Anokha Vivah - 2 in Hindi Love Stories by Gauri books and stories PDF | अनोखा विवाह - 2

The Author
Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

Categories
Share

अनोखा विवाह - 2

अनिकेत कुछ सोचते हुए पर मैं भी अपने द ग्रेट दादू का पोता हूं ( हल्का सा मुस्कुराते हुए)

आखिर क्या चल रहा है अनिकेत के दिमाग में कोई नहीं जान सकता ,,,,,,, अनिकेत का क्लासमेट उसकी तरफ आता हुआ 

हाय व्हाट्स एप ब्रो,,,,चल कैंटीन चलते हैं,,, हां यार चल वैसे मैं ठीक से कुछ खाकर नहीं आया,,,,, दादू की बातों ने ही इतना डिस्टर्ब कर दिया आज भूख ही नहीं है,,,,यार मुझे डर लगने लगा अभी तो शादी नहीं हुई तब मेरा खाना पीना सब बन्द हो गया है पता नहीं शादी के बाद क्या होगा 

दूसरी तरफ

एक लड़की ( काव्या चौहान, उम्र 21साल ) जिसे अपनी खूबसूरती की फ़िक्र दुनिया में सबसे ज्यादा है ,,,,,,, 

  मां ,,,,,, मैंने कल का पार्लर अपॉइंटमेंट ले लिया है ,,,,,, अच्छा,,, ठीक है बेटा, एक काम कर  मैं सोच रही हूं छोटी ( सुहानी चौहान, उम्र 17 साल ) को भी साथ ले जा आखिर उसकी बड़ी बहन की शादी है, ऐसे तो वो कुछ करवाती नहीं है तो तू अपने आथ ले जाएगी कुछ तेरी भी हेल्प हो जाएगी ,,,,,,,,,,काव्या कुछ सोचते हुए,,,,,,,,पर मां उसे कुछ आता जाता तो है नहीं मेरी इंसल्ट और करवा देगी ,,, पता नहीं आप लोगों ने क्यों उसे घर से बाहर नहीं जाने दिया कभी तो कुछ सीखती ही ,,,,,,,,,तू नहीं समझेगी काव्या, तू बस उतना कर जितना मैं कह रही हूं,,,,,,,, 

" ठीक है मां मैं ले जाऊंगी "

लेकिन आप भी उसे समझा दीजिएगा, कि अगर कोई उससे कुछ पूछे तो जवाब दे दे मैं कुछ नहीं बोलने वाली ,,,,,,,,, हां ठीक है बाबा मैं समझा दूंगी, अब तुम एक काम करो गेट बन्द कर लो मैं थोड़ा बाहर जा रही हूं कुछ काम है तब तक तुम कुछ खाना बना कर रखना,,,,,,,, ठीक है मां, मैं बना लूंगी,,,,,,,,,,,,,

काव्या मन में सोचते हुए,,,,,, पता नहीं कब तक मुझे अच्छा बनने के लिए अपनी पॉकेट मनी खाना मंगवाने में खर्च करनी होगी ,,,,,,,,

थोड़ी देर बाद,,,,,,,, काव्या मन में,,,,,,,, मां ने तो सुहानी  को साथ ले जाने को बोल दिया है अब मैं नीरज से कैसे मिलूंगी,,, सोचा था कि कल पार्लर के बहाने ,,,, नीरज से मिलकर आगे का प्लान बनाऊंगी ,,,,,,,पर अब क्या करूं,,,,,,,,,, कुछ सोचते हुए,,,, अगर सुहानी मां के सामने खुद ही मना कर दे तो ,, इतना सोचते हुए वो एक कमरे में जाती है जहां पर सुहानी बैठी कुछ ड्राइंग कर रही थी ,,,,,,,,, सुहानी क्या कर रही है,,,,,, कुछ नहीं दीदी हम तो बस,,,,,, इतना बोल ही पाई थी सुहानी तभी काव्या चीखते हुए,,,,,,,,,,ये क्या तुम मेरी ड्राइंग की नोटबुक पर कैसे कुछ कर सकती हो तुम्हें मेरी ये नोटबुक मिली कहां से ,,,,,,,,,, सुहानी डरते हुए,,,,वो दीदी हमने कुछ नहीं किया,,, नोटबुक तो वहां खराब कॉपी किताबों में रखी थी तो हमने सोचा कि ये अब आप के काम की नहीं है तो हमने इस पर ड्राइंग कर दी,,,,,,,,,उस नोटबुक पर बनी ड्राइंग को ध्यान से देखते हुए काव्या तेज से हंसती है और फिर कहती हैं ,,,,,,,,ये ड्राइंग है अगर इसे ड्राइंग कहते हैं तो फिर ड्राइंग को क्या कहेंगे,,, काव्या कह ही रही होती है तभी काव्या का फोन रिंग करता है जिसकी स्क्रीन पर नीरज नाम फ़्लैश हो रहा था,,,,,,,,,, हैलो,,,एक मिनट ,,,, फिर सुहानी को देखते हुए,,आज के बाद मेरी किसी भी चीज को हाथ लगाया ना तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,,,,,,,, फिर काव्या कमरे के बाहर जाती हूई कान में वापस फोन लगाकर कहती हैं,,,,,,,, हां नीरज कैसे हो,,,,,,,,,,फोन के उधर से आवाज आती है मैं तो ठीक हूं, तू बता कल मिल रही है ना,,,,,अरे यार कहां मिल पाऊंगी  ,,, मां ने तो इस सुहानी को भी साथ ले जाने को कहा है पार्लर,,,,,,,,,,फोन के उधर से नीरज कुछ सोचते हुए ओह सुहानी तो एक काम कर ना ले आ , इसमें प्राब्लम क्या है ,,,,,,,,,, काव्या थोड़ा तेज आवाज में,,,,,,,,अरे यार इसे लेकर आऊंगी तो फिर मिलूंगी कैसे ,,,,,,,,तू उसकी फ़िक्र मत कर ,,,,,बस जितना कह रहा हूं कर फिर देख मैं कैसे तुम्हारी शादी वाले दिन धमाका करवाता हूं,,,,,,,, काव्या मुस्कुराते हुए अच्छा ऐसा क्या तो ठीक है मैं ले आऊंगी,,, लेकिन मैं इसके साथ आऊंगी ना तो शायद ज्यादा टाइम ना दे पाऊं तुम्हें,,,,,,,,अरे मेरी जान टाइम तुमको नहीं देना है वो तो मैं खुद ले लूंगा बस तुम आ जाना,,,,,ओके बाय,,,,,,फोन के उधर से आवाज आती है,,,बाय जल्दी आना,,,,,ओके 

