Khamoshi ka Rahashy - 3 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | खामोशी का रहस्य - 3

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खामोशी का रहस्य - 3

छुट्टी वाले दिन दीपेन देर से उठता औऱ सारे काम धीरे धीरे से पूरे करता।छुट्टी वाले दिन वह घर से कम ही निकलता था।बहुत जरूरी होता तभी।
लेकि न आज आया था।माया को आने में पूरा एक घण्टा बाकी था।वह प्लेटफार्म पर घूमने लगा।कम ही लोग थे एक कोने में एक लड़का लडक़ी खड़े बहुत धीरे धीरे बाते कर रहे थे।वह स्टाल पर जा पहुंचा।
"एक चाय देना
औऱ वह खड़ा होकर चाय पीने लगा।लोकल ट्रेनों का आना जाना जारी था।और जैसे तैसे 12 बजे।12 बजते ही वह गेट पर जाकर खड़ा हो गया।और कुछ देर बाद माया आयी थी।उसे देखकर बोली,"तुम कब आये
"क्या बताऊँ
"कब आये यह बताओ
"11 बजे
"इतनी जल्दी
"पहली बार किसी लड़की ने साथ चलने का प्रस्ताव स्वीकार जो किया था
"कितनी लड़कियों को यह प्रस्ताव दे चुके ही
"तुम से पहले किसी को नही
"फिर क्यो झूठ बोल रहे हो
"तुम इन कपड़ो में सुंदर लग रही हो
माया आज गुलाबी रंग का सूट पहनकर आयी थी।
"थेंक्स
"अब कहा चलना है
"सी इस बी टी चलते हैं।वहाँ किसी होटल में खाना खायेंगे
"चलो
वे एक होटल में खाने के लिए गए थे।फिर खाना खाने के बाद वे पिक्चर देखने के लिए गए थे
पिक्चर रोमांस से भरपूर और रोचक थी।
उस दिन के बाद ऑफिस की छुट्टी का दिन दीपेन और माया साथ गुजारने लगे।दोनों साथ घूमते।पिक्चर देखते।खाते पीते और खरीददारी भी करते समय गुजरने के साथ दीपेन ,माया के इतना करीब आ गया था कि उसके दिल की धड़कन सुन सकता था।फिर भी वह उसके बारे में ज्यादा नही जान पाया था।माया उसके साथ खाती पीती।बाते करती।घूमती लेकिन अपनी तरफ से कभी कोई बात नही करती थी।सिर्फ दीपेन के सवालों का ही जवाब देती थी।अपनी तरफ से वह न कोई बात छेड़ती। न ही अपने बारे में कुछ बताती थी।एक रहस्यमय खामोशी ओढ़े रहती।
औरत आदमी का एक दूसरे के प्रति आकर्षित होना मानवीय प्रवर्ति है।जैसे चुम्बक के विपरीत ध्रुव एक दूसरे की तरफ आकर्षित होते हैं।ऐसे ही औरत आदमी भी खिंचाव महसूस करते हैं।दूसरे शब्दों में एक दूसरे के करीब जाते हैं।
समय गुजरने के साथ दीपेन माया को चाहने लगा।उससे प्यार करने लगा।और उसके ही सपने देखने लगा।
सपने देखना मानव कि स्वभाविक प्रवर्ति है।नींद में हरेक को सपने आते है।ऐसे ऐसे सपने जो कभी सच नहीं होते।और आदमी सोचता है काश यह सच हो जाये
आंखे खुली होने पर भी सपने देखे जाते हैं।हर कुंवारी लडक़ी जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही अपने भविष्य का सपना देखने लगती है।पहले हर कुंवारी लड़की का सपना हो ता था।राजकुमार सा पति।अपना घर और बच्चे।अब जमाना बदल गया है।पहले या तो लड़िकयों को शिक्षा दी नही जाती थी।या औपचारिक शिक्षा ही दी जाती थी।लेकिन अब माता पिता बेटे की तरह ही बेटी को भी खूब पढ़ाने लगे हैं।दूसरे लाइफ स्टाइल में भी परिवर्तन आया है।आजकल की लड़कियां सम्पन्न पति चाहती है जो उन्हें हर सुख सुविधा दे सके।
सपने केवल लडकिया ही नही देखती।अपने भविष्य का सपना कुंवारे लड़के भी देखते हैं।दीपेन को जब माया से प्यार हुआ तो वह उसी को लेकर सपना देखने लगा था।उसका सपना था माया उसकी जिंदगी में आ जाये।वह माया को अपना हमसफ़र बनाने का सपना देखने लगा।उससे शादी का