प्यार और बेवफाई, दो ऐसे शब्द हैं, जो इंसान के जीवन को एक अजीब-सी उलझन में डाल देते हैं। प्यार, जो जीवन को संजीवनी की तरह महसूस कराता है, और बेवफाई, जो दिल के कोने में चुपके से दर्द की चुप्पी छोड़ जाती है। यह कहानी एक ऐसे लड़के और लड़की की है, जिनका प्यार बेहद सच्चा था, लेकिन कभी न कभी एक मोड़ ऐसा आता है, जब वे उन जज्बातों को खो बैठते हैं। यह कहानी उनकी है, जिन्होंने प्यार किया, पर फिर बेवफाई का सामना भी किया।
पहली मुलाकात
कृष्ण और रिया की पहली मुलाकात एक साधारण सी जगह पर हुई थी। रिया, जो एक छोटे से गांव की लड़की थी, अपनी पढ़ाई के लिए शहर आई थी। कृष्ण, शहर में एक प्रतिष्ठित कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था और उसे किसी भी रिश्ते में नहीं पड़ना था। उसके लिए तो उसका सपना ही सबसे बड़ा था। लेकिन जब रिया ने पहली बार कृष्ण को देखा, तो कुछ अजीब सा महसूस हुआ। वह उसकी आँखों में एक अलग सी चमक देख रही थी, जैसे कुछ अनकहा सा हो, कुछ ऐसा जो उसे खुद भी नहीं समझ आ रहा था।
रिया ने कृष्ण से बात करने का एक हल्का सा प्रयास किया, और कृष्ण की प्रतिक्रिया बहुत ही सामान्य थी। वह उसे अपनी किताबों और अपने विचारों में खो जाने वाला लड़का ही लगा। लेकिन रिया को यह अजीब नहीं लगा। वह उस लड़के को जानने की इच्छा रखने लगी थी, जो हर बात को खुद से जोड़कर देखता था। धीरे-धीरे, दोनों में बातचीत होने लगी और रिया ने कृष्ण के बारे में अधिक जानने की कोशिश की।
प्यार का आरंभ
समय बीतते गए, और कृष्ण और रिया की मुलाकातें बढ़ने लगीं। दोनों ने एक-दूसरे के साथ वक्त बिताना शुरू किया। रिया कृष्ण के साथ कभी कॉलेज के बाद किताबों के बारे में चर्चा करती, तो कभी शहर के पार्क में साथ बैठकर चाय पीती। कृष्ण को रिया की मासूमियत और उसकी समझदारी बहुत भाती थी। रिया भी कृष्ण के विचारों, उसकी शांति, और उसकी स्वाभाविक सादगी से आकर्षित हो गई थी।
यह वही समय था जब कृष्ण ने रिया को पहली बार अपने दिल की बात बताई। उसने कहा, "मैं कभी किसी को अपने दिल में जगह नहीं देता, लेकिन तुम... तुमने मेरे दिल के दरवाजे को खोल दिया है।" रिया की आँखों में हलकी सी चमक आई। वह मुस्कराई और कहा, "मैं भी महसूस करती हूँ, कृष्ण।"
उनकी आँखों में अब प्यार था, और उनके दिलों में उम्मीदों का रंग था। दोनों के बीच एक सच्चा और मासूम सा रिश्ता पनपने ल बेवफाई का खौफ
समय के साथ दोनों के बीच की नजदीकियाँ और बढ़ने लगीं। वे एक-दूसरे के साथ बिताए हर पल को खास समझते थे। लेकिन जीवन में कई बार कुछ ऐसा हो जाता है, जिसे समझ पाना मुश्किल हो जाता है। यही कुछ हुआ कृष्ण और रिया के बीच।
रिया के एक पुराने दोस्त, आकाश से मिलने के बाद, चीजें बदलने लगीं। आकाश, जो हमेशा से रिया का बहुत अच्छा दोस्त था, अचानक रिया के करीब आ गया। वह कृष्ण को लेकर कई बातें करने लगा, और रिया के साथ समय बिताने लगा। कृष्ण को यह बहुत असहज लगा। उसे महसूस होने लगा कि रिया और आकाश के बीच कुछ तो है, जो उसे नहीं पता था।
रिया की चुप्पी और आकाश के साथ बढ़ती नजदीकी ने कृष्ण के दिल में शक की बीज बो दिए। कृष्ण ने कभी रिया से सीधे तौर पर कुछ नहीं पूछा, लेकिन उसकी आँखों में जो सवाल थे, वे उसे अंदर से खा रहे थे। क्या रिया सच में उसे प्यार करती थी, या फिर आकाश के साथ उसका रिश्ता कुछ और था?
का सामना
कृष्ण ने एक दिन फैसला किया कि वह रिया से यह सवाल पूछेगा। उसने रिया से मिलने का समय तय किया और दोनों एक कैफे में मिले। कृष्ण ने धीरे-धीरे कहा, "रिया, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।" रिया ने उसकी आँखों में चिंता देखी, लेकिन उसने जवाब दिया, "क्या हुआ, कृष्ण?"
कृष्ण ने कहा, "क्या आकाश और तुम दोनों के बीच कुछ और चल रहा है? क्या तुम मुझे धोखा दे रही हो?" यह सवाल रिया को चौंका गया। उसने तुरंत कहा, "कृष्ण, तुम क्या कह रहे हो? मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। आकाश सिर्फ मेरा पुराना दोस्त है, और मैं उसे केवल दोस्त की तरह जानती हूँ।"
लेकिन कृष्ण को अब विश्वास नहीं हो रहा था। उसे यकीन हो गया था कि कुछ न कुछ तो है। उसने रिया की बातों को अनसुना कर दिया और चुप हो गया। यह चुप्पी अब दोनों के रिश्ते में दीवार बना चुकी थी।
अधिकार और बेवफाई
कुछ समय बाद, कृष्ण ने देखा कि रिया का व्यवहार और भी बदल चुका था। वह अब पहले जैसा ख्याल नहीं रखती थी। वह अक्सर आकाश के साथ ज्यादा वक्त बिताने लगी थी, और कृष्ण की अनुपस्थिति में वह और आकाश एक-दूसरे के पास होते थे। कृष्ण ने यह महसूस किया कि रिया उसकी आँखों में अब वही सच्चाई नहीं देख पा रहा था, जो पहले देखता था।
अचानक, एक दिन रिया ने कृष्ण से सीधे तौर पर कहा, "कृष्ण, मुझे तुमसे अब और कोई रिश्ता नहीं रखना। मैं आकाश के साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहती हूँ। तुमसे जो कुछ भी था, वह अब खत्म हो चुका है।" यह सुनकर कृष्ण के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह समझ नहीं पा रहा था कि वह क्या सुने। रिया, जो कभी उसकी जिंदगी का हिस्सा थी, अब उसकी दुनिया से बाहर हो चुकी थी।
अधिकार और आत्मसमर्पण
इस बेवफाई के बाद कृष्ण ने खुद से वादा किया कि वह कभी भी किसी पर इतना विश्वास नहीं करेगा। लेकिन जैसे ही रिया ने उसे छोड़ दिया, कृष्ण को यह समझ में आया कि प्यार कभी किसी पर थोपने की चीज नहीं होती। जब कोई रिश्ता खत्म होता है, तो इंसान को उससे उठकर आगे बढ़ने का हौसला रखना होता है।
कृष्ण ने खुद को संभाला और अपने सपनों की ओर ध्यान दिया। उसे महसूस हुआ कि वह किसी एक व्यक्ति के साथ नहीं, बल्कि अपने आप के साथ खुश रह सकता है