Beyond Words : A Love Born in Silence - 14 in Hindi Fiction Stories by Dev Srivastava Divyam books and stories PDF | बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस - भाग 14

Featured Books
  • ભાગવત રહસ્ય - 149

    ભાગવત રહસ્ય-૧૪૯   કર્મની નિંદા ભાગવતમાં નથી. પણ સકામ કર્મની...

  • નિતુ - પ્રકરણ 64

    નિતુ : ૬૪(નવીન)નિતુ મનોમન સહજ ખુશ હતી, કારણ કે તેનો એક ડર ઓછ...

  • સંઘર્ષ - પ્રકરણ 20

    સિંહાસન સિરીઝ સિદ્ધાર્થ છાયા Disclaimer: સિંહાસન સિરીઝની તમા...

  • પિતા

    માઁ આપણને જન્મ આપે છે,આપણુ જતન કરે છે,પરિવાર નું ધ્યાન રાખે...

  • રહસ્ય,રહસ્ય અને રહસ્ય

    આપણને હંમેશા રહસ્ય ગમતું હોય છે કારણકે તેમાં એવું તત્વ હોય છ...

Categories
Share

बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस - भाग 14


   रात का समय,

   नेशनल हाईवे,

   सिद्धांत सारे गुंडों को धोने के बाद वापस निशा के पास आया तो वो शॉक में बैठी हुई थी । सिद्धांत ने उसके पास बैठ कर उसके आंखों के सामने चुटकी बजाई तो वो होश में आई ।

   होश में आते ही उसने अपना सिर सिद्धांत के सीने में छिपा लिया और रोने लगी । सिद्धांत को एक झटका सा लगा और उसके हाथ हवा में ही रह गए । 

   निशा ने डरते हुए कहा, " प्लीज, डॉन्ट लीव मी, प्लीज ! "

   सिद्धांत ने उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया और न ही उसे खुद से अलग किया । वो बस अपने हाथ ऊपर और अपनी आँखें बंद किए हुए बैठा था क्योंकि निशा की वजह से उसके घाव में और भी दर्द हो रहा था ।

   कुछ पल बाद निशा को एहसास हुआ कि वो क्या कर रही है तो वो अचानक से सिद्धांत से दूर हुई । उसने अपनी नजरें नीचे करके कहा, " आई एम सॉरी ! "

   सिद्धांत ने कहा, " इट्स ओ के ! "

   निशा ने कहा, " तुम मुझसे ना... "

   वो अपनी बात बोल ही रही थी कि इतने के उसकी नजर सिद्धांत के पीछे पड़ी और उसने तेज आवाज में चीखते हुए कहा, " सर्वांश ! "

   लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी क्योंकि एक लोहे का रॉड सिद्धांत के सिर पर लग चुका था । ऐसा होते ही सिद्धांत का संतुलन बिगड़ने लगा । 

   वो अपना सिर पकड़ कर पीछे की ओर पलटा तो उन गुंडों का लीडर वहां पर एक रॉड लिये खड़ा था । 

   सिद्धांत ने खड़े होते हुए कहा, " क्यों बे साले ! सामने से जीतने का जिगरा नहीं था, जो पीछे से वार किया । "

   उस गुंडे ने कहा, " आगे से भी ले ले । "

   और फिर से सिद्धांत पर वार करना चाहा लेकिन इस बार सिद्धांत ने उसे लात मार कर पीछे कर दिया और इसी के साथ वो खुद भी गिर पड़ा ।

   वो गुंडा हंसते हुए उठ खड़ा हुआ । वो वापस से सिद्धांत की ओर बढ़ा तो सिद्धांत ने पास में पड़ा हुआ चाकू उठा कर उसकी ओर फेंक दिया जो सीधे उसके पेट में जा लगा । 

   वो गुंडा वहीं पर गिर गया । निशा ने दौड़ कर सिद्धांत का सिर अपनी गोद में उठा लिया लेकिन तब तक सिद्धांत की आंखें बंद होने लगी थीं । उसके सिर और पेट से खून बह रहा था ।

   निशा ने उसके गाल थपथपाते हुए कहा, " सर्वांश, आंखें खुली रखो, सर्वांश, सर्वांश ! " लेकिन सिद्धांत धीरे धीरे बेहोश हो गया ।

   निशा ने कहा, " तु, तुम्हें, तुम्हें कुछ नहीं होगा । मैं, मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगी । "

   फिर उसने सिद्धांत को वहीं पर लिटाते हुए कहा, " तुम यहीं रहना, मैं, मैं, किसी को बुला कर लाती हूं । "

   इतना बोल कर वो भागते हुए अपने घर की तरफ चली गई लेकिन जब तक वो अपने कुछ गार्ड्स को लेकर वापस आई तब तक सिद्धांत वहां से गायब था । उसकी बाइक, उसका बैग सब वहीं था, लेकिन वो खुद गायब था । 




   कुछ देर बाद,

   निशा अपने घर के हॉल में बैठी हुई थी । उसके सामने कुछ गार्ड्स खड़े थें ।

   निशा ने अपने दांत पीस कर कहा, " मुझे नहीं पता तुम लोग क्या करोगे और कैसे करोगे । मैं बस इतना जानती हूं कि मुझे सर्वांश किसी भी कीमत पर यहां चाहिए । "

