Ishq da Mara - 43 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 43

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इश्क दा मारा - 43

यूवी की बाते सुन कर गीतिका बोलती है, "मैं भला क्यों डरने लगी तुम से, और तुम न अपना दिमाग ज्यादा मत चलाओ, और जाओ किसी को बुला कर लाओ, ताकि मेरा पैर ठीक  कर दे "।

तब यूवी बोलता है, "तुम बेहरी हो, तुम्हे सुनाई नहीं देता है क्या, अभी काकी ने क्या बोला था, की घर में कोई भी नहीं है, हा चौकीदार होगा, उसे बुला कर ले आऊ, तुम्हारे पैर की मालिश के लिए "।

ये सुनते ही गीतिका यूवी को गुस्से से देखने लगती है और बोलती है, "तो फिर क्या मैं यू ही बैठी रहु "। 

तब यूवी बोलता है, "देखो मेरा दिमाग मत खाओ, एक तो तुम्हारी वजह से मैं यहां पर फंसा हुआ हूं"।

तब गीतिका बोलती है, "इतना एहसान करने की कोई जरूरत नहीं है, तुम जाओ यहां से, वैसे भी तुम्हे देख कर मेरे सर में दर्द होने लगता है "।

तब यूवी बोलता है, "यही तो प्रॉब्लम है कि तुम्हे अकेला छोड़ कर नहीं जा सकता हूं, क्योंकि काकी ने कहा है "।

तब गीतिका बोलती है, "अगर मुझे छोड़ कर नहीं जा सकते हो, तो फिर ऐसा करो कि तुम ही मेरे पैर की मालिश कर दो, उसके बाद मुझे भी हॉल ले जाना "।

ये सुनते ही यूवी गीतिका की तरफ गुस्से से देखने लगता है और बोलता है, "तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया है, ये क्या बोल रही हो "।

तब गीतिका बोलती है, "मैं तो तुम्हारे फायदे के लिए ही बोल रही हूं, देखो क्योंकि इसके अलावा तुम्हारे पास और कोई ऑप्शन ही नहीं है, अगर तुम मेरे पैर की मालिश नहीं करोगे तो फिर मेरा पैर ठीक नहीं होगा, और अगर मेरा पैर ठीक नहीं हुआ तो..... उसके बाद तुम्हे भी यही पर रहना होगा, अब मेरा काम था बताना, आगे तुम्हारी मर्जी "।

उसके बाद यूवी जाता है और गरम सरसों का तेल ले कर आता है और गीतिका से बोलता है, "ये लो सरसों का गरम तेल और अपने हाथों से खुद मालिश करो, और मेरा पीछा छोड़ों "।

गीतिका यूवी की तरफ देखती है और तेल ले कर लगाने लगती है। गीतिका काफी आराम से तेल लगा रही होती है"।

तब यूवी बोलता है, "पैर पर इतने आराम से हाथ नहीं फेरना है, थोड़ा तेज का हाथ लगाओ "।

तब गीतिका बोलती है, "तुम न मुंह बंद करके चुप चाप खड़े रहो, इतना ऐसा करो कि चले जाओ "।

गीतिका आराम से तेल लगाने लगती है।

उधर गीतिका की बुआ जी मीरा को ले कर हॉल पहुंच जाती है। तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "गीतिका कहा है ????

