Bandhan Pyar ka - 26 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | बन्धन प्यार का - 26

Featured Books
  • ओ मेरे हमसफर - 23

    (दो साल बाद प्रिया पूरी तरह बदल चुकी है—अब वह भीम रियल एस्टे...

  • यादों में बसाया तुमको

    यादों में बसाया तुमको रात की खामोशी में जब भी हवा खिड़की से...

  • Commerce Wale Dost - 2

    भाग – 2पाँचों दोस्त बहुत अच्छे से अपनी ज़िंदगी बिता रहे थे।...

  • त्रिशा... - 15

    त्रिशा की बात सुनकर उसकी मां कल्पना बोली," बेटा!!!! यह डर तो...

  • House no105 (Unsolved Mystery) - 8

    मीरा को कमरे की तलाशी के वक्त काफी सारे हैरान करने वाले राज...

Categories
Share

बन्धन प्यार का - 26

नही ये नही होगा
"अम्मी क्या सोच रही हो
बेटी की बात सुनकर वह अतीत से वर्तमान में लौट आयी
"मे तेरा निकाह दूसरे धर्म के लड़के से नही करूंगी"सलमा बोली,"अपने मजहब का कोई भी लड़का तलाश ले
"अम्मी तू जानती है हमारे मजहब में चाहे जब बीबी को शौहर छोड़ सकता है
"जरूरी नही है मेरे साथ जो हुआ तेरे साथ हो
"अगर हो गया तो
"अल्लह पर भरोसा रख
"तीन तलाक न दे तो एक से ज्यादा शादी तो कर सकता है
"तू उल्टा क्यो सोच रही है
"अम्मी तेरे साथ हो चुका है,"हिना बोली,"जान बूझकर अम्मी मे रिस्क नही लूंगी।मैने फैसला कर लिया है निकाह नरेश से ही करूंगी
"तुझ्रे अपने मजहब और बिरादरी का कोई ख्याल है भी या नही
"अम्मी मुझे अपनी जिंदगी का फैसला करना है।भविष्य का ख्याल रखना है।मै जज्बात में आकर अपनी जिंदगी दाव पर नही लगा सकती
"मैं तेरी बातों में नही आऊंगी।तेरा निकाह अपने मजहब में ही करूंगी
और हिना कि माँ नाराज होकर चली गयी थी।
"नरेश
सुबह सुबह फोन की घण्टी बजी थी।नरेश ने मोबाइल कान से लगाते हुए कहा,"बोलो हिना
"अम्मी चली गई
"कहाँ
"पाकिस्तान
"कब
"रात की फ्लाइट से
"तुंमने रोका नही
"मैने हर मुमकिन कोशिश की पर वह नही मानी।"हिना ने नरेश को विस्तार से सारी बाते बतायी थी
"मैं अभी आता हूँ
"किसका फोन था?"नरेश को तैयार होता देखकर मा ने पूछा था
"हिना का।उसकी अम्मी नाराज होकर चली गयी है।"नरेश ने मा को सब बातें बताई थी।मा उसकी बातें सुनकर बोली
जब हिना की माँ नही चाहती तुमसे शादी करना।तो तू भी क्यो पीछे पड़ा है
"कोई भी मा नही चाहती।तो भी नही चाहती कि तेरे बेटे का प्यार परवान चढ़े
"यह बात नही है बेटा
नरेश चला गया था।हिना उदास बैठी थी।नरेश को देखते ही बोली"अब क्या होगा
"हम शादी करेंगे
"शादी।बिना अम्मी की मर्जी के
"हा।हम शादी करेंगे और आज ही,"नरेश बोला,"चलो मेरे साथ
नरेश,हिना को साथ ले आया।वह घर आकर मा से बोला,"मा मैं औऱ हिना आज ही शादी करेंगे
"आज ही क्यो
"माँ हिना अब अगर अकेली रहेगी तो परेश न रहेगी और बिना शादी के यहाँ रहेगी तो तुझे भी बुरा लगेगा
"लेकिन इसकी मा
"अभी वह गुस्से में है।जब उनका गुस्सा शांत हो जाएगा।तब मा न जाएगी
"यह भी सही है,"मा बोली,"शादी के लिए कपड़े भी चाहिए
नरेश,हिना को लेकर बाजार गया था।उसने अपने लिए और हिना के लिए कपड़े खरीदे थे।नरेश ने अपने दोस्त राकेश को औऱ हिना ने अपनी सहेली रोजी को फोन कर दिया था।वे लोग कोर्ट पहुंच गए थे।कोर्ट के अंदर उनकी शादी हुई थी।शादी की पार्टी होटल में रखी गयी थी।वे कोर्ट से सीधे होटल पहुंचे थे।
होटल में लंच के बाद वे घर पहुंचे थे।नरेश अंदर जाने लगा तो माँ बोली थी
अभी दरवाजे पर ही रुको
मा दौड़कर पूजा कि औऱ महावर की थाली ले आयी थी।उसने थाली धहरी पर रख दी और हिना की आरती उतारने के बाद बोली
बहु अब थाली में पैर रखकर तुम्हे अंदर आना है
सास कि बात सुनकर हिना ने पति की तरफ देखा था।"
"माँ तुम जानती हो हिना मुस्लिम है और उनके यहाँ यह रिवाज नही है।"नरेश मा से बोला था
"बेटा।बहु घर की लक्ष्मी होती है।जब लक्ष्मी घर आती है तो हमारे यहाँ इसी तरह उसका स्वागत किया जाता है
सास की बात सुनकर हिना ने थाली में पैर रखकर अंदर चली गयी