Shriji - Anchaha Vivah Bandhan - 3 in Hindi Love Stories by Bhumi books and stories PDF | श्रीji - अनचाहा विवाह बंधन - 3

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श्रीji - अनचाहा विवाह बंधन - 3

श्री गणेशाय नमः



बैकुंठपुरा गांव में आबादी लगभग 50 हजार है, यहां लोग अपने समस्याओं का हल ढूंढ़ने सरपंच के कोठी पर आते हैं , महेंद्र सिंह राजवंशी पहले सरपंच पद पर थे फिर बुजुर्ग होने पर अधिक भागदौड़ ना कर पाने से उसने अपने बड़े बेटे धीरज सिंह राजवंशी को गांव वालों के आपसी सहमति से सरपंच पद पर आसीन करवाया अब सभी गांव वाले अपनी समस्याओं के निदान के लिए महेंद्र सिंह के घर के बड़े से आंगन में बने बैठक पर इकठ्ठा होकर समस्या सुलझाते हैं , और यह रोज कि बात है !!

बड़े सरपंच महेंद्र सिंह अपने लकड़ी के आरामी कुर्सी पर बैठे थे और धीरज सिंह प्लास्टिक कुर्सी पर कुछ पंचों के साथ बैठा था और गांव के कुछ आम लोग नीचे दरी पर बैठे थे , और महेंद्र सिंह के छोटे बेटे कुछ दूर पर कंप्यूटर पर कुछ सर्च कर रहे थे उसके आसपास भी गांव के दो चार लोग खड़े थे !!

घर अंदर गृहणी महिलाएं घर के कामों में व्यस्त थी और सास बहू , सुहासिनी जी और इंदुमती सब्जी सुधार रही थी जमीन पर दरी बिछाकर वहीं मयुरी किचन से अपने हाथ में पकड़े चाय के ट्रे को घर के नौकर को थमाती हैं और जब नौकर जाने लगा तो , मयुरी बोली ; देखा जीजी यह सुबह के चौथी चाय है मेहमान नवाजी का !!

सास सुहासिनी मयुरी के बातों का जवाब दिया; बिदणी ज़रा आहिस्ता बोल गांव वाले सुने तो चार बातें बोलेंगे पीठ पीछे और थारे ससुर जी सुने तो मायका या मेला हाट जाना बंद करवा देंगे !!

इंदुमती मुंह बिचकाया और जवाब दिया ; मां सा सुबह के नौ बज चुके है और घर के महापुरुष स्नान ध्यान करके बैठक में बैठे रहते हैं और सुबह से बाहर वालों कि चहल-पहल बनी रहती सो अलग और हमारा काम इसलिए विलंब हो जाती है !!

मयुरी इंदुमती के बातों पर सहमति जताते हुए बोलने लगी; हा मां सा चाय ऊपर चाय पीते जा रहे हैं ऐसे में पेट पर गैस बनेगी , उधर रात नौ बज जाते जब वो लोग घर आते हैं तब भी खाली पेट, बाहर कि पंचायती करने का काम बहुत मशक्कत भरी होती है , इधर जाना उधर जाना वो तो सम्राट अपने जीप पर ले जाते इसलिए शहर कि भाग-दौड़ से राहत होती है !!

सुहासिनी सम्राट के नाम सुनकर पूछने लगी " सम्राट खेत गया था वो आया नहीं ??

समीरा किचन से धीरे धीरे आते हुए बोल पड़ी" दादी सा ,वो ऊपर छत पर है पतंग बाजी कर रहे हैं श्री और नैना भी साथ में हैं , समीरा प्रेगनेंट हैं और उसका छटवां महीना शुरू है !!

सुहासिनी अपने माथे मार लिया उसी समय दरवाजे के तरफ से आवाज आई ; इंदुरानी तू तो समझदार बन श्री को चुल्हा चौका सीखा क्या छोरों कि तरह पतंगबाजी कर रही !!

सुहासिनी के साथ तीनों बहुएं दरवाजे के तरफ देखी , सुहासिनी जी बोली; सुलेखा जीजी आओ जीजी आओ बैठो !!

