एक छोटे से गांव में जहां हर तरफ हरियाली और सादगी थी वही एक लड़का रहता था —निरमय। उसका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, जहां शिक्षा और सपनों की बातें करना भी किसी कल्पना जैसा था । बचपन में ही उसकी माता गुजर गई थी तब से उसके पिता ने ही माता और पिता दोनों के फर्ज निभाएं और अकेले ही उसका— पालन पोषण किया। उसके पिता एक किसान थे, जो मेहनत के बावजूद मुश्किल से परिवार का पेट पाल पाते थे ,लेकिन Nirmay हमेशा से अपनी अलग पहचान बनाना चाहता था।
निर्मय बचपन से ही स्वभाव से हंसमुख और जिज्ञासु प्रवृत्ति का लड़का था ।उसके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती थी जैसे जिंदगी से उसकी कोई अनबन ही ना हो । लेकिन इस मुस्कान के पीछे छुपे थे, उसके बरे सपनें जो उसने अपने आखों में बुने थे । उसके खुले आखों से देखे गए सपनों में उसेअपनी एक नई जिंदगी नजर आती हैं । निर्मय अपने सपनों को ही अपनी दुनिया बना चुका था । जैसे कि वो अपने सपनों को जी रहा हो दुनिया से दूर कहींसआसमान पर ।निर्मय को अपने सपनों के सामने दुनिया की सारी तकलीफें छोटी लगती थी जिस कारण से वह हमेशा मुस्कुराता रहता था और अपने सपनों की दुनिया में ही खोया रहता था।
निर्मय बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होशियार था गांव के प्राथमिक स्कूल में उसने हमेशा अच्छे अंक प्राप्त किया लेकिन उसकी राह आसान नहीं थी ।कई बार स्कूल जाते समय उसे खेतों में काम करना पड़ता था ,या जानवरों को चराने के लिए जाना पड़ता था ।गांव के बाकी बच्चे उसकी मेहनत देखकर उसे चढ़ाते थे, लेकिन निर्णय का ध्यान अपने सपनों पर ही टिका रहता था । देखते देखते उसने अपने स्कूल से आठवीं कक्षा पास कर ली और अब उसे गांव से बाहर हाईस्कूल में दाखिला ले लिया । उसके स्कूल के बच्चों बच्चों को उसके स्कूल के बच्चों को एक दिन संभालनाले में हिंदी दिवस के अवसर पर वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए बुलाया गया वहां न केवल हाई स्कूल के बच्चे आए थे बल्कि दूर दराज के कॉलेज उसके बच्चे भी आए थे उसे प्रतियोगिता में निर्णय भी भाग लिया निर्णय पहले तो बड़े बच्चों को देखकर बहुत डरा किंतु उसने अपना हौसला बढ़ाते हुए उसे प्रतियोगिता में अपना विचार अच्छे से रखा जब बड़ी रिजल्ट की आई तो पता चला कि वह उसे बात विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाया था उसे प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करके वह बहुत खुश था सबसे ज्यादा खुशी तो उसे इस बात की थी कि उसने अपने रोल मॉडल वहां के डीएम से पारितोषिक प्राप्त की थी और उसे यह मौका मिला था कि वह उस डीएम के साथ बात kar पाया और उसे वहां अपने सपनों के बारे मे जानकारी मिली । अगले दिन जब अखबार में उसकी फोटो डीएम के साथ छपी तो स्कूल में चारो तरफ उसकी तारीफ के पुल बांधे जाने लगे । अखबार में उसकी फोटो देखकर उसके पिताजी बहुत खुश थे ।वह भी बहुत खुश था अपनी फोटो को देखकर और उसके आंखों से अश्रु बह रहे थे उसे ऐसा लग रहा था , जैसे कोई जंग जीत ली हो। ऐसे ही दिन बीतते गए और उसकी बोर्ड की परीक्षा आ गई उसने अपने बोर्ड की परीक्षा के लिए दिन-रात बहुत मेहनत किया कई बार गांव में लाइट चली जाने पर भी वह डिग्री में पड़ता रहा और इसी के साथ ही उसने अपनी परीक्षा बोर्ड की परीक्षा दी और जब बोर्ड की परीक्षा का रिजल्ट आया तो वह इस बार भी पूरे राज्य में टॉप कर चुका था इस बार उसे पहले से भी कई ज्यादा खुशी थी क्योंकि उसे लग रहा था कि वह अपने सपनों की ओर कदम बढ़ा रहा है । उसे उसे सम्मानित किया गया राज्य के मुख्यमंत्री के द्वारा और गांव में भी उसे सम्मानित किया गया। इस बार उसके साथ-साथ उसके पापा का भी गांव में सम्मान किया गया। इसी तरह निर्णय ने अपनी एकेडमिक पढ़ाई पूरी कर ली अब उसे अपने सपनों को पूरा करने के लिए बड़े शहर में जाने की जरूरत थी क्योंकि उसे ऐसा लग रह सही से पढ़ नहीं पाएगा और उसे एक अच्छी गाइडेंस नहीं मिल पाएगी उसने जब यह बात अपने पिता को बताएं तो उसके पिता ने उसका साथ दिया और अगले ही दिन वह अपने सपनों की दुनिया दिल्ली में जा पहुंचा जब उसने दिल्ली में कदम रखा उसे सारी दुनिया अपने गांव से बहुत ही अलग लगी रंग बिरंगी सी चहल-पहल उसे ऐसा लग रहा था मानों जैसे यह कोई शहर ना हो बल्कि उसके सपनों का एक मकान हो जहां वह कदम रख रहा था ।
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