   फिर उसने गरजते हुए कहा, " आई बात समझ ! "

   उसकी आवाज सुन कर सारे गार्ड्स अंदर तक कांप उठे थें क्योंकि सब जानते थे कि निशा का गुस्सा कैसा था । उस सबने अपना सिर झुकाए हुए ही हां में हिला दिया । 

   इतने में निशा के पापा भी वहां पहुंच गए । उन्हें देख कर सारे गार्ड्स ने राहत की सांस ली क्योंकि सबको पता था कि निशा को अगर कोई संभाल सकता है तो वो हैं सिर्फ उसके पापा ।

   निशा अपने पापा की ही बिगाड़ी हुई थी और सिर्फ उनकी ही सुनती थी । 

   उसने अपने पापा के गले लग कर कहा, " पापा, पापा, उसे ढूंढ कर लाओ । "

   अब उसका गुस्सा आंसुओं का रूप ले चुका था जो उसकी आंखों से लगातार बह रहा था । 

   उसके पिता ने उसका सिर सहलाते हुए कहा, " हम उसे ढूंढ लेंगे, मेरी बच्ची ! "




   वहीं दूसरी तरफ,

   फातिमा हॉस्पिटल,

   सिद्धांत का ईलाज चल रहा था । वॉर्ड के बाहर एक लड़का बैठा हुआ था जिसके सफेद टी शर्ट पर खून के धब्बे साफ दिख रहे थें ।

   उस लड़के की भी हाइट और उम्र सिद्धांत जितनी ही रही होगी । उसने सफेद टी शर्ट के साथ एक नीले रंग का जींस पहना हुआ था । साथ में उसने एक ब्राउन कलर की शर्ट पहनी हुई थी ।

   उसके बाएं हाथ में एक मरून रंग की घड़ी थी और दाएं हाथ में कलावा बंधा हुआ था । उसके बाल पसीने से भीगे होने के कारण माथे पर बिखरे हुए थें जो उसकी आंखों को आंशिक रूप से ढक रहे थें ।

   उसके चेहरे पर टेंशन साफ झलक रही थी । वो अपना सिर दीवार से टिकाए हुए अपनी आँखें बंद करके बैठा हुआ था और कुछ देर पहले जो भी कुछ हुआ उस बारे में सोच रहा था ।

   

   फ्लैशबैक 

   सिद्धांत बेहोश हो गया तो निशा किसी को बुलाने के लिए चली गई । उसने जाने के बाद सिद्धांत को हल्के से होश आया तो वो उठने की कोशिश करने लगा ।

   वो दीवार का सहारा लेकर उठा और आगे बढ़ने लगा लेकिन दो कदम चलते ही वो फिर से लड़खड़ा गया । इतने में एक कैब उसी ओर से गुजरी जिसमें वो लड़का बैठा हुआ था ।

   वो अपने फोन में कुछ देख रहा था कि तभी उसके कानों में सिद्धांत की चीख पड़ी क्योंकि सिद्धांत लड़खड़ाने की वजह से गिर पड़ा था । उस चीख को सुनते ही उस लड़के की गर्दन आवाज की दिशा में घूम गई ।

   उसके दिल की धड़कनें अचानक से बहुत तेज हो गईं और इसी के साथ उसकी बेचैनी भी बढ़ गई । सिद्धांत के गिरने से जो आवाज हुई वो भी उस लड़के के कानों में पड़ी और उसके दिमाग में एक याद उभर आई ।


••••••••••••••••••••


   उस याद में दो छोटे लड़के एक दूसरे को गले लगा कर खड़े थे । 

   उनमें से एक लड़के के मुंह पर मास्क था और उन दोनों की ही आंखों में आंसू थे । 

   कुछ देर बाद वो अलग हुए तो मास्क वाले लड़के ने अपने आंसू पोंछ कर दूसरे लड़के के भी आंसुओं को पोंछते हुए कहा, " बस अब ये रोना बंद करो । "

   फिर उसने उसका हाथ पकड़ कर कहा, " कीप योरसेल्फ सेफ अनटिल वी मीट अगेन । "

   ये सुन कर दूसरे लड़के ने अपना सिर हां में हिला दिया और मास्क वाले लड़के से कहा, " यू टू । "

   दूसरे लड़के ने भी हां में सिर हिला दिया और फिर वो दोनों एक दूसरे का हाथ छोड़ कर विपरीत दिशाओं में आगे बढ़ गए ।


••••••••••••••••••••


   और इसी के साथ वो लड़का अपनी यादों से बाहर आ गया । उसने तुरंत अपने सीने पर हाथ रख कर कैब वाले के कंधों को दो बार टैप करके कहा, " भैया, कैब रोको । "

   कैब वाले ने उसकी हालत देख कर कहा, " क्या हुआ भैया ? आप ठीक तो हैं न ! मैं आपको हॉस्पिटल ले चलता हूं । "

