Chuppi - Part - 6 in Hindi Women Focused by Ratna Pandey books and stories PDF | चुप्पी - भाग - 6

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चुप्पी - भाग - 6

फाइनल मैच हारने के बाद क्रांति बहुत रोई। वह जानती थी कि उसे जान बूझकर चोटिल किया गया था वरना इस मैच को वह हाथ से जाने नहीं देती। लेकिन जो होना था वह तो हो चुका था।

रौनक सर ने उसे बहुत समझाया और कहा, "खेल कूद में यह सब आम बातें हैं, ऐसा तो होता रहता है। तुम्हारा प्रदर्शन लाजवाब था। देखना चयन कर्ता तुम्हें ज़रूर चयनित करेंगे और फिर तुम अपने राज्य की तरफ़ से खेलोगी।"

अब तक क्रांति की उम्र 17 वर्ष की हो चुकी थी और वह जवानी की सबसे ज़्यादा खूबसूरत सीढ़ी चढ़ रही थी। भगवान ने उसे सुंदरता के रूप में एक बहुमूल्य उपहार भी दिया था। वह बेहद खूबसूरत थी। उसके खेल के साथ ही साथ उसकी सुंदरता के भी चर्चे होते रहते थे।

यहाँ पर जो चयन कर्ता थे उनमें से एक अमर की नज़र क्रांति की सुंदरता की कायल हो रही थी। उसने अपने साथी विकास से कहा, "मुझे लगता है यह क्रांति को हम सिलेक्ट कर सकते हैं। तुम्हारा क्या ख़्याल है?"

विकास ने कहा, "हाँ, वह लड़की बहुत अच्छा खेलती है। टीम को जीत की तरफ़ ले जाने की काबिलियत है उसमें। जोश भी है और इच्छा शक्ति भी दिखती है।"

तब तक अमर ने कहा, "और सुंदरता ...वह तो ग़ज़ब ही ढाती है।"

"अमर, तुम्हारा इरादा कुछ नेक नहीं लग रहा है।"

"विकास, मैंने भी तो हमेशा तुम्हारे इरादे का ख़्याल रखा है।"

"हाँ-हाँ तुम ही डील कर लो।"

खेल समाप्त होने के कुछ ही समय बाद, इनामों का वितरण भी संपन्न हो गया।

अमर इसी बीच क्रांति के पास आया और उससे बातें करने लगा। उसने कहा, "क्रांति तुम बहुत अच्छा खेलती हो। बॉल तो मानो तुम्हारा इशारा समझ जाती है, तुम्हारे पास से यह आसानी से किसी और के पास नहीं जाती। मुझे लगता है तुम्हें तो अब राज्य की टीम से खेलने का मौका मिलना चाहिए। यह मौका मैं तुम्हें दे सकता हूँ।"

क्रांति ने खुश होकर कहा, "थैंक यू वैरी मच सर।"

"थैंक यू ...? सिर्फ़ 'थैंक यू' कहने भर से ही इतनी बड़ी टीम में आने का मौका नहीं मिलता क्रांति। उसके लिए तो ...?"

क्रांति ने दंग होकर पूछा, "उसके लिए क्या सर? क्या करना पड़ता है?"

"अब तुम ख़ुद ही समझदार हो यह लो मेरा कार्ड," इतना कहकर अमर अलग चला गया।

जाते-जाते उसने कहा, "यदि हाँ का इशारा कर दोगी तो तुम्हारा नाम अभी आज ही एनाउंस कर दूंगा, बाक़ी तुम्हारी मर्जी। बहुत-सी लड़कियाँ अच्छी हॉकी खेलती हैं, मौका उन्हें भी मिल सकता है।"

क्रांति हैरान होकर उन्हें जाते हुए देखते रह गई। उसके कहे वह वाक्य क्रांति के कानों में गूंज रहे थे। साथ ही अपनी मम्मी रमिया का वाक्य भी कि बेटा बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं, यह सब इतना आसान नहीं है मेरी बच्ची।

इतने में क्रांति की नज़र अमर की तरफ़ गई जो बड़ी ही शान से, सम्मान के साथ सोफे पर बैठा था। वह बार-बार क्रांति की तरफ़ देख रहा था। शायद उस इशारे के इंतज़ार में जिसकी उसे चाह हो गई थी। क्रांति की आंखों में आंसू थे। उसे आज एहसास हो रहा था कि पापा भी शायद इसीलिए इतनी सख्ती के साथ मना कर रहे थे।

उसकी आंखों में आंसू देख कर उसकी टीम की सब लड़कियों को लगा कि शायद हारने की वज़ह से क्रांति उदास है।

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक 
क्रमशः