खिला है गेम मैंने किया है इस्तेमाल आगे भी जब भी जरूरत पड़ेगी तुझे पाने के लिए वो सब कुछ करूंगी मैं सही गलत कुछ नहीं जानती। जानती थी मैं कि वो तपस्या आएगी तो तुझे बहका देगी।"
"मुझे बहकने के लिए उनका मेरे सामने होना जरूरी नहीं है उनका एहसास ही काफी है जो तू नहीं समझेगी। क्यों के तेरा प्यार बस बिस्तर तक है"
विराट ने बिल्कुल शांत अंदाज में कहा।जानवी गुस्से और नफरत से चिढ़ ते हुए....."तब क्या होगा जब तेरी प्रिंसेस को ये पता चलेगा की जिसके साथ वो अपने जिंदगी जीने के सपने देख रही है वो तो वो है ही नहीं । उसका तो पूरा वजूद ही अलग है ।तब क्या होगा जब उसे ये पता चलेगा कि उस के हाथ तो तुम उसकी पूरी खानदान की बर्बादी करना चाहते हो ? "
उसकी बात सुनकर विराट कुछ बोल ही रहा था की जानवी उसे रोकते हुए......"ये तो थी तपस्या की बात सोच कल को जब परी दी ठीक हो जाएंगी? क्या जवाब देगा उन्हें कि जिन लोगों ने उनके साथ इतना कुछ किया जिनके वजह से आज तुम दोनों के बाबा तुम दोनों के साथ नहीं है जिन लोगों को तुमने बर्बाद करने की कसम खाई थी तुम तो उनके घर की लड़की से शादी कर उसके साथ प्यार भरी जिंदगी गुजारने के सपने देख रहा है?"
कहते हुए वो रुकी और एक शैतानी स्माइल होठों पर लाते हुए बोली....."इतना आसान नहीं है विराट तुम दोनों का मिलना। इतना भी आसान नहीं है। तूने ही कहा था ना जिंदगी पल भर में पलट सकती है और अभी तो तुम दोनों की शादी को चार दिन बाकी है बीच में कुछ भी हो सकता है कभी भी हो सकता है।" बोलकर वो हंसने लगी।
"यू आर राइट जान। "
जानवी की बात पूरी होते हुए ही विराट ने कहा।
"यू आर अब्सोल्युटली राइट जान ।4 दिन में कुछ भी हो सकता है। वैसे भी विराट अग्निहोत्री के पास दुश्मनों की कमी नहीं है ।"कहते हुए उसकी नजर जानवी के नजरों पर टिकी हुई थी। वो मुस्कराया और बोला"थैंक यू।" और पलट कर जाने लगा।जानवी उसे रोक कर "थैंक्यू किस बात के लिए?"विराट चलते-चलते ही बोला"इस बात का एहसास दिलाने के लिए कि मुझे चार दिन तक वेट नहीं करना चाहिए।"विराट बोला और इससे पहले के जानवी कुछ बोल या समझ पाती वहां से चला गया।
दूसरे और रायचंद हाउस में
चार दिन बाद होने वाली शादी की जोर-जोर से तैयारी चल रही थी ।और कल से होने वाली हल्दी की रस्मों के लिए हाल में ही बैठे चित्रा जी सरगम और तनु साड़ियां और ज्वेलरी देखने में बिजी थे। वही तपस्या सोफे पर बैठी बस विराट के ख्यालों में ही खोई हुई थी।
तनु उसके ऊपर एक पीला साड़ी डालते हुए...."दीदी देखिए ना ये हल्दी के लिए कैसी रहेगी?"तपस्या चिढ़ ते हुए अपने ऊपर से वो साड़ी हटाकर....."क्यों परेशान कर रही है जो तुझे पसंद आए पहन लेना।"
तनु आंखें छोटी करते हुए..."दीदी शादी और हल्दी आपकी है मेरी नहीं। आपको पहनाना है।"
तपस्या अपने ख्यालों से बाहर आकर मायूसी से....."कुछ भी चूज कर ले क्या फर्क पड़ता है।"
चित्रा जी जो काफी देर से तपस्या की बातें देख और सुन रही थी उठकर उसके पास आते हुए..... "दादू नाराज है इसके लिए इतने मायूस हो या कोई और बात है बेटा?"
