Tilismi Kamal - 3 in Hindi Adventure Stories by Vikrant Kumar books and stories PDF | तिलिस्मी कमल - भाग 3

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तिलिस्मी कमल - भाग 3

इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित भाग अवश्य पढ़ें -----------💐💐💐



राजकुमार धरमवीर का घोड़ा बादल सरपट दौड़ता चला जा रहा था । तभी अचानक राजकुमार को एक सुंदर महल नजर आया । राजकुमार ने घोड़े का रुख महल की तरफ कर दिया । क्योकि राजकुमार समझ गया था कि यह महल अवश्य ही जादूगर शक्तिनाथ का है ।

घोड़ा जैसे ही महल के करीब पहुंचा , वैसे ही महल के अंदर से कई विचित्र सी शक्ल सूरत के व्यक्ति दौड़ते हुए निकले । उनके हाथों में भाले थे । उन्होंने राजकुमार पर भाले फेंकने शुरू कर दिए । राजकुमार ने ढाल से उनके भालों को रोका और घोड़े से कूदकर उनसे लड़ने लगा ।

कुछ ही देर में राजकुमार ने उन विचित्र मानवों के सिर धड़ से अलग कर दिए थे । फिर राजकुमार ने घोडे के पीठ से सरसो के तेल की मशक ( तेल रखने वाला डिब्बा ) उतारी । और महल की दीवारों पर चारो तेल छिड़कने लगा ।

तेल छिड़कने के बाद राजकुमार ने आग जलाने वाले पत्थरो को रगड़ कर आग लगा दी । सरसो के तेल के कारण देखते ही देखते आग चारो तरफ फैल गयी ।

राजकुमार धरमवीर दोबारा अपने घोड़े पर सवार हुया । और घोड़े को एक जोरदार ऐड़ लगाई । घोड़ा तीर की तरह दौड़ा और एक लंबी छलांग मार कर  , आग को फांदता हुया महल में प्रवेश कर गया ।

इधर महल के अंदर जादूगर शक्तिनाथ अपने जादुई शीशे में राजकुमार की एक एक हरकत देख रहा था। जादूगर अपने आप से बोला - " मैं जितना सोचता था , यह उससे ज्यादा खतरनाक निकला । मैं इससे बाद में निपटूंगा । पहले लोमड़ मानव को वैशाली के पहरे में लगा दूं । "

इतना कहने के बाद जादूगर शक्तिनाथ तेजी से अपने कमरे के बाहर निकल गया । जादूगर शक्तिनाथ एक गैलरी में पहुंचा । गैलरी के दोनों तरफ लाइन से कमरे बने हुए थे । मगर सबके दरवाजे बंद थे ।

एक विशाल दरवाजे के पास आकर जादूगर शक्तिनाथ रुक गया और उसने दरवाजे के सामने तीन बार ताली बजाई तो दरवाजा अपने आप खुल गया ।

अंदर एक बड़े से खूबसूरत पलंग पर एक खूबसूरत युवती बैठी थी । वह युवती वैशाली थी । जादूगर को देखते ही वैशाली की भौंवे गुस्से से तन गई ।

वह गुस्से से चीख कर जादूगर से  बोली - " धूर्त जादूगर ! मुझे मेरे पति के पास जाने दे । तू अपने मकसद में कभी भी कामयाब नही हो सकेगा । मैं अपनी जान दे दूंगी पर तुम जैसे शैतान से शादी कभी नही करूंगी ।  "

जादूगर शक्तिनाथ कुटिल हँसी हँसते हुए बोला - " हा हा हा ! घबरा मत लड़की , तेरे पति ने तुझे यहाँ से ले जाने के लिए एक राजकुमार को भेजा है । वह राजकुमार खुद को बहुत चालाक और बहादुर समझता है । मगर यह नही जानता है कि मौत का दूसरा नाम जादूगर शक्तिनाथ है । मैं उसे तड़पा तड़पाकर मरूंगा । फिर उसकी चिता का हवन कुंड बनाकर तेरे साथ शादी के फेरे लूंगा । "

इतना कहकर जादूगर ने हाथ मे पकड़ी हुई अपनी जादुई छड़ी को फर्श पर पटक दिया । इसी के साथ एक धमाका हुया  और चारो तरफ धुंआ फैल गया ।

