Amanush - 8 in Hindi Detective stories by Saroj Verma books and stories PDF | अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(८)

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(८)

और फिर नाश्ता पैक करवाने के बाद ,सतरुपा ने अपना पुराना वेष धरा और इसके बाद वो इन्सपेक्टर धरमवीर के साथ करन के घर की ओर चल पड़ी,
कुछ ही समय के बाद दोनों करन थापर के घर जा पहुँचे, करन का घर ज्यादा बड़ा नहीं था,वो घर करन के माता पिता ने उसको गिफ्ट में दिया था,जब उसके माता पिता साथ साथ रहते थे,लेकिन अब दोनों साथ साथ नहीं रहते,दोनों का डिवोर्स हो चुका है,करन की माँ दिल्ली में रहती है और पिता अमेरिका में,माँ बाप के अलग हो जाने के बाद करन बहुत टूट चुका था, फिर उसकी जिन्दगी में हंसिका आई और उसने करन को अपना प्यार देकर सम्भाल लिया,लेकिन फिर उस हादसे ने हंसिका को करन से अलग कर दिया और तब से करन की जिन्दगी बिखर गई ,इसलिए वो अपना दुख भुलाने के लिए खुद को काम में डुबोएंँ रखता है....
दोनों के पहुँचने पर जैसे तैसे करन ने बिस्तर से उठकर दरवाजा खोला,दरवाजा खोलते ही धरमवीर ने करन से पूछा....
"अब कैंसी है तबियत"?
"ठीक नहीं हूंँ"करन बोला...
"अभी कल तक तो भले चंगे थे आप,अचानक कैंसे तबियत खराब कर ली",सतरुपा ने पूछा...
"कल रात को जब तुम्हें पुलिस स्टेशन छोड़ने गया था तो वापस आकर नहा लिया,शायद इसलिए तबियत बिगड़ गई",करन बोला....
"तो रात को नहाने की क्या जरूरत थी",सतरुपा ने पूछा...
"सुबह नहाने का टाइम नहीं मिला था,किसी काम में उलझ गया था",करन बोला...
"तू तो है ही लापरवाह,अब चल जल्दी से कुछ खाकर दवा खा ले,फिर मुझे पुलिस स्टेशन भी जाना है", इन्सपेक्टर धरमवीर बोले...
"हाँ! मैं सबके लिए नाश्ता परोस देती हूँ",सतरुपा बोली...
"तुम रहने दो सतरुपा! तुम किचन का हाल देखोगी तो सदमे से मर जाओगी,फिर हम तीसरी देविका कहाँ से लाऐगें,मैं ही जाता हूँ किचन में",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले...
धरमवीर की बातें सुनकर सभी हँसने लगे,फिर धरमवीर ने सभी की प्लेट्स में नाश्ता परोस दिया और फिर सभी खाने लगे,इसके बाद कुछ देर तक धरमवीर ने करन से बातें की और फिर सतरुपा से बोला...
"चलिए! मिसेज सिंघानिया! अब चलते हैं",
"मैं सोच रही थी कि मैं कुछ देर करन बाबू के पास रुककर इनकी देख भाल कर दूँ,मैं खुद ही बस से पुलिसस्टेशन आ जाऊँगी",सतरुपा बोली...
"हाँ! ठीक है तुम थोड़ी देर इसके पास रुक जाओ,इसका लंच वगैरह बना देना लेकिन सुनो बस से आने की गलती मत करना",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले...
"क्यों",सतरुपा ने पूछा...
"क्योंकि अब तुम मिसेज सिंघानिया हो,अगर तुम्हें किसी ने बस में देख लिया तो लेने के देने पड़ जाऐगें,हम लोगों से एक गलती हुई नहीं कि सबके सब पकड़े जाऐगें,मैं ही तुम्हें शाम तक लिवाने आ जाऊँगा", इन्सपेक्टर धरमवीर बोले...
"ठीक है,आप ही शाम को मुझे लेने आ जाइएगा",सतरुपा बोली...
और फिर इन्सपेक्टर धरमवीर चले गए तो सतरूपा करन से बोली....
"अब आप आराम कीजिए",
"अभी तो आराम करके उठा हूँ,अब बिस्तर पर जाने का मन नहीं कर रहा है मेरा",करन बोला...
"ठीक है! ये क्या हाल बना रखा है आपने घर का,मैं तब तक घर को समेट देती हूँ,सतरुपा बोली...
"घर समेटने की कोई जरूरत नहीं है,खामख्वाह में तुम परेशान हो जाओगी",करन बोला....
"मुझसे बिखरा घर नहीं देखा जाता,बस थोड़ी ही देर में सब हो जाएगा",
और ऐसा कहकर सतरुपा ने अपना दुपट्टा कमर में लपेटा और काम पर लग गई,पहले उसने ड्राइंग रुम की सफाई की,वहाँ पर उसे एक लड़की की तस्वीर मिली तो सतरुपा ने करन से पूछा...
"ये किसकी तस्वीर है करन बाबू!",
"ये हंसिका है,मेरी पत्नी",करन बोला...
"तो अब ये कहाँ है?",सतरुपा ने पूछा...
"भगवान के पास ,ये यहाँ होती तो घर का ऐसा हाल कभी ना होता",
