गणेशाय नमः
जयपुर शहर में रात दस बज गये थे जब बड़े हुकुम सा राणा विरेन्द्र प्रताप अपने राजभवन पहुंचे ,बड़े हुकुम सा जब अपने बड़े से हॉल में आए तो घर के अन्य लोग भी बैठे थे वो भी चिंतित अवस्था में ।।
बड़े हुकुम सा ने अपने बहू बेटा और पोता पोती को परेशान देखकर पूछने लगे ; क्या बात है आप सब परेशान नजर आ रहें हैं और इस हॉल में आप सभी है लेकिन अभय नहीं दिखाई दे रहा है, कहा है अभय ??
छोटी बहू नताशा ने खड़े होकर कहा उसके चेहरे पर गुस्सा और नाराजगी के भाव थे आवाज में कड़वाहट थी ; बाबा सा आपके लाडले पोते अभय ने फिर मीडिया के रिपोर्टर को भरी कॉफ्रेंस में पिट दिया है उसका ऐसा करना तीसरी बार किसी रिपोर्टर को मारा है मीडिया में प्रताप खानदान कि बड़ी बदनामी हो रही है ,हम क्या जवाब दे और कितने बार अभय को इनोसेंट बताए यह हमारे बिजनेस के लिए सही नहीं है ।।
फिर नताशा के पति अशोक ने कहा नाराजगी जताते हुए; हां बाबा सा नताशा का सवाल गलत नहीं है ,अभय दिन के दिन रूड और गुस्सैल होते जा रहा है हमारे समझाने के बाद भी यही गलती को दोहराता है आखिर कब तक हम उसकी पक्ष लेते रहेंगे ??
"नताशा फिर बोली अपने बड़े भाभी को देखकर " भाभी आप अब क्यों चुप हैं आप अभय को क्यों कुछ नहीं कहती ,उसके हरकतों पर पर्दा डालती है आप उसके खिलाफ बड़ी एक्शन लो लेकिन आप तो अभय के ऊपर अपनी जान लुटाती है सो अलग और बाबा सा भी इसी में शामिल है इसलिए अभय को डर तराश नहीं सह जो मिला है आप दोनों का ।।
बड़े हुकुम सा कि बड़ी बहू कंचन लता और अभय कि मां जो अब विधवा है उसने उदास होकर जवाब दिया ; नताशा मैं बहुत समझाती हुं अभय को , मैं क्या करूं वो अपने डैड कि तरह गर्म खून का है जब उसके सामने बाप के लिए कोई बुरी बात बोलता है उसे सहन नहीं होता वो बुरा नहीं नताशा लोग उसे गलत प्रश्न करते हैं इसलिए वो गुस्से पर कंट्रोल नहीं कर पाता और ___
बीच में बड़े हुकुम सा "राणा विरेन्द्र प्रताप बोले " शौर्य तुम्हारे बड़े भाई अभय इस वक्त कहां है ,दो महीनों से मुझसे जब मुलाकात हुई तो सुबह हुई , अभी अभय कहां है ?
"शौर्य अभय का छोटा भाई और नताशा , अशोक का बड़ा बेटा ,अभय से दो साल छोटा है और कॉलेज खत्म कर बिजनेस पर अभय और अपने डैड का बिजनेस में मदद करता है उसने पलकें नीचे करके कहा; दादु भाई सा इस समय कहां है मुझे नहीं पता .
"नताशा गुस्से से चीखते हुए आंखें बड़ी बड़ी करके बोली " शौर्य सच बोलो बाबा सा को वो भी तो जाने क्या क्या कांड घर में होने लगी है .
"शौर्य उठकर जाने लगी तब राशि शौर्य कि बहन जो आजकल वो भी अपने कंपनी में अप्रेंटिस कर रही है उसने हिम्मत से बोली ; अभय भैया आज..हीरा बाई के कोठे में है .
फिर नताशा गुस्से में बोली " आज सच बता ही दो राशि , बताओ कि वो तीन महीने से रोज शाम आठ बजे वहीं हीरा बाई के कोठे पर जाता है और आधी रात को लौटता है ,बड़े भाई साहब कि तरह अब अभय ने भी कोठे के रंग गलियां का नशा कर लिया है ।।
"राणा विरेन्द्र प्रताप नताशा के बातें सुनकर बहुत परेशान हुआ और उसे बहुत गुस्सा भी आने लगा अभय के ऊपर और नाराज होते हुए बोलने लगे ; कंचन बहू क्या नताशा बहू सत्य कह रही है और यह बात सत्य है तो आपने हमें पहले क्यों नहीं बताया कि अभय रंग गलियों कि ओर जा रहा है??