मयुरी सुलेखा बुआ को उत्तर दिया; बुआ सा श्री अभी बच्ची है उसे अभी से चुल्हा चौंका नहीं किताब कापियों कि जरूरत है!!

सुलेखा पड़ोस कि महिला है और सुहासिनी कि सहेली वो हर दो दिन यहां बैठने आती है अपना दुख के साथ पूरे गांव कि खबर मिर्ची मसाला के साथ लाती है और मयुरी ,इंदु , समीरा और सुहासिनी गांव कि खबर सुनकर गांव में चल रही नयी बातें जानती है ,आज भी वो कुछ नया खबर देने आई है ; कुछ सुना क्या तुम लोगों ने दो घर के आगे मीना बिदणी रहती है रमेशर कि लुगाई उसकी छोरी श्री से दो साल छोटी है उसकी लगन होने जा रही है , अब मैं सरपंच साहब के पड़ोसी हुं तो सब लुगाई मुझे पूछते हैं सरपंच साहब अपनी पोती कि शादी क्यों नहीं कर रहे हैं रिश्तों कि कमी है कै , श्री जैसी छोरी तो पूरे गांव में ना से फेर के कारण से लगन ना होने के ,अब कै जवाब दूं लोगों को??

इंदुमती मुस्कुरा कर जवाब दिया; बुआ सा आप से कहां छिपी है बात श्री कि हालत , बारहवीं पढ़ाई कर लिया फिर भी अबोध है अपरिपक्व है ,उसे शादी जैसी बंधन में बांधकर हम अपनी बेटी को जानबूझकर मुसीबत में नहीं डाल सकते!!

सुलेखा फिर सवाल किया; बिदणी फेर कब तक बिठाकर रखेगी छोरी को श्री के पीछे-पीछे नैना भी बड़ी हो रही है, आजकल देख क्या हो रहा है ,मां बाप को भी बुड्ढे बुड्ढी होने पर औलाद बोझ समझते हैं तो बहन का क्या हाल होगा ,और जब तक मां बाप जिंदा है तब तक ही बेटी सुख से रहेगी फेर मरने के बाद कौन देखेगा साथ, क्यों सुहासी मैं ग़लत बोल रही हुं और गलत बोल रही हुं तो गाली दे मुझे !!

सुहासिनी सुलेखा के बात से सहमत हुई फिर बोल उठी; हां बिदणी जीजी गलत ना से !!

समीरा अपने पेट पकड़े हुए मयुरी के पास खड़ी हुई आकर फिर सुलेखा के जवाब मे बोली ; बुआ दादी सा माफ कीजिए छोटी मुंह बड़ी बात; मैं और सम्राट जी से कभी कोई ग़लती हुई है क्या हम अपने माता-पिता की बात मानने में कमी किया है और श्री हमारे लिए अपनी बच्ची कि तरह इसलिए जब तक वो समझदार नहीं होती उसके विवाह के बारे में हम नहीं सोचेंगे क्यों मां सा ,है ना काकी सा ,है ना दादी सा उसने सुहासिनी को प्यार भरी नजरों से देखते हुए कही !!

मयुरी बड़े प्यार से समीरा के सिर पर हाथ रखकर जवाब दिया; बिल्कुल बिदणी आपने गलत कुछ नहीं कहा मुझे पता है तुम दोनों पति-पत्नी ने हम सभी के खिलाफ कभी बात नहीं किए और ना करोगे , क्यों जीजी , मयुरी इंदु को देखकर बोली!!

इंदु मुस्कुरा कर अपने सिर हिला दिया और बैठी थी वो उठकर समीरा के पास आई और ; बिदणी बस हमें और कुछ नहीं चाहिए ,हमारा परिवार धन्य है तुम्हारे जैसे बिदणी पाकर बड़ों का सम्मान और छोटों के लिए प्यार यही तो जीवन का असल मूलमंत्र है खुश रहो सदा इंदु प्यार से समीरा के सिर पर हाथ फेरने लगी!!

कहानी जारी रहेगी

(Bhumi)

🙅दोस्तों यह मेरी पहली स्टोरी है , और कहानी अच्छी लगी तो न्यू अपडेट के लिए मुझे फालों करें और स्टोरी पर कमेंट करें Thanks 🫶