Shoharat ka Ghamand - 97 in Hindi Moral Stories by shama parveen books and stories PDF | शोहरत का घमंड - 97

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शोहरत का घमंड - 97

आर्यन की बाते सुन कर उसकी मॉम बोलती है, "तुम्हे अपने डैड पर यकीन नही है और तुम उनसे इस तरह की शर्त की बात कर रहे हो"।

तब आर्यन बोलता है, "क्या करु मेरे पास और कोई ऑप्शन ही नहीं है "।

तब आर्यन के डैड बोलते हैं, "अच्छा ठीक है मुझे तुम्हारी शर्त मंजूर है, मगर तुम्हे आलिया को सच में तलाक देना होगा "।

तब आर्यन बोलता है, "डैड झूठ में तलाक कोन देता है, और अगर आपको मेरी बातो का यकीन नही है, तो मै  मॉम के सर पर हाथ रख कर कसम खा लूंगा की अगर आपने मेरे नाम सारा बिस्नेस कर दिया तो मै एक महीने बाद आलिया को तलाक दे दूंगा "।

तब आर्यन के डैड बोलते हैं, "अच्छा ठीक है तो फिर तुम अपनी मॉम के सर पर हाथ रख कर कसम खाओ "।

उसके बाद आर्यन अपनी मॉम  के सर पर हाथ रख कर कसम खा लेता है।

दोपहर होती है...........

आलिया सड़क के किनारे पर बैठी रहती हैं।

आर्यन बहुत ही खुश होता है और अरुण के घर जाता हैं। अरुण आर्यन को देख कर बोलता है, "भाई ये क्या कल तेरी शादी हुई है और तू आज मेरे घर पर"।

तब आर्यन बोलता है, "चल बकवास मत कर, वैसे भी मेरा जो काम था वो हो गया है और एक महीने बाद मै उसे तलाक दे दूंगा "।

तब अरुण बोलता है, "और उसके बाद आलिया का क्या होगा "।

तब आर्यन बोलता है, "कुछ भी हो उसका मुझे क्या, वैसे तुझे उसकी इतनी फिक्र क्यो हो रही है, तेरी बहन लगती है क्या वो"।

तब अरुण बोलता है, "मेरी बहन क्यो होगी वो "।

तब आर्यन बोलता है, "चल ये सब छोड़ और मेरी बात सुन"।

उसके बाद आर्यन अरुण को सब कुछ बता देता है। तब अरुण बोलता है, "वाह भाई तेरी किस्मत तो बड़ी ही चमक गई है शादी के बाद, जो तू चाहता था वहीं सब हो रहा है"।

तब आर्यन बोलता है, "तुझे क्या जलन हो रही है मुझ से "।

तब अरुण बोलता है, "भाई मै भला तुझ से क्यो जलने लगा"।

तब आर्यन बोलता है, "चल बाते छोड़, चल कही घूमने चलते हैं"।

उधर आलिया के पापा बोलते हैं, "मेरा अब दम घुट रहा है इस घर में, मुझ से अब एक सेकंड भी यहां पर नही रहा जा रहा है, चलो हम अपने टूटे फूटे घर में ही चलते हैं"।

तब आलिया की मम्मी बोलती है, "दम तो मेरा भी घुट रहा है यहां पर मगर गांव जा कर क्या करेंगे, क्या खाएंगे पियेंगे और आपका ईलाज और इन दोनों की पढ़ाई "।

तब मीनू बोलती है, "मैं तो अभी छोटी हू कुछ कर भी नही सकती हूं "।

तब ईशा बोलती है, "आज कल छोटा या फिर बाद होने से कुछ भी नही होता है, इंसान में बस टेलेंट होना चाहिए, तुम देख नही रही हो की लोग चाय बेच कर वडा पाव बेच कर कहा से कहा जा रहे हैं "।

तब मीनू बोलती है, "तो क्या अब रेहड़ी पर तुम गोल गप्पे बेच कर दुबई जाओगी "।

तब ईशा बोलती है, "कोई भी काम ना छोटा या बड़ा नही होता है, काम तो काम होता है, है ना पापा "।

तब आलिया के पापा बोलते हैं, "हा कोई भी काम छोटा या फिर बाद नही होता है "।

तब आलिया की मम्मी बोलती है, "मैं भी सोच रही थी की हम भी कोई रेहड़ी लगा कर अपने घर का गुजर बसर कर लेते............