कंचन लता राणा जी को गुस्से में देखकर सकपका गई फिर बोली ; बाबा सा आप परेशान ना होईए मैं कोशिश करूंगी अभय को समझाने कि ,वो रंग गलियों में जाता है आज ही मुझे भी पता चला इसलिए मुझे ज्यादा दुख लगा ।।
अशोक ने तंज कसा अपनी बोल में ; बड़े भाई साहब को इस दुनिया से गए सिर्फ एक साल हुए हैं और अभय रंग गलियों का रूख कर ,अब अभय भी अपने पिता कि तरह रंग गलियों का नशा कर हमारे खानदान और बिजनेस को चौपट कर देगा ,आज रिपोर्टर ने भाई साहब के रंगीन मिजाज के बारे में ही सवाल किया तो अभय ने उसे पिट दिया जब खुद रंग गलियों में जाएगा तो लोग सवाल तो उठाएंगे ही ,घर में और भी बच्चे हैं क्या प्रभाव पड़ेगा इन सब में ।।
बड़े हुकुम सा राणा जी ने बोलते हुए सोफे से उठा ; अशोक सब ठीक हो जाएगा मैं अभय से बात करूंगा वो मेरी बात को नहीं टालेगा और परेशान होने से अच्छा है तरकीब निकालो क्या किया जाए कि बच्चे सही रास्ते पर रहे ।।
नताशा राणा विरेन्द्र को जवाब में बोली ; बाबा सा वो आज मेरी गोयल अंकल उदयपुर वाले का फोन आया था वो आपसे मिलना चाहते हैं तो मैंने कल कि मीटिंग फिक्स किया है कल लंच हमारे घर पर करेंगे ।।
राणा सा ने कहा ; नताशा बेटा एक बार मुझे पूछ लेना था मीटिंग के लिए कल कुछ काम से मुझे वकील साहब को लेकर गांव के जमीन के बारे में मीटिंग रखी थी मेरे ऑफिस में , फिर कुछ सोचकर कहा; ठीक है जब आपने लंच रखा है तो मैं वकील साहब को
Next day -
morning 🌅
*जय श्री कृष्णना दादु सा - बड़े ही प्यार से बोला गया यह शब्द को सुनकर बड़े हुकुम सा राणा जी मुड़ कर देखा , राणा विरेन्द्र इस समय अपने हरे भरे गॉर्डन में बने रेस्ट यार्ड में बने चौबूतरे में चेयर पर बैठे अखबर पढ़ रहे थे , राणा विरेन्द्र प्रताप हर मौसम में सुबह इस गार्डन में बने चौबूतरे पर बैठते हैं चौबूतरे के ऊपर ग्लास कि शीट लगी है जिसे बेमौसम बारिश से राहत देती है और सूरज के तेज रोशनी को रिफ्लेक्ट कर गर्मी पैदा नहीं करता था ,इस चौबूतरे को खास राणा जी ने बनाया है ताकि सुबह वो गार्डन में एक्सरसाइज करके आराम से अखबर पढ़ सकें ।। राणा विरेन्द्र ने शब्दों के जवाब शब्दों में दिया " जयश्री कृष्णन अभय आओ हमारे पास बैठो बहुत हो गये आराम से बैठकर बात नहीं किए एक दूसरे से ।।
अभय दिखने में 6 . 3 हाईट का बेहद गुड लुकिंग है उसकी कथाई गहरी आंखों पर घनी पलकें है ,भौंहें मोटे वा काले , हल्की बियर्ड में वो रौबदार इन्सान है उसने अभी ट्रैक सूट पहना है पसीने से लथपथ है वो हरे घास में दौड़ने आया था रोज कि तरह ,अभय दादु सा के आवाज सुनकर पास आया और दादु के बगल वाली चेयर पर बैठा और टेबल पर रखी न्यूज पेपर उठाकर पूछा ; कुछ काम है दादु सा , फिर अभय ने अखबार देखना शुरु किया ।।
राणा सा धीरे से कहा ; अभय मैंने सुना कल फिर किसी रिपोर्टर पर हाथ उठाई आपने बेटा बिजनेस के लिए अच्छा नहीं है ये , तुम खुद भी बड़े मैगजीन कंपनी के सीईओ हो तुम्हारे इस व्यवहार से हमारे पब्लिकेशन कंपनी पर फर्क पड़ सकता है ।।
अभय अखबर देखते बोला; दादु अगर मुझे मेरे बिजनेस के अलावा मेरे पर्सनल लाइफ पर सवाल करेगा तो मेरी हाथ तो उठेगी ,दबी हुई मुर्दा को उधेड़े गा तो मुझे बर्दाश्त नहीं होगा !!
राणा सा मायुस हुआ और कहा;अभय रिपोर्टर कि काम ही है पुरानी बातों के बारे में पूछना ,और ऐसे समय में अपने आप पर स्यम बनाकर चलना होगा!!
अभय अपने सीट से उठा और कहा; दादु मैं चलता हूं मुझे एक जरूरी मीटिंग में जाना है , वो बोलकर जाने लगा !!
राणा सा चुपचाप सिर हिला दिया था और अभय को जाते हुए देखने लगा !!
कहानी जारी रहेगी
( Bhumi)