Anokha Vivah - 14 in Hindi Love Stories by Gauri books and stories PDF | अनोखा विवाह - 14

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अनोखा विवाह - 14

सभी लोग अपनी अपनी कुर्सी पर बैठे नाश्ते का इन्तजार कर रहे हैं और सुहानी किचन में ना जाने नाश्ते में क्या बना रही है , सुहानी किचन से बाहर आती हूई अपने हाथ में एक बाउल लिए आ रही है , पीछे से श्यामू काका भी खाने के बर्तन ला रहे हैं, थोड़ी देर में एक एक कर सब सामान टेबल पर था , 

अखण्ड प्रताप अपनी मूंछों पर हाथ फेरते हुए ," आज तो हमारी पोता बहू ने हमारे लिए नाश्ता बनाया है " सुहानी उनकी बात सुनकर हल्का सा मुस्कुरा देती है , सुहानी एक एक कर सबकी प्लेट में नाश्ता निकालती है सभी अपनी अपनी प्लेट देखकर चौंक जाते हैं,,,, सावित्री जी- ये क्या ये तो सब जला हुआ है ये चीला ब्रेड और ये आलू परांठा सब जला हुआ है सावित्री जी चिल्लाते हुए ," जब नाश्ता बनाना आता नहीं है तो बनाया क्यों " मिली और शिवम दोनों उम्र में छोटे होने के कारण सुहानी की इस हरकत पर हंस रहे थे ,समीर मुंह बनाए बैठा था और मानसी इंग्लिश में ना जाने क्या कहती जा रही थी और अनिकेत की चाची बिना किसी भाव के बस बैठी थीं उनके साथ ही अनिकेत के पापा और चाचा जी भी बस बैठे सबकी बातें सुन रहे थे और अखण्ड प्रताप इन्तजार में थे अनिकेत के रिएक्शन देखने के लिए, और अनिकेत जिसकी आंखों में गुस्सा साफ नजर आ रहा था ,,,,,,,,

अखण्ड प्रताप सुहानी से - बेटा कोई बात नहीं हम नाश्ता ऑफिस में कर लेंगे " अपने बेटों की तरफ देखकर ," चलें सूरज - जी पिता जी ,,,तभी अनिकेत के चाचा भी खड़े होकर - चलिए पिता जी मैं भी चलता हूं, एक एक कर सभी उठकर चले जाते हैं अब टेबल पर अनिकेत और सुहानी ही बचे थे ,,,,, अनिकेत कुर्सी से उठकर सुहानी की तरफ आते हुए सीधा सुहानी का हाथ पकड़ किचन में खड़ा कर देता है - "आज जब तक ये सारी चीजें बनाना नहीं सीख लेती किचन से निकलना मत , और किसी की भी मदद ली अगर तुमने तो सोच लेना " इतना कहकर अनिकेत अपने कॉलेज चला जाता है और सुहानी बस रोए जा रही थी वो बार बार एक ही काम को कर रही थी पर उससे कुछ भी ठीक से नहीं हो रहा था ,असल में सुहानी कभी अपने घर में किचन में गई ही नहीं और आज अचानक से तो वो सबकुछ सीख नहीं जाएगी 

अनिकेत का कॉलेज

अनिकेत कैंटीन में ब्रेड टोस्ट खा रहा था उसके आस पास उसके दोस्त खडे बात कर रहे थे  तभी उसकी दोस्त  मजाक में अनिकेत को छेड़ती हूई कहती हैं - क्या बात है आज तुम्हारी वाइफ ने तुम्हें खाना नहीं दिया क्या ,, अनिकेत पहले से ही गुस्से में था और उसकी ये बात सुनकर और गुस्से में आ जाता है ,,,,,,,,,, अनिकेत थोड़ा तेज आवाज में - कैंटीन खाली करो , उसका एक दोस्त कुछ बोलने ही वाला होता है पर वो कुछ बोल पाता उससे पहले ही अनिकेत पहले से भी तेज आवाज में - मैंने कहा अभी के अभी पूरी कैंटीन खाली करो ,,,,,,,,,, अनिकेत की ये बात सुनकर सभी कैंटीन को खाली कर देते हैं क्यों कि सबको पता था कि अनिकेत का रूतबा इस पूरे कॉलेज में सबसे ज्यादा है और तो 