तपस्या कुछ बोलती उससे पहले ही अभय जो तपस्या की ओर चलकर आ ही रहा था सर्द आवाज में बोला....."दोनों ही सूरत में आप कुछ भी नहीं कर सकती मां।"कहते हुए वो तपस्या के करीब झुका और प्यार से बोला....."आर यू अलराइट प्रिंसेस।"
तपस्या सिर हिलाते हुए हां में जवाब देती है और उठकर वहां से जाने लगी तो अभय उसके कंधे पर हाथ रख उसके साथ ही चलते हुए......"क्या हुआ हमारे होने वाले जीजा कहीं हिटलर रायचंद से डर तो नहीं गए?"
तपस्या थोड़ा इतराकर और थोड़ा नखरे से....."वो किसी से भी नहीं डरते हैं।"अभय सर टेढ़ा किए उसे देख मुस्कुराते हुए....."अरे वाह इतना दबंग गिरी । कौन है वो जरा हमें भी मिलाएं , उसके पैर पकड़ लेते हैं हम।"
तपस्या मुड़कर अभय को गले लगाते हुए...."आप हमारे बड़े भाई हैं आपको किसी के पैर पकड़ने की जरूरत नहीं है ये सच है कि हम उनसे बहुत प्यार करते हैं लेकिन आपसे ज्यादा नहीं।"
अभय उसके माथे से अपना माथा टकराते हुए....."hmmm ये तो वक्त ही बताएगा।"
तपस्या कुछ बोलने ही वाली थी फोन रिंग के आवाज से उसने अपना हाथ में पड़े फोन की तरफ देखा और झट से हाथ पीछे करते हुए बोली...."भाई हम आपसे बाद में बात करते हैं ।"
बोलकर भागने लगे तो अभय उसका हाथ पकड़ कर....."जीजा जी से हमें भी बात करवा दीजिए हम बड़े भाई हैं आपके हम भी तो देखे उस गधे सिद्धार्थ को छोड़कर किस सेर को चुना है हमारी बहन ने।"
तपस्या इतराते हुए....."चार दिन बाद मंडप पर ही देख लीजिएगा।"बोलकर वो अपने कमरे की तरफ भाग गई और अपने कमरे का दरवाजा बंद कर वही टिक्कर खड़े हुए खुद को संभाल कर फोन उठाकर........"Hmmm बोलिए।"
दूसरी ओर से विराट गाड़ी ड्राइव कर ते हुए गहरी आवाज में....."कुछ ज्यादा ही बिजी है आप अपनी हल्दी के रसम के लिए?"
तपस्या अपनी बेड की तरफ जाते हुए बेड पर पूरी तरह से फेल कर लेट गई और बुझी हुई आवाज में बोली......."आप बस ताने ही मार लीजिए हमें ।हमारे दिल पर क्या बीत रही है इस वक्त हम ही जानते हैं बस।"
विराट तिरछा मुस्कुराते हुए....."क्या बीत रही है आपके दिल पर?"
तपस्या पलट कर पेट के बल लेट कर फोन अपने होठों के पास लाकर....."पहली बात आपसे हम बस 6 /7 दिन पहले ही मिले हैं और आपके लिए पागल हुए जा रहे हैं जैसे आपका ही इंतजार हम जन्मो जन्म से कर रहे थे।"
विराट के होठों पर एक खुलकर मुस्कान आ गई और वो बोला..... "और दूसरी बात क्या?"
