Anokha Vivah - 12 in Hindi Love Stories by Gauri books and stories PDF | अनोखा विवाह - 12

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अनोखा विवाह - 12

मुझे पता है कि तुम्हें अभी सभी कुछ सीखना है इसलिए आज रात में मुझे कुछ बात करनी है ,,,सोते समय मुझे याद दिला देना अगर मैं भूल जाऊं,,,,,,,चलो अब रेडी हो जाओ,,,,, मैं यहीं हूं ,,,,,

थोड़ी देर बाद

अनिकेत - थोड़ी देर बाद कमरे के अन्दर आता है ,,,,,,, अनिकेत , सुहानी को डांटते हुए - ये क्या तुमने सिर्फ कपड़े पहने हैं और ये गहने कौन पहनेगा ?,,,, सुहानी धीरे से कहती है - वो आप अपनी मां को बुला दीजिए वो पहना देंगी ,,,,, अनिकेत अपनी आंखें छोटी कर कहता है ,"  क्यों मां क्यों पहना देंगी तुम कब सीखोगी ,, सुहानी चुपचाप खड़ी उसकी बातें सुन रही थी,,,,,,,, तभी 

अनिकेत , सुहानी को अपने साथ लेजाकर ड्रेसिंग के सामने बैठा देता है और लाउडली कहता है ," लाओ मुझे दो ,,,,और ये क्या ये पीछे डोरी क्यों नहीं बंधी है ,,, अनिकेत धीरे से सुहानी के लहंगे के ऊपर चोली की डोरी बांधता है पर वो शीशे से सुहानी को देख रहा था और वो  महसूस करता है कि सुहानी को इस बात से थोड़ा अजीब लग रहा है ,,,,,,,,,, अनिकेत उसकी डोरी बांध कर धीरे से उसके हाथ को पकड़ता है तो सुहानी अपनी नजरें नीचे कर लेती है , सुहानी को अभी इन सब बातों का मतलब नहीं पता था लेकिन जैसे हर एक लड़की किसी लड़के के छूने से अजीब महसूस करती है ठीक वैसे ही सुहानी कर रही है लेकिन उसकी इस बात को अनिकेत नोटिस कर रहा था वो सुहानी से पूछता है , " सुहानी, क्या हुआ तुम्हे अच्छा नहीं लगा , सुहानी कुछ नहीं बोलती,

अनिकेत - सुनो तुम पत्नी हो मेरी और अगर मैं तुम्हें तुम्हें छूता हूं तो ये ग़लत नहीं है , हां लेकिन अगर कभी तुम्हारी मर्जी के बिना तुम्हें छूता हूं तो वो ग़लत है जैसे मेरे अलावा कोई भी तुम्हे छुए तो वो मुझे जरूर बताना और हां डरना नहीं किसी से कभी भी जो भी बात हो मुझसे कहा करो , मुझसे डर लग रहा है तो भी पूछो समझ गई,,,,,,, सुहानी हां में सिर हिलाती है , अनिकेत इअरिंग पहनाते हुए - ये देखो ये ऐसे कान के छेद में धीरे धीरे डालते है , सुहानी हल्का सी आह भरती है,,अनिकेत - क्या हुआ,,,, दर्द हो रहा है

सुहानी हां में सिर हिला देती है ,,,,,,,, थोड़ी देर पहन लो फिर निकाल देना, सुहानी - ज्यादा दर्द हो रहा है,,,,,,,,,,,,,,अनिकेत- बोला ना थोड़ी देर पहन लो फिर निकाल देना,,,,,,,,, सुहानी, अनिकेत की बात से फिर डर जाती है ,,,,,,,धीरे धीरे सुहानी को सब गहने पहना देता है ,,,,,,,,,अब बस उसके बाल बनाने रह गए हैं ,,,,,,,,,,,,, 

अनिकेत - मैं अभी मानसी को भेजता हूं वो तुम्हे ठीक से तैयार कर देगी और हां मानसी तुमसे रिश्ते में छोटी है पर तुमसे बड़ी है उम्र में तो जैसा कहे वैसा ही करना किसी भी बात के लिए ना नहीं करना ,,,,, ठीक है? सुहानी-  हम्ममम

अनिकेत नीचे आकर - चाची, मानसी कहां है ,

चाची- बेटा वो अपने कमरे में होगी, बुलाऊं क्या बेटा अनिकेत - अरे नहीं चाची मैं जाकर मिल लेता हूं 

मानसी का कमरा - अनिकेत कमरे के बाहर से,  " मै आ जाऊं अन्दर ? 

