Ishq da Mara - 44 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 44

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इश्क दा मारा - 44

गीतिका जैसे ही खड़ी होती है, वैसे ही वो यूवी पर गिर जाती है। यूवी उसे सम्भाल लेता है और बोलता है, "तुम ठीक तो हो न कही लगी तो नहीं"।

तब गीतिका बोलती है, "मैं ठीक हू"।

तभी यूवी गीतिका को बैठा देता है और बोलता है, "थोड़ा आराम करो, वरना पता चला कि और चोट लगा कर बैठ गई "।

तभी वहां पर मीरा की भाभी आ जाती है मीरा के छोटे भाई रवि के साथ। तब मीरा की भाभी बोलती है, "गीतिका तुम ठीक तो हो "।

तब गीतिका बोलती है, "भाभी मुझ से खड़ा नहीं हुआ जा रहा है, मेरे पैर में बहुत दर्द हो रहा है"।

तभी मीरा की भाभी सरसों का तेल देखती है तो बोलती है, "ये तेल यहां पर कैसे रखा हुआ है "।

तब गीतिका बोलती है, "वो मैं अपने पैर की मालिश कर रही थी, मगर फिर भी मेरा पैर ठीक नहीं हुआ"।

तब मीरा की भाभी बोलती है, "रुको मैं अभी अच्छे से कर देती हूं मालिश "।

तब यूवी बोलता है, "अच्छा ठीक है भाभी अब मैं चलता हूं "।

तब रवि बोलता है, "भाई आप जल्दी से घर जाओ और तैयार हो कर आ जाओ... और हा कोई बहाना मत बनाना"।

उसके बाद यूवी चला जाता है। और मीरा की भाभी दोबारा से गीतिका के पैर की मालिश करने लगती है।

उधर रानी सज धज कर तैयार हो जाती है और शीशे में खुद को देख कर बोलती है, "अरे वाह रानी तू तो आज बड़ी ही सुंदर लग रही है, आज तो पक्का यूवी तुझे देख कर तुझ पर फिदा हो जाएगा"।

तभी वहां पर राधा आती है और बोलती है, "रानी जाना नहीं है क्या ?????

तब राधा बोलती है, "हा जाना है मुझे "।

उसके बाद वो चली जाती है।

गीतिका के पैर में दर्द हो ही रहा होता है। मगर फिर भी वो हिम्मत करके तैयार हो जाती है। तभी मीरा की भाभी बोलती है, "अरे वाह गीतिका तुम तो बड़ी ही सुंदर लग रही हो, कही ऐसा न हो कि मीरा के दूल्हे का दिल तुम पर ही आ जाए "।

तब गीतिका बोलती है, "अब दिल ही है किसी का, किसी पर भी आ सकता है "।

ये बोल कर गीतिका हंसने लगती है।

तब रवि बोलता है, "अब चलो भी, या फिर यही पर बाते करती रहोगी "।

उसके बाद वो चले जाते हैं।

उधर हॉल में रानी यूवी के पास जा कर खड़ी हो जाती है और बोलती है, "कैसी लग रही हूं मैं "।

यूवी रानी की तरफ गुस्से से देखता है और बोलता है, "शीशा नहीं था घर में, जो मेरे सामने आ कर खड़ी हो गई हो"।

तब रानी बोलती है, "तुम कभी प्यार से बात नहीं कर सकते हो क्या मुझ से "।

तब यूवी बोलता है, "नहीं.......

तब रानी बोलती है, "तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है"।

तब यूवी बोलता है, "तुम.... देखो अब यहां से जाओ, सब यही पर ही देख रहे हैं"।

तब रानी बोलती है, "मैं तो कही पर भी नहीं जाने वाली यहां से "।

तब यूवी बोलता है, "तो फिर ठीक है खड़ी रहो यही पर, मैं खुद ही चला जाता हूं "।

उसके बाद यूवी वहां से चला जाता है।

तभी अचानक से यूवी की नजर गीतिका पर पड़ती है और वो उसे देखने लगता है। तभी वहां पर बंटी आ जाता है और बोलता है, "बस कर भाई नजर लगाएगा क्या "।

