Tilismi Kamal - 22 in Hindi Adventure Stories by Vikrant Kumar books and stories PDF | तिलिस्मी कमल - भाग 22

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

Categories
Share

तिलिस्मी कमल - भाग 22

इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें -------------------------------🙏🙏🙏🙏🙏




राजकुमार डंकिनी से रक्तिका का पता जानने के बाद काली पहाड़ी की ओर उड़ चला । दक्षिण दिशा में दस कोस उड़ने के बाद राजकुमार को एक पहाड़ी नजर आने लगी । राजकुमार अनुमान लगाया कि यही काली पहाड़ी हो सकती है ।

राजकुमार काली पहाड़ी में उतर गया । काली पहाड़ी एक दम सुनसान बंजर सी दिख रही थी । ऐसा लग रहा था कि उस पहाड़ी पर मनहूसियत का साया छाया हो।

राजकुमार धीरे धीरे  पहाड़ी में आगे बढ़ रहा था । उसे कोई भी नजर नही आ रहा था यँहा तक कि परिंदों की चहचहाने की भी आवाज नही आ रही थी ।

राजकुमार कुछ कदम आगे बढ़ा ही था कि उसे अपने सामने के झाड़ियों के पीछे से किसी के सरसराने की आवाज आई ।राजकुमार अपनी तलवार निकालकर हाथ मे ले ली और झाड़ियों की ओर सावधान की स्थिति में धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा ।

झाड़ियों के करीब पहुँच कर राजकुमार धरमवीर ने देखा कि एक घोड़े का बच्चा जो काफी डरा हुया था , झाड़ियों में छिपने की कोशिश कर रहा था ।

घोड़े का बच्चा राजकुमार को देखकर और डर गया । राजकुमार उसके चेहरे से समझ गया कि यह मुझे देख कर और डर रहा है । राजकुमार उसके पास गया और उसके सर पर प्यार से हाथ सहलाने लगा ।

किसी अनजान व्यक्ति के द्वारा प्यार पाकर घोड़े के बच्चे का थोड़ा डर कम हुया । घोड़े का बच्चा भी राजकुमार से दुलार करने लगा । तभी वातावरण में किसी स्त्री की एक भयानक अट्टहास गूँजने लगा ।

अट्टहास सुनकर घोड़े का बच्चा डर गया और वह राजकुमार के पीछे छिपे गया । राजकुमार अट्टहास करने वाली को स्त्री को देखने के लिए इधर उधर नजरें दौड़ाई लेकिन उसे कोई नजर नही आया । बस अट्टहास सुनाई दे रहा था ।

तभी राजकुमार से एक अदृश्य स्त्री बोली - " तुम कौन हो ? और तुम किस लिए यँहा आये हो ? "

राजकुमार आवाज की दिशा की ओर मुड़ा । लेकिन उसे कोई नही दिखाई दिया । राजकुमार आवाज की दिशा का अनुमान लगा कर बोला - " मैं चंदन गढ़ का राजकुमार धरमवीर हूँ । मैं   रक्तिका से मिलने आया हूँ । लेकिन तुम कौन हो ? जो भी हो मेरे सामने आओ ? "

अदृश्य स्त्री राजकुमार के सामने आ गयी । जो दिखने में किसी चुड़ैल से कम नही थी । घोड़े का बच्चा उसे देख कर जोर जोर से चिल्लाने लगा । राजकुमार स्त्री से बोला - " तुम कौन हो और यह घोड़े का बच्चा तुम्हे देखकर जोर जोर से क्यो चिल्लाने लगा  ? "

स्त्री बोली - " मैं रक्तिका हूँ । और आज मैं इस घोड़े के बच्चे का खून पीने वाली हूँ । यह मुझसे बच कर भाग रहा था । लेकिन तुम मुझसे क्यो मिलना चाहते थे ? "

राजकुमार बोला - " मुझे चुड़ैलों की रानी महायोगिनी का पता जानना है जो केवल तुम बता सकती हो । "

राजकुमार की बात सुनकर रक्तिका जोर जोर से हँसने लगीं और बोली - " तुझे लगता मैं तुझको महायोगिनी का पता बताकर तुझे जाने दूँगी । तो तेरी यह भूल है । आज रक्तिका तेरा खून पीयेगी । "

इतना कहने के बाद रक्तिका जोर जोर से हँसने लगी । और राजकुमार का खून पीने के लिए अपने दोनो हाथों से रस्सी की तरह दिखने वाली शरीर की नशे निकालने लगी जिसके आगे खून चुसने के लिए नुकीली दार एक हड्डी बनी हुई थी । 

राजकुमार समझ गया की ये चुड़ैलें बातों से मानने वाली नही है । इधर रक्तिका की नशे खून पीने के लिए राजकुमार की ओर बढ़ रही थी । वह नशे जैसे ही राजकुमार के नजदीक पहुँची राजकुमार तुरंत उन नशों को अपने तलवार से काट दिया ।