धीरे धीरे धुंआ एक जगह सिमटने लगा और एक आकृति लेने लगा । और पूरी तरह से वह आकृति  एक लोमड़ मानव में बदल गई ।

" गुर्र ररर ! क्या हुक्म है मेरे मालिक ? " लोमड़ मानव ने जादूगर शक्तिनाथ से पूछा । 

जादूगर शक्तिनाथ आदेश देते हुए बोला - " लोमड़ मानव , तुम वैशाली पर नजर रखो । एक मनुष्य इसे यहाँ से ले जाना चाहता है । वह महल में घुस आया है । तुम अदृश्य रूप में वैशाली पर नजर रखो । अगर वह आदमी वहाँ यहाँ आये तो उसे मार डालना । "

जादूगर शक्तिनाथ लोमड़ मानव को आदेश देकर कमरे से बाहर निकल गया । और कमरे का दरवाजा दोबारा बंद हो गया ।

जादूगर अपने कमरे में जादुई शीशे के सामने पहुंचा । और उसने जादुई छड़ी शीशे के सामने घुमाई । अगले ही पल राजकुमार जादुई शीशे में नजर आने लगा ।

उसे देखकर जादूगर ने एक भद्दा सा कहकहा लगाया - " हा हा हा , अब मैं इस नालायक से निपटता हूँ । "

जादूगर ने दोबारा जादुई शीशे के सामने छड़ी घुमाई । इधर राजकुमार तेजी से महल के अंदर दौड़ता चला आ रहा था । अचानक ही उसके सामने एक दूसरा लोमड़ मानव प्रकट हो गया । जो आधा लोमड़ और आधा मानव था । उसे देखते ही राजकुमार ने फुर्ती से लगाम खींच कर घोड़े को रोक लिया ।

लोमड़ मानव ने गरज कर राजकुमार से कहा - " नादान इंसान , अगर अपनी जिंदगी चाहता है तो यहाँ से वापस लौट जा वरना मैं तेरी चटनी बना दूँगा । "

" मैं वैशाली को लेने आया हूँ और उसे यँहा से लेकर ही लौटूंगा । अगर तुमने मेरा रास्ता रोकने की कोशिश की तो मैं अपनी तलवार से तुम्हारा सिर धड़ से अलग कर दूंगा ।" - यह कहते हुए राजकुमार ने म्यान से तलवार निकाली और घोड़े से कूद कर नीचे उतर गया ।

" तू मेरा सिर धड़ से अलग करेगा , तो यह ले ।" यह कहकर लोमड़ मानव राजकुमार की ओर झपटा और एक टक्कर राजकुमार के सीने में दे मारी । राजकुमार उछल कर कई फुट दूर जा गिरा ।

एक क्षण के लिए राजकुमार का दिमाग सुन्न सा हो गया था । उसकी आँखों के सामने अंधेरा छा गया । उसे लगा उसकी पसलियां टूट कर फेफड़ों में घुस गई है । 

कुछ क्षण राजकुमार फर्श पर बेसुध पड़ा रहा । फिर साहस बटोर कर उठ खड़ा हुया । लोमड़ मानव कमर पर हाथ रखे हँस रहा था । अचानक राजकुमार लोमड़ मानव की तरफ उछला और अपने सिर की टक्कर लोमड़ मानव के सिर पर दे मारी ।

मगर यह क्या ? राजकुमार चकरा कर दोबारा फर्श पर गिर पड़ा । राजकुमार को लगा उसने अपना सिर किसी दीवार पर दे मारा हो । और उसके सिर के कई टुकड़े हो गए हो ।राजकुमार के मुँह से एक दर्द भरी चीख निकल पड़ी । उसने दोनों से अपना सिर पकड़ लिया और दर्द से राजकुमार की आंखे बंद हो गई ।

अभी राजकुमार इस पीड़ा से मुक्ति भी नही पा सका था की उसे अपने सीने और गले मे दबाव महसूस हुया । राजकुमार आंखे खोलकर देखा । लोमड़ मानव उसकी छाती पर चढ़ा उसका गला दबा रहा था ।

राजकुमार को अपनी आंखों के सामने अपनी मौत नाचती नजर आने लगी । तलवार न जाने कब उसके हाथों से छूटकर गिर चुकी थी ।