रात 11बजे , अनिकेत का कमरा 

 बेेेड पर लेेेटा  सोचते हुए अपने मन में, मैं क्या करूं मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा कैसे दादू को मनाऊं कि वो ये मुझे सीईओ बनाने का मन हटा दें, करता हूं कल बात दादू से........

अगली सुबह -6बजे 

सावित्री जी मन्दिर में आरती करके बाहर आती हूई,,,,,,,,श्यामू काका ,,,,,,,

जी मालकिन,,,,,,,,,काका आज हल्दी और मेहंदी की रस्म है ,,,,,,,,शयामू काका कुछ सोचते हुए,,,,,,, मालकिन मेंहदी की रस्म,,,,,,,,,हां काका ,,,,,,,,,,, अनिकेत के तो शगुन की मेहंदी लगेगी पर हम औरते सब लोग तो मेहंदी लगाएंगे ना ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं

हां मालकिन,,,,,,,हम अभी सब इंतजाम करवाते हैं तो शाम को अच्छे से रस्म हो जाएगी 

दो घंटे बाद

डाइनिंग टेबल पर सभी लोग मौजूद थे तभी अनिकेत अपनी बात कहते हुए ,,,,,,,,, दादू आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं अभी तो मैं अपनी शादी की जिम्मेदारी उठाऊंगा या फिर सीईओ बनने की ,,,,,,,,,,,, अनिकेत शायद आपको हमारी बात समझ नहीं आई कि अगर आपको ऐश और आराम चाहिए तो काम भी तो करना ही होगा ना, हमारे जमाने में हमारी उम्र 18 की होते ही ब्याह और पूरे घर की जिम्मेदारी कंधों पर आ जाती थी और ये नाम भी हमने खुद बनाया है और आपके पास अब जब सब कुछ है तब आपको समस्या हो रही है,,,,,,,,,,,,,और अब से इस बारे में कोई बात नहीं होगी ,,,,,,,,,,,पर दादू ,,,,,,,,,,,,,,,,अखण्ड जी अपना हाथ दिखाते हुए,,,,,,,,,,,,,,बस 

दूसरी तरफ ,,,,,,,,, काव्या अपनी मां से ,,,,,, मां मुझे 12 बजे पार्लर जाना है आपको बताया था ना मैंने , प्लीज़ आप छोटी को रेडी कर देगी 

हां मैं अभी कर देती हूं,,,,,,,,,

थोड़ी देर बाद,,,,,,,,,,,,,एक रेस्टोरेंट में एक लड़की लड़के से बात करते हुए,,,,,,नीरज तुमने मुझे यहां क्यों बुलाया है,,,,,,,मेरी जान तुम बैठो बताता हूं सब और हां तेरी छोटी बहन कहां है,,,,,,,,,वो बैठी है,,,,,,,,पर नीरज तुमने क्या सोचा है छोटी को लाने को क्यों कहा ,,,सब बताता हूं चल वही साथ चलकर बैठते हैं,,,,,,,,,,,,,,,

आखिर क्या चल रहा है नीरज के दिमाग, और कौन सा धमाका करने वाला है नीरज काव्या की शादी में.................देखते हैं नेक्स्ट पार्ट में