तपस्या अपने ही धुन में बोली...."हर एक बीते हुए पल के साथ डर बढ़ता ही जा रहा है ये हल्दी मेहंदी शादी के प्रिपरेशन और ये शादी के कार्ड पर हमारे और सिद्धार्थ का नाम
दो टुकड़े किए हुए सिद्धार्थ और तपस्या के कार्ड जो तपस्या के बेड पर ही पड़े हुए थे तपस्या उसे कार्ड को देखते हुए चिढ़ कर बोली।
दूसरी तरफ से विराट एकदम से एक्सप्रेशनलैस हो कर बोला....."क्या क्या चाहती है आप?" उसकी बात सुनकर तपस्या गुस्से से चिढ़ ते हुए अपना माथा बेड पर ही मारते हुए......"आपसे बात करना मतलब दीवार पर सर पटकना।"
"आपसे आपकी ख्वाहिश पूछ रहे हैं प्रिंसेस, कुछ भी मांग लीजिए विराट अग्निहोत्री अपने जुबान से पलटता नहीं।"
विराट बोलते हुए गाड़ी एक जगह पर साइड करते हुए रोक लेता है।तपस्या अपने फोन को अपने सीने के पास लाकर धीमी आवाज में......"अच्छा नहीं लग रहाहे कुछ भी । बार-बार सिद्धार्थ के साथ हमारा नाम जुड़ना ये शादी का कार्ड घर में सिद्धार्थ के साथ हमारे रस्मो की बातें ये सब तैयारी कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है ।डर लग रहा है बहुत मन कर रहा है कि सब कुछ छोड़-छाड़ के अभी आपकी बन जाएं ।हमेशा के लिए हमारा नाम आपके साथ जुड़ जाए।"
विराट गाड़ी से बाहर निकलकर सामने की तरफ देखते हुए......"एक एड्रेस भेज रहा हूं प्रिंसेस जल्दी आ जाइए।"
तपस्या जो अपने आप में ही खोए हुए बस बोले ही जा रही थी एकदम से होश में आकर...."कहां और क्यों?"
विराट बिना किसी भाव......"कहां उसका पता मैंने भेज दिया है आपके मोबाइल पर और क्यों आपके यहां आने के बाद ही पता चलेगा।"कहते ही उसने फोन कट कर दिया।
तपस्या को फोन करते हुए आधा घंटा हो चुका था। विराट एक सुनसान सड़क के पास अपने गाड़ी से टिक्कर खड़ा हुआ तपस्या का ही वैट कर रहा था के किसीने उसके आखों में अपना हाथ रख लिया। विराट के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई।उसने कुछ नही कहा और यूं ही खड़ा रहा। उसे चुप चाप देख एक हल्के गुस्से और मासूमियत से भरी हुई आवाज आई......"पहचान लिए है या नहीं इतना तो बता ही सकते है ना"
विराट यूं ही मुस्कुराते हुए....."आप को पहचानने केलिए मुझे आप को देखने की जरूरत है क्या?"बोलकर वो तपस्या के हाथ जो उसके आंखों के ऊपर थे पकड़ कर अपनी सामने खड़ी कर देता है।और अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर डाल कर उसे अपने करीब खींच कर सराराती अंदाज में देखते हुए बोला....."आप के प्यार का नशा कुछ इसकादर छाया है के अगर सांस भी लूं तो खुशबू आप की ही अति है।"बोलते हुए विराट उसके होठों के करीब बढ़ने लगा।
तपस्या उसके होठों पर हाथ रख उसे रोकते हुए....."हम इतने टेंशन में हैं ओर आप को किस्स की पड़ी है।"
विराट उसके हाथों को चूम ते हुए पकड़ कर अपने साथ लेजाने लगा। तपस्या उसके साथ चलते ही....."कहां जा रहे है हम? हम घर पर किसीको कुछ बता
तपस्या बोल ही रही थी के विराट उसे एक ही झटके में अपने बाहों में उठा लेता है। तपस्या आंखे बड़ी करते हुए....."ये क्या कर रहे है आप? नीचे उतारिए हमे । कोई देखेगा तो क्या सोचेगा?"
विराट उसके होठों को चूम कर उसे चुप करवाते हुए....."Shhh प्रिंसेस जल्दी चलिए पंडित जी वेट कर रहे हैं। आप का बकबक में शादी के बाद सुनलुंगा।"
तपस्या आंखे बड़ी करते हुए....."किसकी शादी?"
विराट तपस्या को बाहों में भरे मंदिर की सीढ़ी चढ़ ते हुए...."शादी मुबारक हो mrs तपस्या विराट अग्निहोत्री।इस पल के बाद से आप के तन मन आप के हर एहसास पर बस मेरा हक होगा।" बोलते हुए वो मंदिर के और बढ़ गया। और तपस्या बस उसे शॉक्ड हुए देखे जा रही थी।
To be continued ❤️
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