The Vampire Hunter - 2 in Hindi Thriller by Novel Yoddha You Tube books and stories PDF | The Vampire Hunter - 2

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The Vampire Hunter - 2

अध्याय 2: अजीब आवाज़

रात के आसमान में चाँद अपनी पूरी चमक के साथ दमक रहा था, और उसकी रोशनी जंगल की गहराई में अंधेरे को छू रही थी। चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था, लेकिन इस शांति में एक अजीब सी बेचैनी महसूस हो रही थी। अलेक्स अपने बिस्तर पर लेटा हुआ बार-बार करवटें बदल रहा था। उसकी नींद बार-बार टूट रही थी क्योंकि जंगल की तरफ से एक रहस्यमय आवाज़ आ रही थी। यह आवाज़ साधारण जानवरों की नहीं थी, बल्कि एक गहरी, खौफनक और अनजानी आवाज़ थी, जो अलेक्स के रोंगटे खड़े कर रही थी।

अलेक्स उठकर धीरे-धीरे खिड़की के पास गया और बाहर झाँकने लगा। जंगल की तरफ से आती ठंडी हवा उसके चेहरे से टकराई। उसने देखा कि पेड़ों के बीच हल्की-हल्की परछाइयाँ हिल रही थीं, जैसे वहाँ कोई चल रहा हो। अलेक्स को महसूस हुआ कि कुछ असामान्य हो रहा है। उसकी दिल की धड़कन तेज़ हो गई।

अलेक्स ने अपने दोस्तों, नील और रॉकी, को तुरंत जगाने का फैसला किया। वह दबे कदमों से उनके घर गया और खिड़की पर हल्की दस्तक दी। नील ने नींद भरी आँखों से खिड़की खोली और पूछा, "क्या हुआ, इतनी रात को यहाँ क्यों आए हो?"

अलेक्स ने फुसफुसाते हुए कहा, "जंगल की तरफ से कुछ अजीब आवाज़ें आ रही हैं। मुझे लगता है, हमें जाकर देखना चाहिए।"

रॉकी भी इस बातचीत को सुनकर उठ गया और बोला, "अगर कुछ गड़बड़ है, तो हमें पता लगाना होगा। चलो, जल्दी से तैयार हो जाते हैं।"

तीनों ने अपने-अपने बैग में टॉर्च, कुछ रस्सियाँ और लकड़ी के डंडे डाल लिए। वे चुपचाप गांव की सीमा से बाहर निकलकर जंगल की ओर बढ़ने लगे। रास्ता शांत था, लेकिन ठंडी हवा और अजीबोगरीब सन्नाटा जंगल के माहौल को और भी खौफनक बना रहा था।

जंगल के अंदर घुसते ही, उन्हें चारों तरफ अंधेरा और रहस्यमय खामोशी ने घेर लिया। टॉर्च की हल्की रोशनी में वे पेड़ों के बीच से रास्ता तलाशते हुए आवाज़ की दिशा में बढ़ने लगे। आवाज़ अब और भी साफ हो रही थी, लेकिन यह समझना मुश्किल था कि यह किस चीज़ की है।

कुछ देर बाद, वे एक खुली जगह पर पहुंचे, जहाँ चाँद की रोशनी सीधी जमीन पर गिर रही थी। अचानक, उस जगह पर एक लंबी और पतली परछाई दिखाई दी। यह परछाई किसी इंसान की तरह लग रही थी, लेकिन उसकी हरकतें बेहद अजीब थीं। उसकी आँखों से लाल रोशनी चमक रही थी, जो एक पल के लिए स्थिर थी और फिर अचानक हिलने लगी।

"यह…यह क्या है?" नील ने घबराकर कहा।

"शांत रहो," अलेक्स ने धीमे स्वर में कहा। "हमें करीब जाकर देखना होगा।"

वे धीरे-धीरे उस परछाई की तरफ बढ़ने लगे। जैसे ही वे उसके करीब पहुँचे, वह आकृति तेजी से हरकत में आई और गहरे जंगल में गायब हो गई।

"यह कहाँ चला गया?" रॉकी ने डर और आश्चर्य से पूछा।

"हमें इसका पीछा करना चाहिए," अलेक्स ने साहस भरे स्वर में कहा।

तीनों ने उस आकृति की दिशा में दौड़ लगाई, लेकिन घना जंगल और बढ़ती ठंडक उनके कदम धीमे कर रही थी। कुछ देर तक दौड़ने के बाद, वे एक अजीब सी जगह पर पहुंचे, जहाँ पेड़ों की शाखाएँ इस तरह जुड़ी हुई थीं कि वे एक गुंबद जैसा आकार बना रही थीं। इस जगह पर हवा और भी ठंडी और भारी लग रही थी।

"यह जगह तो पहले कभी नहीं देखी," नील ने धीमे आवाज़ में कहा।

अलेक्स ने चारों ओर देखा और महसूस किया कि यह जगह किसी साधारण जंगल का हिस्सा नहीं थी। वहाँ की जमीन पर अजीब निशान बने हुए थे, जैसे किसी ने वहाँ किसी रस्म को अंजाम दिया हो।

"मुझे यकीन है, यह सब किसी बड़ी घटना का हिस्सा है," आर्यन ने कहा।

रॉकी ने झुककर जमीन पर बने निशानो को देखा और बोला, "यह तो किसी भाषा की तरह लगते हैं, लेकिन मैंने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा।"

तभी अचानक, जंगल के गहराई से फिर वही आवाज़ आई। इस बार यह और भी ज़ोरदार और डरावनी थी। तीनों के चेहरे पर घबराहट साफ झलक रही थी, लेकिन अलेक्स ने अपनी हिम्मत को संभालते हुए कहा, "हमें इस रहस्य को सुलझाना होगा।"

तीनों ने फैसला किया कि वे इस जगह को ध्यान से देखेंगे और यहाँ से मिले किसी भी सुराग को साथ लेकर लौटेंगे। उन्होंने जमीन पर बने निशानो की कुछ तस्वीरें लीं और आस-पास की चीज़ों को ध्यान से देखा।

रात गहराती जा रही थी, और जंगल का सन्नाटा और भी खौफनक हो रहा था। तीनों ने महसूस किया कि अब वापस लौटना ही बेहतर होगा। लेकिन उनके मन में यह सवाल गूंज रहा था कि आखिर यह रहस्यमय आवाज़ और अजीब आकृति किस बात का संकेत दे रहे थे।

"यह सब सिर्फ एक शुरुआत है," अलेक्स ने कहा। "हमें सतर्क रहना होगा और हर चीज़ पर नज़र रखनी होगी।"

रात के अंधेरे में वे धीरे-धीरे वापस गांव की ओर चल पड़े। लेकिन उनके कदमों में अब एक नया उद्देश्य था—इस रहस्य को पूरी तरह से सुलझाने का। उनके दिल में डर था, लेकिन साथ ही एक दृढ़ निश्चय भी कि वे इस सच्चाई का सामना करेंगे, चाहे इसके लिए कितनी भी हिम्मत क्यों न लगानी पड़े।