Ishq da Mara - 62 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 62

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इश्क दा मारा - 62

गीतिका की बात सुन कर यूवी को बहुत गुस्सा आता है और वो बोलता है, "तुम ये कैसी बात कर रही हो, मैं क्या तुम्हे फ्लर्ट करने वाला लगता हूं"।

तब गीतिका बोलती है, "तो फिर उस टाइम गुस्से में कहा चले गए थे और कब से कॉल कर रही हु, उठा भी नहीं रहे है आप "।

तब यूवी गुस्से में बोलता है, "जब यकीन ही नहीं है तो प्यार क्यों किया "।

तब गीतिका बोलती है, "आप गुस्सा क्यों हो रहे हो यूवी, मैं तो बस पूछ रही हूं "।

तब यूवी बोलता है, "एक तो पहले रोना बंद करो, क्योंकि तुम्हे रोता देख कर मेरे अंदर आग लग जाती है और मेरा खून खोलने लगता है "।

तब गीतिका बोलती है, "एक तो सुबह से कॉल नहीं उठा रहे हैं, तो फिर मैं राेउ ना तो क्या करु , मुझे लगा कि आप रानी के पास गए हो "।

तब यूवी गुस्से में बोलता है, "अपना ना दिमाग मत चलाया करो ज्यादा, और ये हर वक्त क्या रानी रानी लगा रखा है तुमने, और अगर मैं मिलने भी गया उससे तो क्या कर लोगी तुम मेरा"।

ये बोल कर यूवी गुस्से में कॉल काट देता है।

गीतिका यूवी को दोबारा कॉल करती है मगर वह कॉल नहीं उठाता है। जिससे कि गीतिका को और रोना आता है और वो रोने लगती है।

उधर बंटी बोलता है, "क्या हुआ ????

उसके बाद यूवी बंटी को सब कुछ बता देता है। और वो बिस्तर से उठ रहा होता है। तब बंटी बोलता है, "अबे कहा जा रहा है इस वक्त"।

तब यूवी बोलता है, "मरने..... क्योंकि मेरे बाप ने इसके अलावा और कोई रास्ता छोड़ा ही नहीं है"।

उसके बाद यूवी वहां से चला जाता है।

गीतिका को नींद नहीं आती है और वह रोती रहती है।

एक घंटे बाद.........

यूवी गीतिका को कॉल करता है। मगर गीतिका उसका कॉल नहीं उठाती है। यूवी बार बार कॉल करने लगता है। थोड़ी देर बाद गीतिका कॉल उठा लेती है। तब यूवी बोलता है, "कॉल क्यों नहीं उठा रही हो मेरा"।

तब गीतिका बोलती है, "मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी है"।

तब यूवी बोलता है, "ड्रामा बंद करो और चुप चाप छत पर आ जाओ, कब से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं"।

ये सुनते ही गीतिका खुश हो जाती है। मगर वो फिर भी मुंह बना कर बोलती है, "मैं नहीं आ रही, मुझे नींद आ रही है "।

तब यूवी बोलता है, "अच्छा तो फिर ठीक है मैं ही आ जाता हूं"।

तब गीतिका बोलती है, "नहीं नहीं मैं खुद ही आ जाऊंगी "।

गीतिका खुशी खुशी उठती है और जल्दी से छत पर चली जाती है। यूवी को देखते ही उसे सकून मिलता है और वो जल्दी से यूवी के पास चली जाती है।

मगर यूवी गीतिका को देख कर परेशान हो जाता है क्योंकि रोने की वजह से उसकी आँखें सूज जाती हैं और लाल हो जाती हैं।

तब यूवी बोलता है, "गीती ये क्या तुमने रो रो कर ये क्या हाल बना लिया है अपना, और मैने तुम्हे उसी दिन कहा था ना, की अब तुम्हारी आंखों में एक भी आंसू नहीं आने चाहिए"।

तब गीतिका बोलती है, "अगर मेरी इतनी ही परवाह है तो आपको मेरे साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था न "।

तब यूवी बोलता है, "किसी जरूरी काम में फंस गया था, सॉरी अब से ऐसा कभी भी नहीं होगा "।

तब गीतिका बोलती है, "अगर दोबारा ऐसा हुआ तो "।

तब यूवी बोलता है, "तो तुम मेरी जान ले लेना"।

तभी गीतिका आंखे बड़ी करके यूवी को देखने लगती है और बोलती है, "ये कैसी बात कर रहे हैं आप"।

तब यूवी बोलता है, "तो और कैसी बाते करु, गीतिका तुम मत रोया करो क्योंकि तुम्हे रोता देख मैं पागल हो जाता हूं"।

तब गीतिका बोलती है, "अच्छा ठीक है अब नहीं रोऊंगी "।

तब यूवी बोलता है, "अच्छा ठीक है अब बैठो आराम से, मैं खाना लाया हूं तुम्हारे लिए, क्योंकि मुझे पता है कि तुमने खाना भी नहीं खाया होगा"।

तब गीतिका बोलती है, "और आपको कैसे पता की मैने खाना नहीं खाया है "।

तब यूवी बोलता है, "अब बाते बाद में करना पहले खाना खा लो "।

तभी वहां पर किसी की आवाज आती है, "अकेले अकेले खाना खाओगे मुझे नहीं खिलाओगे........