और ऐसा कहकर करन की आँखें भर आईं,करन के दर्द को सतरूपा बखूबी महसूस कर सकती थी, इसलिए उसने माहौल को हल्का करने के लिए उससे कहा....
"तो आप विधवा हैं,ये आपने कभी बताया ही नहीं",
सतरुपा की बात सुनकर करन मुस्कुरा पड़ा और सतरुपा से बोला....
"विधवा नहीं,पुरूषों को विधुर बोलते हैं"
"मुझे नहीं मालूम था कि विधुर कहते हैं और जो शब्द मुझे मालूम था वो मैं बोल नहीं सकती थी,नहीं तो आपको बुरा लग जाता",सतरुपा बोली...
फिर से करन को सतरूपा की बात पर हँसी आ गई और उसने उससे कहा...
"तुम भी ना कमाल हो"
"वो तो मैं हूँ",
और ऐसा कहकर सतरुपा फिर से मुस्कुराते हुए काम पर लग गई,कुछ ही देर में उसने घर समेटकर झाड़ू पोछा कर दिया,किचन को व्यवस्थित करके गंदे पड़े बरतन धो डाले और गंदे कपड़ो के ढ़ेर की ओर इशारा करते हुए करन से बोली...
"ये धोने वाले कपड़े हैं,आप कपड़े कहाँ धुलते हैं,मैं धोकर सुखा देती हूँ",
"देवी जी! बहुत काम कर लिया आज,अब कुछ मेरे लिए भी छोड़ दो,ये कपड़े मैं धो दूँगा",करन बोला...
"नहीं! आपकी तबियत ठीक नहीं है,मैं इन्हें धोकर सुखा देती हूंँ",सतरुपा बोली...
"अरे! आँटोमैटिक वाँशिग मशीन है,कपड़े खुदबखुद धुल जाते हैं,मेहनत नहीं लगती उसमें,तुम चिन्ता मत करो मैं धो लूँगा",करन बोला...
"जब मेहनत नहीं लगती तो मैं ही धोकर सुखा देती हूँ",सतरुपा बोली...
"तो तुम नहीं मानोगी,चलो मैं सिखा देता हूँ कि वाँशिग मशीन कैंसे चलाते हैं",करन बोला....
और फिर सतरुपा ने कपड़े भी धोकर सुखा दिए,अब दोपहर हो चुकी थी,इसलिए वो करन के लिए लंच बनाने में जुट गई,घर में सब्जी के नाम पर कुछ भी नहीं था इसलिए उसने करन के लिए रोटियाँ और दाल बनाकर थाली परोस दी,करन बोला...
"तुम नहीं खाओगी",
"आप खा लीजिए,मैं बाद में खा लूँगीं",सतरुपा बोली..
"अरे! ऐसे थोड़े चलता है,तुम भी अपना खाना ले आओ,साथ में बैठकर खाते हैं",करन बोला...
फिर करन के कहने पर सतरूपा अपनी थाली भी ले आई और दोनों ने साथ बैठकर खाना खाया,करन को उस समय रह रहकर हंसिका की याद आ रही थी क्योंकि वो भी करन के लिए ऐसे ही खाना बनाया करती थी,खाना खाकर दोनों बातें करते रहे,अभी शाम भी नहीं हुई थी कि धरमवीर करन के घर आ पहुँचा और घबराते हुए बोला....
"जिस काँलेज की कैन्टीन में रघुवीर काम करता है तो उस काँलेज की एक और लड़की गायब हो चुकी है,उस लडकी के माँ बाप रिपोर्ट लिखाने आए थे और बहुत बिलख रहे थे,माँ तो बार बार बेहोश ही हुई जा रही थी"
"ओह....ये क्या गड़बड़ घोटाला है,कुछ समझ में नहीं आ रहा है",करन बोला....
"मुझे तो लगता है ये कोई पूरी गैंग है",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले...
"और मुझे लगता है कि ये कोई गैंग नहीं किसी सीरियल किलर का काम है,वो एक ही इन्सान है जो ये सब कर रहा है",करन बोला...
"तुम ये बात इतने यकीन के साथ कैंसे कह सकते हो",इन्सपेक्टर धरमवीर ने कहा...
"क्योंकि अगर गैंग होती तो वो गायब हुई लड़कियों के घरवालों से फिरौती की रकम माँगती,लेकिन ऐसा कुछ नहीं है,इसलिए वो एक ही इन्सान है,जो ऐसा कर रहा है",करन बोला...
"भाई! तू अपनी तबियत जल्दी से ठीक कर और लग जा काम पर,टीवी पर कैंसी कैंसी हेडलाइन चल रही है,फूहड़ पत्रकार नमक मिर्च लगाकर खबरें परोस रहे हैं और सही भी तो है पुलिस नाकाम भी तो हो रही है,ऊपर से आर्डर आ चुके हैं कि जल्द से जल्द इस मामले की तह तक पहुँचने की कोशिश की जाए", इन्सपेक्टर धरमवीर बोले...
"हाँ! अब तो कुछ करना ही पड़ेगा",करन बोला...
और फिर कुछ देर बात करने के बाद धरमवीर ने घर की ओर ध्यान दिया और बोला....
"सतरुपा ने तो घर की काया ही पलट कर रख दी",
"हाँ! मैं मना करता रहा लेकिन ये नहीं मानी ",करन बोला....
और फिर थोड़ी दे सब यूँ ही बातें करते रहे,इसके बाद इन्सपेक्टर धरमवीर सतरुपा को करन के घर से लेकर चले आए....

क्रमशः....
सरोज वर्मा...