शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल (पार्ट -४२)
डॉक्टर शुभम के घर बेटी प्रांजल और उसकी सहेली कुछ दिनों के लिए आती है। दोनों आकर कुछ करने वाले हैं।
प्रांजल की सहेली दिव्या डाक्टर रुपा की भतीजी हैं ऐसा शुभम मानता है लेकिन रूपा बताती है कि वह हम दोनों की बेटी है।
अब आगे
दिव्या डाक्टर शुभम के लिए चाय और नाश्ता लेकर आती है।
दिव्या:- 'अंकल, मैंने आपके लिए चपाटी बनाई है, अगर चाय और चपाटी का स्वाद अच्छा नहीं है, तो आप आपकी बेटी मानकर मुझे डांटना, मुझे गलत नहीं लगेगा। मैं भी आपकी प्रांजल की तरह आपकी बेटी हूं।'
डॉक्टर शुभम:-'अच्छा बेटा.. लेकिन तुम अच्छा काम कर रही हो, मुझे डांटना नहीं चाहिए। अब तुम भी हमारे साथ बैठ जाओ।'
दिव्या:- 'ठीक है।'
चाय नाश्ता करते हुए डॉक्टर शुभम बोले:- 'हां..तो प्रांजल तुम परितोष के बारे में क्या कह रही थी?'
प्रांजल:- 'पापा, मैं आपको चाय-नाश्ता निपटाने के बाद ही बताऊंगी।'
डॉक्टर शुभम:- 'ठीक है..लेकिन बात जल्दी खत्म करो।देखो मुझे देर न हो जाए।'
प्रांजल:- 'ठीक है पापा।'
बोलते-बोलते प्रांजल ने दिव्या की ओर देखा।
डॉक्टर शुभम ने जल्दी से अपना चाय नाश्ता ख़त्म किया और हाथ धोने के लिए बैठ गये।
बोले:- 'कहो बेटा, क्या कह रहे थे?'
प्रांजल:- 'पापा, मेरी परितोष से बात हुई है, उसने कहा है कि अब जब तक संभव होगा पैसे नहीं भेजेगा, अब उसे फुल टाइम जोब मिल गई है ।उनकी पढ़ाई भी पूरी हो गई है।'
डॉक्टर शुभम:-'लेकिन उन्हें मुझसे भी बात करनी चाहिए। यह तो अच्छा हुआ कि उसने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली और उसे नौकरी मिल गयी। वह भारत कब आ रहे हैं? इसकी कोई और खबर?'
प्रांजल:-' हां.. पापा एक और खबर है लेकिन आप गुस्सा मत होइए ।एक बात है कि आप टेंशन में रहते हो, इसलिए भाई ने आपको नहीं बताया।'
डॉक्टर शुभम:- क्या खबर है? मैं नाराज नहीं होऊंगा।'
प्रांजल:- 'पिताजी, आपको अब उसके लिए उम्मीद छोड़ देनी चाहिए। वह अब नहीं आ रहा है। मैंने सोचा कि मेरी दोस्त दिव्या परितोष के लिए अच्छी होगी। मैंने दिव्या को परितोष की तस्वीरें भी दिखाईं और उसकी इच्छा पूछी लेकिन दिव्या ने मुझे मना कर दिया। उस समय मुझे आश्चर्य हुआ कि दिव्या मुझ पर विश्वास करेगी, वह मुझसे इनकार नहीं करेगी। अच्छी बात है दिव्या ने मना कर दिया दिव्या ने मुझसे कहा कि मैं तुम्हारी सबसे अच्छी दोस्त और दीदी हूं। वह मुझे अपनी बहन मानता है तो बता दे कि तेरा भाई भी मेरा भाई है।'
यह सुनकर दिव्या ने कहा- 'मैंने सच कहा, मेरा कोई भाई-बहन नहीं है, अगर परितोष भाई आएंगे तो मैं उन्हें राखी बांधूंगी ।' मैं सच कह रही हूं पापा. सॉरी..अंकल..क्या मैं आपको पापा कह सकती हूं।'
