Bandhan pyar ka - 15 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | बन्धन प्यार का - 15

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बन्धन प्यार का - 15

घर से निकलते समय नरेश ने हिना को फोन कर दिया था।
"तुम घर से निकल गया
"निकल रहा हूँ
"बस में भी
और नरेश पैदल मेट्रो स्टेशन की तरफ चल पड़ा था।यहाँ पर लोग पैदल चलना भी खूब पसंद करते है।नरेश को चाय की तलब महसूस हुई।वह जल्दी में घर पर चाय नही बना पाया था।वह चाय पीने के लिए रेस्तरां में रुक गया था।चाय पीकर जैसे ही निकला हिना का फोन आ गया
"कहा पर हो
"तुम पहुंच गई
"हाँ
"बस में भी आ रहा हूँ
हिना, नरेश का ही इनजार कर रही थी
"गुड मॉर्निंग,"नरेश हिना को देखकर बोला,"सुंदर लग रही हो"
"थेंक्स
और नरेश और हिना यू के एम्बेसी पहुचे थे।सारी औपचारिकता पूरी करने में उन्हें तीन घण्टे लग गए थे।बाहर आकर हिना बोली,"तूम साथ न होते तो परेशानी होती
"अब तो साथ रहना ही था
"क्यो
"मंगेतर जो हो मेरी
"अभी तो सगाई भी नही हुई हमारी
"सगाई क्यो नही हुई।मेरे नाम की अंगूठी जो तुम्हारी उंगली में है
"किसने देखा है तुमने मुझे अंगूठी पहनाई है
"किसी के देखने की जरूरत नही।सिर्फ तुम्हे देखना है
"मेरी अम्मी तैयार नही हुई तो
"संयोगिता का नाम सुना है
"नही
"पृथ्वीराज चौहान का
"नही
"तुम्हारे यहाँ इतिहास नही पढ़ाया जाता क्या
"अब मैंने तो इतिहास नही पढ़ा
"पृथ्वीराज अजमेर का राजा था और जयचन्द कनोज का।जयचन्द की बेटी संयोगिता पृथ्वीराज से प्यार करती थी।लेकिन पृथ्वीराज और जयचन्द की दुश्मनी थी।इसलिए पृथ्वीराज संयोगिता का अपहरण करके ले गया था
नरेश ने हिना को पृथ्वीराज और संयोगिता की प्रेम कहानी के बारे में बताया था।उसे सुनकर हिना बोली,"मतलब तुम्हारे इरादे नेक नही
"तुम मेरी हो और दूसरे की होने नही दूंगा
और कोई जर्दस्ती ले गया तो
"मुझे मालूम है तुम जाओगी नही
"अब कहाँ चलना है।"हिना एमएसई से बाहर आने पर बोली थी
"इंडियन एंबेसी
"कोई काम
""वैसे तो । मेरे पास पोर्ट में अभी बहुत समय है लेकिन फिर भी जानकारी ले लेते हैं
और वे जा रहे थे।तभी एक रेस्तरां को देखकर नरेश बोला,"कुछ खा लेते हैं
"सही कह रहे हो।मुझे भी भूख लगी है
इंडियन रेस्तरां था।नरेश बोला,"डोसा खाये बहुत दिन हो गए
"तो मंगा लो
"और तुम क्या लोगी
"छोले भटूरे
"डोसा अच्छा नही लगता
"थोड़ा थोड़ा,"हिना बोली,"तुम्हे भटूरे अच्छे नही लगते
"क्यो नही
नरेश ने एक एक प्लेट भटूरे और डोसे मंगवाया था
"यह लो,"नरेश अपने हाथ से हिना को डोसा खिलाते हुए बोला
"मैं खा लूंगी और वे खाने लगे।फिर नरेश ने कॉफी का आर्डर दिया था
और रेस्तरां से निकलकर वे इंडियन एम्बेसी गए थे।नरेश ने रिसेप्शन के
काउंटर पर बैठी युवती से जानकारी ली थी।वह बात कर ही रहा था तभी बाहर से जोर की आवाजें आने लगी।कुछ देर बाद नारे भी सुनाई देने लगे।ऐसा लगा भारत के खिलाफ नारे लग रहे हैं।नरेश ने अंदर ही एक आदमी से पूछा,"ये शोरगुल कैसा है
"बाहर भारत के खिलाफ नारे लगा रहे है
"कौन लोग हैं
"पाकिस्तानी और पाकिस्तानी मूल के लोग है
"ये प्रदर्शन क्यो कर रहे हैं
"अभी370 हटाई गई है।ये लोग भारत के खिलाफ और कश्मीर की आजादी के लिए नारे लगा रहे है।"उस कर्मचारी ने प्रदर्शन के बारे में बताया था।उसकी बात सुनकर नरेश ने हिना की तरफ देखा था
"मुझे ऐसे क्या देख रहे हो
"तुमहारे देश के लोग
"होंगे सिरफिरे।मैं तो नही हूँ
"नाराज मत हो ओ,"नरेश, हिना का हाथ पकड़कर बोला,"चले
वे बाहर आये तो प्रदर्शन उग्र हो गया था।अंडे और टमाटर फेके जाने लगे और फिर पत्थरबाजी होने लगीं।नरेश और हिना बीच मे फस गए
"नरेश अचानक एक पत्थर नरेश की तरफ आया।हिना ने उसका हाथ पकड़कर खेच लिया।नरेश तो बच गया कि
लेकिन दूसरा पथ्थर हिना के सिर पर आकर लगा था