और बस कुछ ही दिनों में अनिकेत जानी मानी कम्पनियों में भी टॉप पर जो कम्पनियां हैं उनमें से एक कम्पनी का सीईओ बनने वाला हैं, हालांकि कि सीईओ वाली बात सिर्फ उसके दोस्तों को पता थी पर जब उसके दोस्त कैंटीन में नहीं रूके तो किसी और के रूकने का तो सवाल ही नहीं उठता अनिकेत जो टोस्ट खा रहा था उसे भी गुस्से में फेंक दिया था तभी अनिकेत का सबसे अच्छा दोस्त विराज कैंटीन के अन्दर आकर दो चाय और थोड़ा बहुत खाने का सामन ऑर्डर करता है फिर अनिकेत के पास आकर बैठ जाता है ," क्या यार तूने तो पूरे कॉलेज में दहशत सी फैला रखी है हुआ क्या भाभी ने खाना नहीं दिया क्या, अनिकेत जो बस शांत बैठा कुछ सोच रहा था विराज की बात सुनकर गुस्से से जाने लगता है,,,,,,,,,,,अरे यार तू भी ना कहां जा रहा है अच्छा सॉरी , सॉरी

अनिकेत , विराज के इतना कहने से ही रूक गया था , अनिकेत गुस्से से- अगर अब तूने कुछ उल्टा सीधा कहा ना तो मैं तेरी एक नहीं सुनूंगा

 विराज - नहीं यार नहीं कहूंगा, अच्छा बता क्या बात है 

अनिकेत - अरे यार क्या बताऊं दादू ने मेरी शादी नहीं बर्बादी कर दी है , यार वो मुझसे इतनी छोटी है कि मैं उससे कुछ कह तक नहीं पाता हूं और पता है उसे कुछ भी नहीं आता है और आज तो हद ही हो गई किचन से पता नहीं क्या जल्दी में चीजें बनाकर रख दी कि दादू मुझे घूर रहे थे 

विराज- पर तुझे क्यों घूर रहे थे तूने थोड़ी ना अपनी मर्जी से शादी की है वो तो दादा जी की वजह से तुझे करनी पड़ी ना 

अनिकेत - अरे यार मैंने शादी तो उनकी मर्जी से ही की है पर शादी से पहले ही मैनै दादू से कह दिया था कि मैं अपनी वाइफ की जिम्मेदारी खुद लूंगा क्योंकि मुझे पता है कि अगर दादू को मैं ये पहले नहीं बोलता तो कुछ ही दिनों में वो मेरे घर को बिल्कुल लुटवा देती , आजकल की लड़कियों का ख़र्च इतना ज्यादा होता है यार और मुझे पता है कि दादू तो बस उसे देते रहते और फिर आता सब मेरे ऊपर  ,,,, विराज - अरे यार तो तेरे पास क्या कमी है कितना ही लुटा देती , खैर अब तो तुझे खुश होना चाहिए कि तेरे हाथ में है सब 

अनिकेत- अरे यार, उसकी प्राब्लम ये है ही नहीं वो तो बहुत सीधी है जो कहो बस चुपचाप बिना किसी सवाल जवाब के कर देती है लेकिन जो करती है उस काम को और बढ़ा देती है मुझे तो समझ नहीं आ रहा यार कि मैं क्या करूं कैसे उसे सिखाऊं 

विराज - अरे यार तू भी ना जब वो तेरी सब बातें मानती है तब तो बहुत आसान है उसे सब सिखाना देख तू सबसे पहले तो ये सब छोड़ और अपने इक्जाम पर ध्यान दे उसके बाद थोड़ा फ्री हो जाएगा तब सिखा देना उसे जो भी सिखाना है तुझे ,,,, अनिकेत - कह तो तू सही रहा है पर आज मैंने उसे कुछ चीजें सीखने को कहा है देखता हूं कितनी प्रोग्रेस करती है और अगर आज उसने कुछ भी नहीं सीखा तो फिर मैं उसे अपने तरीके से सब सिखाऊंगा .......

कया सुहानी अपने काम में सफल होगी या फिर से उसे अनिकेत और सारे घरवालों के सामने शर्मिंदा होना पड़ेगा,,,देखते हैं नेक्स्ट पार्ट में............