बोलते-बोलते दिव्या की आंखें गीली हो गईं।
दिव्या ने रुमाल से अपनी आँखें पोंछीं।
डॉक्टर शुभम ने भावुक होकर दिव्या की आंखों को देखा और उसके हाव-भाव ऐसे लग रहे थे मानो वह याचना कर रही हो।
डॉक्टर शुभम:-'अच्छा दिव्या बेटा, मेरी बेटी प्रांजल की तरह तुम भी मेरी बेटी हो। प्रांजल मुझे पापा कहती है ,अगर तुम भी मुझे पापा कहोगी तो मुझे खुशी होगी।लेकिन हां.. प्रांजल हर साल रक्षाबंधन पर परितोष को राखी भेजती है, इसलिए तुम्हें भी उसके साथ अपनी राखी भेजनी चाहिए।'
दिव्या खुश हो गई और डॉ.शुभम का हाथ पकड़कर बोली:- "थैंक यू पापा..आज मेरे लिए खुशी का दिन है। प्रांजल मुझे यहां ले आई,यह मेरा सौभाग्य है। लेकिन पापा,आप प्रांजल और मेरी एक बात मानेंगे? आप अब अकेले रहते हैं। पिछले जीवन के लिए आप को एक अच्छे साथी की जरूरत है। मेरी राय में, रूपा बुआ जैसा कोई सच्चा साथी नहीं है। आप उन्हें वर्षों से जानते हैं और उनसे प्यार भी करते हो।'
दिव्या भावुक होकर बोली।
डॉक्टर शुभम:-'बेटा, तुम्हारी दोनों बातें सच हैं लेकिन इस उम्र में शादी! मुझे थोड़ा अजीब लग रहा है।मुझे परितोष के बारे में भी सोचना है आप दोनों मेरी शादी कराने के लिए बेताब हैं लेकिन मुझे यह भी जानना है कि परितोष क्या कहता है। उसकी राय भी लेनी होगी।बुढ़ापे में ऐसे ही जीना पड़ता है।'
दिव्या ने प्रांजल की ओर देखा।
प्रांजल ने कहा:- 'पिताजी, आप परितोष के बारे में चिंता न करें, उसने अपना रास्ता खोज लिया है, वह अब भारत में आयेगा भी नहीं और बसेगा भी नहीं।'
डॉक्टर शुभम:- प्रांजल, तुम क्या कहना चाहती हो? मुझे पता नहीं चल रहा।'
प्रांजल:- 'पापा, परितोष से बात हुई थी और आपको बताया था कि उसने नौकरी शुरू कर दी है लेकिन उसकी शादी भी हो गई है। उसमें आपको बताने की हिम्मत नहीं थी इसलिए उसने मुझे बताया।'
डॉक्टर शुभम हैरान रह गए। थोड़ा गुस्सा तो था, लेकिन हुआ ये कि जवानी के जोश में वो क्या कर रहा था ये तो वही जानता था।
डॉक्टर शुभम:-'लेकिन बेटा, तुम्हें मुझसे पहले बात करनी चाहिए लेकिन क्या वह लड़की अमेरिकन गोरी है?'
प्रांजल:-'नहीं... पिताजी, उन्होंने प्रेम विवाह किया है और साथ में रहते हैं। वो दोनों साथ में काम करते थे । मैंने उससे कहा था कि तुम्हें पापा को बताना चाहिए और उन्हें मनाना चाहिए। लेकिन वह बताने से डर रहा था। उसने बताया कि मैं उन्हें बताऊंगा तो वह नाराज हो जाएंगे। अगर पापा मान गए तो दोनों अगले साल इंडिया आएंगे।'
( डॉक्टर शुभम की शादी डाक्टर रूपा से होगी? प्रांजल क्या करने वाली है, जानने के लिए पढ़िए मेरी धारावाहिक कहानी)
- कौशिक दवे