राजकुमार अपनी जादुई शक्ति से हवा में धनुष बाण प्रकट किया और रक्तिका के माथे के बीचों बीच निशाना लगाकर एक तीर चला दिया । तीर एकदम सही निशाने पर जाकर लगा । लेकिन रक्तिका को कुछ नही हुया उल्टा तीर ही टूटकर  अलग हो गया ।

राजकुमार का वॉर बेकार चला गया । अपना वॉर बेकार जाते देखकर राजकुमार को याद आया कि इसके माथे के बीचों बीच सुरक्षा कवच रहता है । और इसे तभी वश में किया जा सकता है जब इसका सुरक्षा कवच इसके माथे में न हो और वह तभी नही होगा जब रक्तिका किसी का खून पी रही हो ।

राजकुमार को ऐसे सोचते हुए देखकर रक्तिका बोली - " मुझे मारना तुम्हारे वश में नही है अब तुम मुझसे नही बचोगे । "

इतना कहने के बाद रक्तिका जोर जोर हँसने लगीं । और राजकुमार का खून पीने के लिए अपने हाथों से फिर से नशे निकालने लगी । नशे राजकुमार की ओर बढ़ रही थी । 

नशों को अपनी ओर बढ़ते देख कर कुछ सोचा और अपने मन मे कहा - " यदि ये नशे मेरा खून पीने लगेगी तो रक्तिका के माथे से सुरक्षा कवच हट जाएगा तब मैं इसे आराम से अपने वश में कर लूंगा । मुझे अपनी जान जोखिम में डालनी ही पड़ेगी। "

राजकुमार इतना ही सोच पाया तब तक रक्तिका की नशे राजकुमार के पेट मे प्रवेश कर गयी और उसका खून पीने लगी । खून पीते ही इधर रक्तिका के माथे के बीचों बीच एक लाल रंग का प्रकाश चमकने लगा ।

इधर राजकुमार को ऐसा लग रहा था कि उसके शरीर से जान निकल रही हो । लेकिन राजकुमार ने हिम्मत नही हारी । रक्तिका के माथे को चमकते देखकर राजकुमार समझ गया कि राक्तिका का सुरक्षा कवच हट गया है इसको अभी ही वश में किया जा सकता है । 

राजकुमार बिना एक पल की देर किए बिना अपने धनुष में एक तीर प्रकट किया और रक्तिका के माथे में निशाना लगाकर छोड़ दिया । 

तीर निशाने में जा लगा तीर लगते ही रक्तिका कि चीख निकल गयी । वह वही जमीन पर गिर गयी । उसकी नशे राजकुमार के शरीर से हटकर वापस उसके शरीर मे आ गयी।

तीर लगने की वजह से रक्तिका के माथे से खून की धार निकलने लगीं । उसके माथे से जितना खून निकल रहा था वह उतना ही चीख रही थी । तीर लगने से राक्तिका इतनी शक्तिविहीन हो गयी कि वह अपना कोई अंग भी नही हिला पा रही थी ।

राजकुमार रक्तिका के पास गया । राजकुमार को देखते ही रक्तिका गिड़गड़ाते हुए बोली - " मेरे माथे से अपना तीर निकाल दो नही तो जितना खून निकलेगा उतनी ही कमजोर हो जाऊंगी और अंत में मर जाऊंगी । "

राजकुमार बोला - " ठीक है , मैं तीर तुम्हारे माथे से निकाल दूँगा लेकिन पहले तुम बचन दो आज के बाद तुम किसी भी जानवर का न ही खून पीओगी और न ही किसी को मरोगी ।और महायोगिनी का पता बताओगी ? " 

रक्तिका बोली -  "हम बचन देते है जैसा आप कहेंगे हम वैसा ही करेंगे ।"

राजकुमार ने रक्तिका के माथे से तीर निकाल दिया । तीर निकलते ही रक्तिका को दर्द से आराम मिला और बचन अनुसार महायोगिनी का पता बताने के राजकुमार से बोली - " महायोगिनी एक शानदार जल महल में रहती है उसके पास आज तक कोई नही पहुंच पाया है यंहा तक की हम लोग भी नही । महायोगिनी तक पहुंचने के लिए तुम्हे उसके रक्षक कल्कि  के पास जाना होगा । कल्कि तुम्हे  माया वन के जंगलों में मिलेगा । माया वन के जंगल यँहा से पूर्व दिशा में हैं । माया वन महायोगिनी के साम्राज्य में ही स्थित है । हमे जो भी मालूम था हमने तुमको सब कुछ बता दिया । "

राजकुमार बोला -" मेरे लिए इतना ही काफी है आगे मैं खुद ही पता कर लूंगा । "

इतना कहने के बाद राजकुमार पूर्व दिशा में माया वन की खोज में उड़ चला । राजकुमार उड़ता चला जा रहा था लेकिन उसे यह नही मालूम था कि माया वन यँहा से कितनी दूर है ? 

