Savan ka Fod - 25 in Hindi Crime Stories by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | सावन का फोड़ - 25

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सावन का फोड़ - 25

जब तक आग बुझती तब तक कर्मा का घर एव घर का समान स्वाहा हो चुका था डर यह बना हुआ था की कही कर्मा के घर की आग आस पास के घरों में न लग जाए और नई समस्या खड़ी हो जाए। बड़ी मशक्कत कर्मा के पड़ोसी एव मुहल्ले वाले कर आग बुझाने के लिए कर रहे थे कि तब तक सरकारी आग बुझाने वाला दमकल भी आ गया. जागीरा को कोई जानता पहचाना तो था नही  वह एक किनारे खड़ा होकर कर्मा के घर को जलते देख रहा था आग पर पूरी तरह से नियंत्रण होने के बाद कर्मा के आस पास रहने वालों की जिज्ञासा यह जानने में शेष रह गयी कि क्या कर्मा और उसके कोठे के उस्ताद जोहरा आदि जल कर मर तो नही गए या केवल आशंका ही हो सकती थी क्योकि कर्मा के घर जलते समय कोई चीख पुकार बचाने के  लिए नही आई थी आशंका यह भी थी कि कही कर्मा एव उसके घर में रहने वालों को किसी ने मार कर आग लगा दी हो। करोटि का कर्मा के यहाँ  आना जाना सभी को पता था  एक अन्देशा जिस पर सभी एक मत थे कि हो सकता है करोटि ने कर्मा के किसी कार्य से नाराज होकर ऐसा किया हो क्योकि उसके लिए इस तरह कि वारदातों को अंजाम देना बच्चों के खेल जैसा ही है सभी कयास ही लगा रहे थे।पुलिस ने अपनी तहकीकात कर्मा के घर मे लगी आग एव कर्मा आदि के आग के जल कर मर जाने के सम्बंध में शुरू किया जांच के शुरू में स्प्ष्ट हो गया कि कर्मा के घर मे जब आग लगी उस समय घर मे कोई मौजूद ही नही था प्रश्न यह उठता है की कर्मा जोहरा आदि कहा गए और घर मे आग कैसे लगी या किसने लगाई किसी भी प्रश्न का कोई उत्तर नही मिल पा रहा था। पुलिस ने कर्मा के घर मे आगजनी एव कर्मा जोहरा नसीर नवी बरकत के गुमसुदगी का मुकदमा दर्ज कर लिया और जांच जारी रखी .पुलिस कि जांच किसी निष्कर्ष पर नही पहुंच पा रही थी और कर्मा के पड़ोसी भी कुछ भी बता सकने में असमर्थ थे ।कर्मा कि योजना और त्याग काम आ गयी कुछ दिनों के लिए करोटि और पुलिस दोनों उलझ गए और कर्मा को  निश्चिन्तता और अवसर दोनों मिल गया पुलिस ने कर्मा के मकान में लगी आग एवं कर्मा और उसके आदमीयों के गुमशुदगी के विषय मे अपने  तरीके से विवेचना कर कर रही थी करोटि को जागीरा ने जानकारी दिया कि कर्मा का आशियाना जल कर खाक हो चुका है और कर्मा के साथ उसके उस्तादों का कही  आता पता नही है ।करोटि का माथा ठनका वह समझ गया कि तवायफ तवायफ ही होती है उसका क्या भरोसा जहाँ ज्यादे दौलत मिली वहीं कि हो गई करोटि को एक ही शंका थी कि  कर्मा ने कही पुलिस से तो कोई डील नही कर ली है और किसी तरफ उसका दिमाग जा ही नही रहा था वह कर्मा कि हिम्मत पहुँच और दायरे से वाकिफ था अतः उसे इस बात का तो इल्म ही नही था की कर्मा  कोई ऐसा कदम उठाने कि  हिम्मत कर सकती है जो उसके लिए भविष्य में घातक हो।कर्मा सुभाषिनी को लेकर छुपते छुपाते बचते बचाते इतनी दूर निकल चुकी थी कि करोटि को उस तक बहुत तेज संसाधनों  से भी पहुचने में तीन चार घण्टे लग सकते थे अतः कर्मा बहुत जल्दी इतनी दूर निकल जाना चाहती थी जहाँ करोटि जैसे दुष्ट दांनव कि पहुंच ना हो वह कभी बस से तो कभी ट्रेन से तो कभी प्राइवेट टैक्सी से  यात्रा कर रही थी कही भी वह उतना ही देर रुकती जितनी देर में उसे कुछ आराम न मिल जाए कर्मा के मन मे एक विकल्प यह भी था की वह सुभाषिनी को उसके माता पिता तक पहुंचा कर जोहरा के बेटे को लेकर चली आए लेकिन सुभाषिनी के माता पिता का क्रोध प्रतिशोध पुलिसिया हथकंडा और जनाक्रोश उंसे इस कदर मारेंगे शायद मौत भी कांप उठे सवाल यह था की वह क्या बताएगी सुभाषिनी उसके पास कैसे पहुंची ?और जोहरा काहा है जब पुलिस को पता चलेगा तो पुलिस उसके करोटि के संबंधों को आधार मानकर उसको कानूनी ऐसा फंदा गले मे डालेगी  जिससे निकलना शायद असम्भव हो कर्मा ने ठान लिया था की ना तो वह पुलिस के हत्थे चढ़ने वाली ना ही करोटि के और ना ही वह कोशिकीपुर जाने वाली है।