राजकुमार का दम घुटने लगा । अचानक उसे अपनी कमर में लटकी कटार का ध्यान आया । उसने तुरन्त कटार निकाली और एक भरपूर वार लोमड़ मानव की आंख पर किया । कटार लोमड़ मानव के आंख में घुस गई ।

लोमड़ मानव दर्द से चीख कर पीछे गिर पड़ा । राजकुमार धरमवीर बिना एक क्षण गवाएं फुर्ती से उठा और लपक कर अपनी तलवार उठाई । और पूरी ताकत से लोमड़ मानव के हलक में घुसेड़ दी । उसके मुँह से खून का फव्वारा छूट पड़ा । और वह लोमड़ मानव वही पर मर गया ।

राजकुमार ने पीछे घूमकर देखा । आग महल के अंदर तक आ गई थी । और महल में धुआं भरने लगा था । राजकुमार ने अपनी तलवार संभाली और आगे चल पड़ा ।

राजकुमार अब जिस जगह पहुंचा था । वह गैलरी थी जिसके दोनों तरफ लाइन से कमरे बने हुए थे । कमरों को देखकर राजकुमार ने सोचा  -" इतने सारे कमरे ! वैशाली अवश्य ही इनमें से किसी एक मे है । लेकिन वह कमरा कौन सा है , यह कैसे मालूम हो क्योकि सारे कमरे बंद है और समय बहुत कम है । महल में आग बढ़ती ही जा रही है । "

राजकुमार इसी उधेड़ बुन में था । तभी अचानक उसे एक तरकीब सूझी । राजकुमार जोर जोर से वैशाली को आवाज देने लगा - " वैशाली ! वैशाली ! तुम कहाँ हो ? मैं तुम्हे दुष्ट जादूगर से छुड़ाने आया हूँ । "

राजकुमार की तरकीब काम कर गई ।एक कमरे से वैशाली की आवाज सुनाई दी  - " बचाओ ! बचाओ ! मैं यंहा हूँ । "

राजकुमार तुरन्त उस कमरे के पास पहुंचा । और धक्के मारकर उसका दरवाजा खोलने की कोशिश करने लगा ।मगर दरवाजा नही खुला ।

राजकुमार ने तुरंत घोड़े के पीठ से तेल वाली मशक निकाली ।और जलाने वाले पत्थरो को रगड़कर उसमे आग लगा दी ।फिर जलती हुई मशक दरवाजे पर डाल दी । दरवाजे ने तुरन्त आग पकड़ ली ।

दरवाजा धूं धूं कर जल रहा था । राजकुमार ने अनुमान लगाया दरवाजा जलकर कमजोर हो चुका है । वह दो कदम पीछे हटा और उछलकर दोनों पैरों की जोरदार चोट दरवाजे पर मारी । 

जंहा चोट पड़ी थी , उस जगह का दरवाजा चरमरा कर टूट गया । अब इतनी जगह बन गयी थी कि राजकुमार उसमे से अंदर जा सकता था ।

राजकुमार कुछ कदम पीछे हटा फिर दौड़ता हुया दरवाजे तक आया । और छलांग मारकर टूटे हुए दरवाजे से अंदर कूद गया ।

राजकुमार कमरे के अंदर आकर गिरा । और फुर्ती से उठ खड़ा हुया । उसके सामने एक खूबसूरत युवती खड़ी थी । उसे देखकर राजकुमार ने अनुमान लगाते हुए पूछा - " क्या तुम ही वैशाली हो ? "

" हाँ मैं ही वैशाली हूँ "  - उसने जवाब दिया ।

राजकुमार ने तुरंत उसका हाथ पकड़ा और कहा - " चलो मैं तुम्हे यँहा से छुड़ाकर तुम्हारे पति के पास ले जाने आया हूँ । "

इसी क्षण कमरे में एक धमाका हुया और पहला वाला लोमड़ मानव प्रकट हो गया जो वैशाली की पहरेदारी कर रहा था ।


                                   क्रमशः ................ 💐💐💐💐

सभी पाठकों नमस्कार , यह भाग आपको कैसा लगा यह अपनी सुंदर समीक्षा द्वारा अवश्य बताये । और अगला भाग मैं जैसे ही प्रकाशित करूँ और वह आप तक पहुंच जाए इसलिए मुझे फॉलो करें । अपना अमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद ।


विक्रांत कुमार
 फतेहपुर उत्तर प्रदेश
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