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "वो उसके पैर में चोट लग गई है, इस वजह से वो नहीं आ पाई, मैं अभी किसी को भेजती हूं "।

तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "तुम उसे घर में अकेला छोड़ कर आई हो "।

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "नहीं मैं यूवी को उसके पास छोड़ कर आई हूं "।

ये सुनते ही गीतिका के फूफा जी गुस्सा हो जाते हैं और चिल्ला कर बोलते हैं, "तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया है, तुम गीतिका को एक गुंडे के साथ अकेला छोड़ कर आ गई हो "।

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "हा माना कि वो गुंडा है, मगर शरीफ लड़का है, और मैं करती भी क्या बताइए आप, उससे चला नहीं जा रहा था और वो इस हालत में यहां पर आ कर क्या करती "।

तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "वो तुम्हारी बेटी नहीं हैं, जो तुम उसे यू ही अकेला छोड़ कर आ गई हो, अगर उसके साथ कुछ हो गया तो, फिर क्या जवाब दोगी उसके घर वालों को "।

तब मीरा बोलती है, "पापा यूवी भाई बुरे इंसान नहीं हैं, वो एक अच्छे इंसान हैं, और वो गीतिका को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाएंगे "।

तब गीतिका के फूफा जी मीरा पर चिल्लाते हैं और बोलते हैं, "तुम तो मुंह पर करो अपना, और हा जल्दी से जा कर अपनी भाभी को भेजो घर गीतिका के पास, और उसे बोलो कि वो उसे ले कर आए "।

उधर गीतिका आराम से पैर में मालिश कर रही होती हैं। ये देख कर यूवी को गुस्सा आ जाता है और वो बोलता है, "तुम ये क्या खेल खेल रही हो, तुम्हे तो अच्छे से मालिश करनी भी नहीं आती है "।

तब गीतिका गुस्से में बोलती है, "मैने न कोई कोर्स नहीं किया है मालिश करने का"।

उसके बाद यूवी गीतिका के हाथ से तेल ले लेता है और खुद उसके पैर में मालिश करने लगता है। यूवी ज्यादा जोर से पैर दबाता है जिससे कि गीतिका के पैर में दर्द होने लगता है। तब गीतिका बोलती है, "तुम्हे ये बदला लेने का टाईम दिख रहा है, जो इतनी जोरो से मेरा पैर दबा रहे हो "।

तब यूवी बोलता है, मुंह बंद करके बैठी रहो"।

गीतिका के पैर का दर्द बढ़ जाता है और वो रोने लगती हैं।

तब यूवी बोलता है, "तुम रो क्यों रही हों"।

तब गीतिका बोलती है, "जब पैर में दर्द हो रहा है तो क्या करु"।

तब यूवी बोलता है, "बस पांच मिनट थोड़ा दर्द झेल लो प्लीज "।

उसके बाद यूवी गीतिका के पैर में मालिश करने लगता है और गीतिका यूवी को देखती रहती है।

यूवी बोलता है, "पैर झटकों अपना"।

गीतिका आराम से पैर झटकती है "।

तब यूवी बोलता है, "तेज की"।

तब गीतिका बोलती है, "मुझ से नहीं हो रहा है तेज की, एक तो पैर में दर्द हो रहा है ऊपर से तुम तेज की झटकने बोल रहे हो "।

उसके बाद यूवी खुद तेज की गीतिका का पैर झटकने लगता है।

उसके बाद यूवी बोलता है, "देखो ... वैसे भी तुम ने मेरा बहुत टाईम बर्बाद कर दिया है, प्लीज अब चलो जल्दी"।

तब गीतिका बोलती है, "कहा ????

तब यूवी बोलता है, "हॉल और कहा, तुम्हे नहीं जाना है क्या वहां"।

तब गीतिका बोलती है, "हा जाना तो है, मगर मैं ऐसे थोड़े ही जाऊंगी, तैयार हो कर जाऊंगी "।

तब यूवी बोलता है, "तुम क्या करोगी तैयार हो कर, कौन सी तुम्हारी सगाई है आज "।

तब गीतिका बोलती है, "तो क्या मैं सगाई में यू ही भिखारी बन कर चली जाऊ, चुप चाप बैठ कर मेरा इंतजार करो, तब तक मैं तैयार हो कर आती हूं "।

तभी गीतिका जल्दी से उठती है। मगर वो खड़ी नहीं हो पाती है और यूवी के ऊपर गिर जाती है..........