मानसी - हां भाई आइये ,,,आप पूछकर कब से आने लगे भाई ,,,,,,, अनिकेत - अभी से 

अनिकेत की ये बात सुनकर मानसी को हंसी आ जाती है ,,,,,,,,,, अनिकेत - अब हंसना बन्द कर अच्छा सुन ,  मेरा एक काम करेगी ? मानसी - हां भाई बताइये 

मेरे कमरे में तेरी भाभी इन्तजार कर रही होगी उन्हें तैयार कर दे जाकर ,,,,,,मानसी मुंह बनाकर- भाई,,,,,,,, मैं मना नहीं कर रही हूं पर मेरा मन नहीं है उस झूठी लड़की को तैयार करने का ,,,,,, अनिकेत - देखो मानसी अब वो तुम्हारी भाभी है तो आज से उसे भाभी बोलोगी और रही बात वो झूठी है या नहीं ये मैं तय करूंगा तुम नहीं ,,,,,,,समझ गईं,,,,,, मानसी - जी भाई,,

चलो अच्छा अब जाओ और अच्छे से तैयार करो जाकर और थोड़ी बहुत बातें भी सिखा देना,,,,छोटी है वो तो अभी उसे बहुत कुछ सिखाना है और तुम ही तो हो जो उसे अच्छी अच्छी बातें सिखाओगी ,,,,,मानसी - जी भाई,,,,,,,,,,,,,,

शाम 7 बजे

कुछ मेहमान आ चुके थे और कुछ मेहमान अभी भी आ रहे थे तभी सढ़ियों से मानसी, सुहानी को लेकर नीचे आ रही है ,,,,,,,,, आज सावित्री जी को सुहानी को देखकर अहसास हो रहा था कि उनकी बहू बहुत ही ज्यादा खूबसूरत है ,,,,,,,,,,वो सुहानी को बीच सीढ़ियों से लेकर नीचे आती हैं और सुहानी का घूंघट गिरा कर वहीं सोफे पर बैठा देती हैं,,,,,,,,,,,सभी मेहमान एक एक कर सुहानी को देख मुंह दिखाई भेंट करते हैं ,,

रात 9 बजे 

मुंह दिखाई का प्रोग्राम खत्म हो चुका था और अब घर के सभी लोग सुहानी को मुंह दिखाई भेंट करते हैं,,,,,,

अखण्ड प्रताप - ये लीजिए ये आपके लिए है ये आपकी दादी का है इसे बहुत संभाल कर रखिएगा इस हार में हमारा और आपकी दादी दोनों का ही आशीर्वाद है 

धीरे धीरे करके घर के सभी लोगों ने सुहानी को कुछ ना कुछ गिफ्ट दिया था ,,,,,,,,,, अखण्ड प्रताप - बड़ी बहू

सावित्री जी- जी पिता जी,,,,,,,,,,,,अखण्ड प्रताप - अनिकेत कहां है?  सावित्री जी- वो अपने दोस्तों के साथ बाहर गया है ,,,,,,अखण्ड प्रताप थोड़ा गुस्से से- क्या ! 

आज भी अनिकेत अपने दोस्तों के साथ गया है,,,,,,, क्या आप में से किसी ने उसे बताया नहीं कि आज बहू की मुंह दिखाई है ,,,,,और उन्हें भी बहू की मुंह दिखाई करके रश्म को पूरा करना है ,,,,,,,,अखण्ड प्रताप कह ही रहे थे अचानक से उनके पीछे से आवाज़ आती है - दादू आप क्यों परेशान हो जाते हैं छोटी छोटी बातों पर आप कुछ देर पहले ही सही हुए हैं और फिर से अपनी तबियत खराब क्यों करना चाहते हैं,,,,,

अखण्ड प्रताप गुस्से में - आपको नहीं लगता कि अब आपको अपने दोस्तों को कम और अपनी पत्नी को ज्यादा वक्त देेना चाहिए

अनिकेत - जी दादू मैं आगे से ध्यान रखूंगा

अखण्ड प्रताप - हमारे कमरे में आइये अनिकेत 

रात 11बजे

सभी अपने- अपने कमरे में सोने के लिए चले गये थे अनिकेत भी अपने कमरे में आता है ,, अनिकेत को उसके दादू ने दादी के कंगन दिए थे जो कि सुहानी को पहनाने थे ,,,,,,, अनिकेत देखता है कि सुहानी आज बेड पर दुल्हन की तरह बैठी थी घूंघट गिरा कर , अनिकेत को ये सब देख बहुत अजीब लगता है जैसे वो सुहानी के पास आ रहा था सुहानी का रोना अनिकेत को सुनाई दे रहा था ,,,,,,,,,,, अनिकेत को पता था कि सुहानी छोटी छोटी बातों पर भी रो पड़ती है ,,पर वो सोच रहा था कि अभी वो क्यों रो रही है,,,,,,,,,,,,,, अनिकेत- क्या हुआ अब क्यों रो रही हो ?

आखिर ऐसा क्या हुआ कि सुहानी रो रही है देखते हैं नेक्स्ट पार्ट में............