बंटी को अचानक देख कर यूवी घबरा जाता है और बोलता है, "तू..... तू तो अभी बाहर गया था न"।

तब बंटी बोलता है, "क्या हुआ उसे देख कर तेरे दिल की घंटी बज रही है"।

तब यूवी बोलता है, "बकवास बंद कर "।

गीतिका से चला नहीं जाता है। मीरा के भाई और भाभी उसे पकड़ कर ला रहे होते हैं। तभी गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "बेटा ज्यादा चोट लग गई हैं तुम्हे तो, तभी तो चल नहीं पा रही हो "।

तब गीतिका बोलती है, "नहीं फूफा जी ज्यादा चोट नहीं लगी है, बस हल्का सा दर्द हो रहा है और चलने में थोड़ी परेशानी हो रही है "।

तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "अच्छा नहीं है तुम जाओ मीरा के पास, वहां पर जा कर आराम से बैठ जाओ "।

उसके बाद वो मीरा के पास जा कर बैठ जाती हैं। तब मीरा बोलती है, "बहन तुम्हे तो कुछ ज्यादा ही चोट लग गई है"।

तब गीतिका बोलती है, "हा यार बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है और चला भी नहीं जा रहा है "।

तब मीरा बोलती है, "यार वो तो भला हो यूवी भाई का, जो हमे वहां मिल गए थे, वरना पता नहीं मैं तुम्हे घर कैसे लाती "।

तभी गीतिका की बुआ जी आती है और बोलती है, "मीरा चलो सगाई का समय हो गया है "।

तब मीरा गीतिका को उठाती है और बोलती है, "चलो"।

तब गीतिका बोलती है, "तुम मुझे पकड़ोगी या अपने कपड़े संभालोगी, ऐसा करो तुम बुआ जी के साथ चलो मैं पीछे पीछे आती हूं, वैसे भी सब मुझे ही देख रहे हैं, की दो दो लोग मुझे ले कर जा रहे हैं, और मुझे अच्छा नहीं लग रहा है"।

तब मीरा बोलती है, "अच्छा ठीक है, तुम आराम से आओ "।

उसके बाद गीतिका की बुआ जी मीरा को ले जाती है। गीतिका अब धीरे धीरे उठने की कोशिश करती है मगर उठ नहीं पाती है। तभी उसे कोई अपना हाथ देता है और उठने के लिए बोलता है। गीतिका देखती है कि वो यूवी होता है।

तब यूवी बोलता है, "ऐसे क्या देख रही हो, पकड़ो हाथ और उठो"।

तब गीतिका बोलती है, "तुम यहां पर क्या कर रहे हो "।

तब यूवी बोलता है, "वैसे मैं तुम्हे देखने आया था, कि तुम कैसी हो "।

तब गीतिका बोलती है, "देख लिया "।

तब यूवी बोलता है, "हा......

तब गीतिका बोलती है, "तो फिर जाओ"।

तब यूवी बोलता है, "क्या हुआ तुम्हारे सर में दर्द होने लगा दोबारा मुझे देख कर"।

तब गीतिका बोलती है, "हा...."।

तब यूवी बोलता है, "बाते मत बनाओ और हाथ दो अपना "।

तब गीतिका यूवी को अपना हाथ देती है और यूवी उसे उठाता है। और उसे पकड़ कर ले जा रहा होता है। तब गीतिका बोलती है, "तुम मुझे कहा ले जा रहे हों"।

तब यूवी बोलता है, "डरो मत किसी गढ्ढे में नहीं फेक दूंगा"।

तब गीतिका बोलती है, "कोई देख लेगा, और तुमने मेरा हाथ पकड़ रखा है "।

तब यूवी बोलता है, "अरे वाह यहां पर तो हाथ पकड़ने में भी परेशानी हो रही है और घर में पैरों की मालिश करवाई जा रही थी "।

तब गीतिका बोलती है, "बकवास बंद करो और बताओ कहा ले कर जा रहे हों तुम मुझे "।

तब यूवी बोलता है, "चुप चाप मुंह बंद करो और मेरे साथ चलो "।

यू इस तरह यूवी का ले जाना गीतिका को समझ में नहीं आता है और वह काफी डर जाती है...........