राजकुमार काफी दूर तक हवा में उड़ते हुए चला गया लेकिन उसे माया वन नजर नही आया। राजकुमार अपने आप को हवा में अदृश्य कर लिया । और फिर से माया वन को ढूढ़ने लगा ।

अचानक राजकुमार उड़ते हुए जमीन पर एक पेड़ को चलते हुए देखा जो कही जा रहा था । राजकुमार उसका पीछा करना उचित समझा और उसके पीछे पीछे चल दिया । पेड़ चलते चलते एक जंगल मे पहुंच गया । जँहा पर और भी बहुत सारे पेड़ एक जगह से दूसरे जगह आ जा रहे थे ।

राजकुमार यह सब देख कर आश्चर्य चकित था । राजकुमार अपने मन सोचा शायद यही माया वन है । तभी राजकुमार ने देखा जो सारे पेड़ एक जगह से दूसरी जगह जा रहे थे वे सभी अपनी अपनी जगह पर ऐसे खड़े हो गए जैसे वे पेड़ उसी जगह से उगे हो ।

राजकुमार यह सब सोच ही रहा था कि उसे जमीन पर कंपन महसूस होना लगा । जैसे जमीन हिल रही हो । अभी जमीन का कम्पन होना बंद नही था तभी राजकुमार अपने सामने देखा कि एक दानव जैसा दिखने वाला प्राणी उसकी ओर आ रहा है । जो दिखने में बहुत ही विशाल था बड़ी बड़ी भुजाएं , बड़े बड़े दांत , बड़ी बड़ी लाल आंखे । 

राजकुमार उसे देख ही रहा था । तब तक वह दानव राजकुमार के और नजदीक आ गया । और राजकुमार के सीने में एक जोरदार मुक्का मारा । मुक्का लगते ही राजकुमार हवा में उड़ते हुए एक पेड़ से जा टकराया ।

राजकुमार को ऐसा लगा कि उसकी आधी जान निकल गयी हो । राजकुमार उसी पेड़ के नीचे बैठ गया । दर्द होने के कारण नही उठा । थोड़ा सा आराम करने लगा । लेकिन राजकुमार आश्चर्य चकित भी था कि वह दानव मुझे देख कैसे लिया , मैं तो अदृश्य रूप में था । राजकुमार यही सब सोच ही रहा था कि उसे फिर वही दानव अपनी ओर आते हुए दिखाई दिया।

राजकुमार दर्द की वजह से उठ नही पा रहा था ।वह चुपचाप बैठ कर दानव को अपनी ओर आते हुए देख रहा था । दानव राजकुमार के नजदीक आया और बोला  -" तुम कौन हो ?  और यँहा पर क्यो आये हो  ? "

राजकुमार दानव से बोला - " मैं चंदन गढ़ का राजकुमार धरमवीर हूँ और मैं यँहा पर महायोगिनी के रक्षक कल्कि से मिलने आया हूँ । लेकिन तुम कौन हो और मुझे अदृश्य रूप में कैसे देख लिया ? "

राजकुमार की बात सुनकर दानव बड़ी जोर से हँसा और बोला - " मैं ही महायोगिनी का रक्षक कल्कि हूँ । और मैं किसी भी अदृश्य शक्ति को देख सकता हूँ । अब बोलो तुम मुझसे क्यो मिलना चाहते हो ? "

राजकुमार बोला - " मुझे महायोगिनी से मिलना है । "

कल्कि राजकुमार को शक की नजरों से देखते हुए पूछा  -" तुम महायोगिनी से क्यो मिलना चाहते हो ? "

राजकुमार बोला - " नही , मैं तुम्हे नही बता सकता हूँ मैं केवल महायोगिनी को ही बताऊंगा ? "

कल्कि बोला -" ठीक है मैं तुम्हे महायोगिनी के पास ले जाऊंगा लेकिन उससे पहले तुम्हे बेहोश होना होगा ? "

इतना कहने के बाद कल्कि ने राजकुमार को अपने शक्ति से बेहोश कर दिया । और राजकुमार को अपने कंधे में लिटाकर महायोगिनी के जल महल की ओर चल दिया । 


                                            
                      क्रमशः .................💐💐💐💐💐💐💐💐💐

यह भाग आप सबको पढ़कर कैसा लगा समीक्षा देकर जरूर बताये । और अगला भाग जैसे ही अपलोड करू उसका नोटिफिकेशन आप तक पहुंच इसलिए मुझे जरूर फॉलो करें।


विक्रान्त कुमार
फतेहपुर उत्तरप्रदेश
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️