उसने शीघ्र ही मानव खंजर पर मंत्र जप कर भस्म फूका और बच्ची की ओर बढ़ने लगा। सब लोग ये देख कर सहम गए किसी के गले से आवाज़ 😱तक नहीं निकल रही थी। अब आगे,,,,
"म,,, म,,महाराज,,,वो,,,वो दुष्ट,,,वो उस बच्ची पर प्रहार करने वाला है,,,उसे रोकिए,,,😫" चौथे व्यक्ति ने हिम्मत कर जोर से चिल्लाकर कहा।
"अब कुछ नहीं कर सकते तुम,,,ये खंजर देख रहें हों,,, मानव हड्डी से बना ये खंजर,,, जैसे ही इस बच्ची के शरीर पर घाव करेगा,,,ये बच्ची काल देवता के शरण में समर्पित हो जाएगी,,,कालदेवता इसी स्थान पर विराजमान होंगे,,,और तुम सब मूर्ख,,,सिर्फ देखते रह जाओगे कुछ नहीं कर पाओगे,,,कुछ नहीं,,,हा हा हा हाहाहाहा"
ये बोल कपाली अहंकारी हसी हसने लगा,,।
और खंजर से बच्ची पर वार किया,,,पर ये क्या,,,इससे पहले की खंजर बच्ची के शरीर को छू भी पाता,,उसके हाथ से खंजर छिटक कर दूर गिर गया। और उसका हाथ जलन के कारण गलने लगा।
"आआआह्ह,,,,,,😫😫😠ये क्या फेका तुमने मेरे ऊपर मूर्ख,,,," कपाली पीड़ा के मारे चीखा।
धीरे धीरे उसका शरीर जल रहा था।
क्योंकि सत्यजय ने उसके वार करने से पहले ही झोली से एक कांच की बड़ी शीशी निकालकर उसका ढक्कन खोल उसमे भरा जल उसके ऊपर फेक दिया।
ये जल कोई आम जल नही था। नष्टजल था जो एक दैवीय पर्वत नाम के पहाड़ी पर नष्टदेवी मां का मंदिर स्थापित था। जहा नष्टदेवी मां वास करती थी। वहा का मार्ग एक ऋषिवर ने उन्हें बताया था,,,की देवी मां चरणों को वही के बहती गंगा के जल से धोकर उसे लाना होगा उससे ही बुराई का नाश होगा वही तुम्हारे समस्या का समाधान है।
सत्यजय ने विजई मुस्कान लिए लेकिन
गुस्से में बोले "कहा था ना मैंने,,,तुम्हारा समय आज समाप्त होने वाला है,,,मेरे राज्य पर बुरी नजर डाल कर तुमने सही नही किया बहुत पाप किए हैं तुमने,,,कितनो मासूमों की बली चढ़ाई है,,,केवल अपने स्वार्थ में,, लेकिन अब तुम्हारे पापो का घड़ा भर चुका था जिसे हमने आज फोड़ दिया,,,तुम अपने कालदेवता को पृथ्वी पर लाना चाहते थे ना,,,देखो उसकी भक्ति करना तुम्हारा अंत बन गया"
"नहीईईई,,,,, ऐसा नहीं हो सकता,,,,,मेरा अंत ऐसे नही हो सकता,,,,आआआह्हह,,,," ये बोल वो दर्द से तड़प तड़प कर चीखे जा रहा था।
उसका पूरा शरीर गलने लगा।
वो दृश्य किसी के भी दिल में खौफ पैदा कर दे,,,उस काली अंधेरी रात में उसकी चीखें सुनकर जानवरों की भी रूह काप जाए,,,फिर वहा मौजूद लोगों का क्या हाल हो रहा होगा।
उसका भयानक रूप देख सब भयभीत होकर बच्ची को उठाया और राज्य की तरफ लौट गए। अंत उसने अपना दम तोड़ दिया,,,आखिर कार उसका अंत हो ही गया।
सत्यजय वही खड़े थे,,,और उस तांत्रिक कपाली की जल कर गली हुई शव को देखने लगे। और राहत की सास लेकर घुनमून से बोले "चलो घुनमुन,,,,महल लौट चलें,,, महारानी हमारी राह देख रही होगी" ये बोल वे घुनमून के ऊपर सवार हो गए। और चले गए राज्य की ओर,,,
महल मे प्रवेश कर उन्होंने स्नहान किया और अपने राजा वाले वस्त्र धारण किए और उनकी पत्नी "महारानी सुर्यलता" ने उनके लिए भोजन प्रस्तुत किया।
"वैसे,,,महाराज आपने उस दुष्ट को इतनी शीघ्र मृत्यु दंड क्यों दे दिया,,,? उसे कुछ वर्षो तक कारावास में सड़ने दिया होता,,,फिर चढ़ा देते सूली पर" महारानी सुर्यलता ने असमझ में कहा।
दरअसल महारानी सुर्यलता किसी राज्य की राजकुमारी नही है। ये सत्यगंज राज्य की ही एक किसान की बेटी हैं बहुत भोली भाली सी किसी कार्य की समझ नहीं किंतु समझाने पर समझती है।
असत्य और सत्य न्याय और अन्याय में बखूबी अंतर जानती है।
एक दिन महाराज जंगल की ओर सैर पर निकले थे की उनकी नजर पुष्प तोड़ रही सुर्यलता पर गई और तभी इन दोनो का मिलाप हुआ और महाराज भोली भाली सुर्यलता को अपना दिल दे बैठे।🥰
"प्रिय,,,अगर हम ऐसा न करते तो अभी हम आपके समक्ष भोजन ग्रहण☺️नही कर रहे होते,,,हम,,," सत्यजय ने इतना कहा ही था की सूर्य लता ने उनके मुख पर अपना हाथ रख दिया।
और रुआसी होकर बोली "बस्स्स,,,,हम समझ गए,,,आप हमे समझाने के लिए दुबारा ऐसे शब्द नहीं निकालेंगे वरना,,,🥺"
"वरना,,,,🤔" महाराज उनकी बात काटकर प्रेम से बोले।
तो सुर्यलता मुंह बनाए आगे बोली "वरना,,,हम आपको कारावास में बंद कर 🙄देंगे और,,,"
"और,,," महाराज ने आखें बड़ी 😲बड़ी कर के पूछा।
तो सुर्यलता बोली "और हम भी आपके साथ बंद हो जाएंगे" 🙄😤😤
उनकी बात सुनकर सत्यजय जोर से हस पड़े,,,😆🤭
"आप 😲हस रहे हैं,,, हुऊऊ,,,😤 जाइए हम आपसे रूठे है" महारानी सुर्यलता मुंह फेरते हुए बोली,,,!
"अरे,,,अगर आप रूठ गई तो हमें भोजन कौन खिलाएगा,,,?" महाराज😟 उदास हुए बोले।
"खुद खाइए ना,,,,आप बालक थोड़ी ना है" 😒महारानी उन्हे घूरते हुए बोली।
"इतना कठिन कार्य कर लौटा हु,,,हम थक चुके है प्रिय,,, खैर जाने दो कोई बात नहीं हम बाद में खा लेंगे" सत्यजय उन्हे मानने के लिए मुंह लटका कर😨 कहा।
और जैसे ही उठने का नाटक किए की महारानी ने उनका हाथ पकड़ कर नीचे बैठा दिया और अपने हाथों से उन्हे प्रेम से खिलाने लगी।
🥰 ऐसे ही दोनो प्रेम से भोजन करने लगे फिर अपने कक्ष में चले गए विश्राम करने,,,,
मिलते हैं जल्द ही next part में,,,,,💜 पर्पल यू 💜