   उस लड़के ने अपनी सांसों को स्थिर करते हुए कहा, " हम ठीक हैं, आप कैब रोको । "

   कैब वाले ने बाहर का सारा नजारा देख लिया था इसलिए वो वहां रुकना नहीं चाहता था । उसने बहाना बनाते हुए कहा, " भैया आपकी हालत ठीक नहीं लग रही है । "

   लड़के ने थोड़े गुस्से में कहा, " हमने कहा न, कैब रोको । "

   कैब वाले ने बड़बड़ाते हुए कैब रोकी तो उस लड़के ने फुल स्पीड में दरवाजा खोला और जितना तेज हो सके उतना तेज दौड़ कर सिद्धांत के पास गया । उसके पीछे वो कैब वाला भी वहां पहुंचा ।

   सिद्धांत की हालत देख कर उनकी आंखें बड़ी हो गई थीं लेकिन कैब वाले की हालत उससे भी ज्यादा खराब हो गई, जब उसकी नजर आस पास बेहोश पड़े हुए गुंडों पर पड़ी ।

   उनकी हालत सिद्धांत ने और भी ज्यादा बद्तर की हुई थी । वो लड़का सिद्धांत की ओर बढ़ने लगा तो कैब वाले ने कहा, " चलो भैया, यहां से चलते हैं । "

   उस लड़के ने कैब वाले की ओर देख कर अपने दांत पीसते हुए कहा, " तुम पागल हो गए हो क्या ! उसे जरूरत है हमारे मदद की । "

   कैब वाले ने कहा, " अरे भैया, आप समझ क्यों नहीं रहे हैं । समय देखिए रात के ग्यारह बजने को हैं और ऊपर से यहां लड़ाई हुई है । ऐसे में अगर हम भी इस सब में पड़ गए तो इन सबके साथ साथ हम दोनों भी फंस जाएंगे । "

   इस बार उस लड़के ने बुरी तरह से बिफरते हुए कहा, " इसे बचाने की वजह से हम फंसे या न फंसे लेकिन अभी के लिए तुमने अपना मुंह बंद नहीं किया न, तो हम पक्का तुम्हें अंदर करा देंगे । "

   उसकी आवाज में इतना गुस्सा था कि कैब वाले ने आगे कुछ कहा ही नहीं । उसने चुपचाप अपने होठों पर उंगली रख ली तो वो लड़का सिद्धांत की ओर बढ़ गया । 

   सिद्धांत अभी भी उठने की कोशिश कर रहा था लेकिन इससे उसका दर्द और बढ़ रहा था इसलिए उस लड़के ने तुरंत उसके पास बैठ कर उसे अपने कंधों का सहारा देते हुए बिठाया । 

   उसने अपनी आवाज़ को नरम करते हुए कहा, " आराम से, आराम से ! "

   सिद्धांत उसके कंधे से सिर टिकाए हुए अपने दर्द को सहने की कोशिश कर रहा था । उसकी सांसें तेज़ चल रही थीं । उस लड़के ने हालात को समझने के लिए कहा, " यहाँ क्या हुआ ?"

   सिद्धांत ने अपने दाँत पीसते हुए, अपनी सांसों को संभालते हुए कहा, " जस्ट अ लिटिल डिस्अग्रीमेंट ! " 

   ये सुन कर उस लड़के की आँखें सिकुड़ गईं । उसने अविश्वास से अपना सिर हिला कर कहा, " जस्ट अ लिटिल डिस्अग्रीमेंट, जिससे तुम्हारी ये हालत हो गई ! "

   उसे लगा कि सिद्धांत इस बात पर भी कुछ कहेगा लेकिन सिद्धांत की तरफ से कोई जवाब न आता देख कर उसने अपनी गर्दन उसकी ओर घुमाई तो सिद्धांत फिर से बेहोश होने लगा था । 

   लड़के ने फौरन सिद्धांत की कंडीशन चेक की तब उसे समझ आया कि सिद्धांत के सिर पर भी चोट है । 

   उसने तुरंत कैब वाले की ओर देख कर कहा, " चलो, इसे उठाने में हमारी मदद करो । "

   उन दोनों ने मिल कर सिद्धांत को कैब में लिटाया और वो लड़का सिद्धांत का सिर अपनी गोद में लेकर बैठ गया । कैब वाले ने कैब आगे बढ़ा दी और वो लड़का सिद्धांत के बहते खून को रोकने की कोशिश करने लगा ।

   उसने अपना रुमाल निकाल कर सिद्धांत के सिर पर बांध दिया जिससे उसकी हल्के हल्के से खुलती और बंद होती हुई आँखें नजर आने लगीं । 

   जैसे ही उस लड़के की नजरें सिद्धांत की नजरों से मिली उसकी पलकें तो जैसे झपकना ही भूल गई थीं । 

   

   
_______________________




   
   क्या सिद्धांत बचेगा ?

   कौन था ये लड़का ?

   कौन थे वो दोनों छोटे बच्चे ?

   इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिए,

   बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस

   लाइक, कमेंट, शेयर और फॉलो करना न भूलें ।

                                      लेखक : देव श्रीवास्तव