Ishq da Mara - 59 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 59

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इश्क दा मारा - 59

गीतिका बहुत ही खुश होती है और यूवी के गले लगी होती है। तभी वहां पर बंटी आता है और खांसने लगता है।

तभी यूवी बोलता है, "ओह टीबी के मरीज तू यहां पर क्या कर रहा है"। 

तब बंटी बोलता है, "सब तुम्हे ही देख रहे हैं, थोड़ा दूर हो जाओ अब "।

तभी गीतिका जल्दी से यूवी से दूर हो जाती है। यूवी गुस्से में बंटी को देखता है और बोलता है, "तेरी प्रॉब्लम क्या है"।

तब बंटी बोलता है, "मेरी जान मेरी प्रॉब्लम तू है और तेरे बिना मुझे चेन नहीं आता है"।

तब यूवी बोलता है, "मगर इस टाइम में अपनी जान के साथ हूं, तो तू चुप चाप जाएगा या फिर पीट कर बता दे "। 

तब बंटी बोलता है, "आज कल तू मुझे कुछ ज्यादा ही धमकी नहीं देने लगा है, अभी जा कर बताऊं तेरे बाप को तेरे बारे में "।

तब यूवी बोलता है, "लगता है कि तुझे अब पीटना ही पड़ेगा "।

तब बंटी बोलता है, "अच्छा ठीक है जा रहा हूं"।

उसके बाद बंटी चला जाता है।

यूवी गीतिका से बाते करने लगता है। तब यूवी बोलता है, "रोज यही पर मिलोगी "।

तब गीतिका बोलती है, "दिमाग तो ठीक है, मैं रोज कैसे आ सकती हूं, इतनी मुश्किल से तो आज आई हूं"

तब यूवी बोलता है, "मगर मुझे तो रोज मिलना है "।

तब गीतिका बोलती है, "ये कैसी गुंडा गर्दी है"।

तब यूवी बोलता है, "अब गुंडा हूं तो गुंडा गर्दी ही करूंगा ना"।

तब गीतिका बोलती है, "मेरे साथ भी "।

तब यूवी बोलता है, "हा तुम्हारे साथ भी, अगर प्यार से बात नहीं मानोगी"।

तब गीतिका बोलती है, "कल तक तो मुझे डरा धमका रहे थे, और आज बड़ा ही प्यार आ रहा है "।

तब यूवी बोलता है, "हा अब प्यार हो गया है तो इसमें मेरी क्या गलती है, ये तो तुम्हारी गलती है "।

तब गीतिका बोलती है, "मगर मैं पहले ही बोल देती हूं कि मैं रोज रोज नहीं आ पाऊंगी "।

तब यूवी बोलता है, "हा तो कोई बात नहीं है, मैं खुद ही आ जाऊंगा तुम से मिलने, तुम्हारे घर "।

तब गीतिका बोलती है, "आप ये कैसी बाते कर रहे हैं यूवी, आप मुझ से मिलने घर कैसे आ सकते हैं, सब क्या सोचेंगे "।

तब यूवी बोलता है, "तुम्हे लोगो की फिक्र है कि लोग क्या सोचेंगे हा, मगर मेरी फिक्र नहीं है कि मैं क्या सोचूंगा, अगर तुम नहीं आई "।

तब गीतिका बोलती है, "वैसे भी बिना प्यार किए तो इतना बदनाम हो गई थी, और अब पता नहीं प्यार के बाद कितनी बदनाम होउंगी "।

तब यूवी बोलता है, "अब प्यार किया है तो बदनाम भी होना पड़ेगा, क्या करे, मगर मिलना तो मुझ से रोज पड़ेगा "।

तब गीतिका बोलती है, "मुझे तो आपसे पहली नजर में ही प्यार हो गया था, जब आपने मुझे उस राक्षस से बचाया था, एक हीरो की तरह, और मैं आप से मिलने भी गई थी इतना रिस्क ले कर, मगर आपने मेरी कितनी बेइज्जती की और मुझे क्या क्या बोला "।

गीतिका ये बोलते हुए गुस्से में थी और बड़ी ही प्यारी लग रही थी। इसलिए यूवी बस उसे देखते ही जा रहा था।

तब गीतिका बोलती है, "आप कुछ बोल क्यों नहीं रहे हैं, चुप चाप बैठे क्यों हैं"।

तब यूवी बोलता है, "तुम कुछ बोलने का मौका दो तो में कुछ बोलूं भी "।

उसके बाद गीतिका यूवी को गुस्से में देखने लगती है और बोलती है, "आप क्या बोलना चाहते हैं कि मैं बहुत ज्यादा बोलती हूं "।

तब यूवी हा में सर हिलाता है।

ये सुनते ही गीतिका को और ज्यादा गुस्सा आता है और वह अब कुछ भी नहीं बोलती है, बस चुप चाप बैठी रहती है। और यूवी उसे देखता रहता है।

तब गीतिका उठती है और बोलती है, "मैं जा रही हूं"।

तब यूवी बोलता है, "चुप चाप बैठ जाओ जहां पर बैठी हो"।

तभी वेटर खाने का समान ले कर आ जाता है।

यूवी गीतिका से बोलता है, "चलो चुप चाप खाओ"।

तब गीतिका बोलती है, "मुझे नहीं खाना"।

तब यूवी बोलता है, "मेरे हाथों से खाना, अच्छा ठीक है मैं ही खिला देता हूं"।

उसके बाद गीतिका जल्दी से खाने लगती है।

ये देख कर यूवी हंसने लगता है।

उधर यूवी के पापा के पास कुछ लोग आते हैं और उन्हें कुछ ऐसा बोलते हैं जिसे सुनते ही वो गुस्से में पागल हो जाते हैं .............