दानी की कहानी 
---------------
    दानी की बातें जैसे मलाई कोफ़्ते ! बड़े ही मस्त ! 
बच्चे खाने से तो क्या चटकारे लेते होंगे जो दानी की कहानी से चटकारे लेते हैं | 
उस दिन बारिश बहुत तेज़ी से पद रही थी | लाइट आती,फिर चली जाती | 
सारे बच्चे दानी के कमरे में मस्ती कर रहे थे | 
"अच्छा ! तुम लोग एक बात बताओ ,कौन है जो अंधेरे से नहीं डरता ?"
    दानी भी कैसी बात करती हैं !अंधेरे से तो सभी डरते हैं | दानी भी तो ---
"दानी ! क्या आप भी ---हम तो बच्चे हैं ,आप तो बड़ी हैं ,आप भी डरती हैं फिर हम बच्चों से पूछ रही हैं --" गुनगुन ने दानी के सामने ही अपनी परेशानी कह दी | 
"किसने बोला ,दानी अंधेरे से डरती हैं ?" दानी का चमचा बबलू बोला | 
     दानी अपना प्रश्न परोसकर चुप्पी साधकर बैठ गईं थीं | 
अचानक बड़ी ज़ोर से बिजली कड़की और सारे बच्चे चीखने लगे | इस बार देर से लाइट नहीं आई थी | 
बाहर पापा बंसी से फ्यूज़ देखने की बात कहकर उसके साथ टॉर्च लेकर चले | 
अचानक फिर से ज़ोर से बादल गडगड़ाया ,सारे बच्चे और भी घबराकर दानी के इर्द-गिर्द होकर चिपककर बैठ गए | 
    गड़गड़ की आवाज़ बंद ही नहीं हो रही थी | बच्चे चिपके हुए बैठे थे | 
लाइट आ गई लेकिन बिजली कड़कने की आवाज़ बंद नहीं हुई तो बच्चे भी आँख बंद करके बैठे रहे | 
उन्होंने आँखें नहीं खोलीं तो उन्हें पता ही नहीं चला कि लाइट आ गई थी | पापा बंसी के साथ जाकर फ्यूज़ लगवाकर आए थे | 
मज़े की बात थी कि पूरे घर में लाइट थी लेकिन दानी के कमरे में लाइट नहीं थी | 
उनके कमरे में से केवल बच्चों की साँसें लेने की और फुसफुस करने की आवाज़ें आ रहीं थीं | 
जब काफ़ी देर हो गई ,बच्चों में हलचल मचने लगी | 
ये दानी बोल क्यों नहीं रही हैं ? आधा घंटे से ऊपर हो गया और दानी की आवाज़ सुनाई नहीं दी तब गुनगुन ने शोर मचाना शुरू किया | 
"दानी ! आप बोल क्यों नहीं रहीं ?"
"दानी--दानी ---" सब चिल्लाने लगे |
लेकिन दानी वहाँ होतीं तब बोलतीं न ! 
    अचानक पापा ने दानी के कमरे की बत्ती खोली | 
"डरपोक कहीं के !" वो ज़ोर से हँसे | 
"अभी भी डर रहे हो ?" 
अक-एक करके सभी बच्चों ने आँखें खोलीं | 
अरे! यह क्या ? दानी तो पापा के साथ सामने खड़ी थीं | 
"दानी तो हमारे साथ थीं ।वहाँ कैसे चली गईं ?" उन्होंने देखा जिससे वे लिपटे पड़े थे वह तो दानी की रज़ाई थी | 
दानी तो पापा के साथ खड़ी मुस्कुरा रहीं थीं | 
"चलो ,तुम्हारे लिए मलाई कोफ़्ते बनाकर आई हूँ | " दानी ने हँसकर बच्चों से कहा | 
सब बड़े आश्चर्य में थे ,दानी आखिर निकाल कहाँ से गईं ? 
"देखो ,दानी के अंधेरे से डरती हैं तुम कह रहे थे न ।दानी तुम्हारे लिए अंधेरे में मलाई कोफ़्ते बना रही थीं और तुम सबको पता भी नहीं |" पापा मुस्कुराए | 
     सब बच्चे उठकर दानी से चिपट गए ,
"दानी ! हम तो डर ही गए थे ,अगर हमें कुछ हो जाता तो ?"
"ऐसे कैसे हो जाता ,आखिर तुम सब दानी की रज़ाई से ही तो चिपके पड़े थे --" दानी ने हँसकर कहा | 
बंसी ने टेबल लगा दी थी और वह सबको बुलाने आ गया था | 
सब बच्चे दानी को घेरकर डाइनिंग टेबल पर आ गए थे | 
"दानी ! आप तो खुद ही मलाई कोफ़्ता हो ---" गुनगुन ने दानी को प्यार से कहा | 
"दानी का प्यार भी मलाई कोफ़्ता ही तो है ,सॉफ्ट वाला ---"
   बच्चों का इतना प्यार देखकर दानी की आँखों में आँसू भर आए | उन्होने सब बच्चों के अपने अंक में समेट लिया | 
पापा-मम्मा के साथ बंसी के चेहरे पर भी तरल मुस्कान थिरक रही थी | 
'जिस घर में बच्चों को अपने बुज़ुर्गों का प्यार मिलता है और वे उन्हें सम्मान देते हैं उस घर से अधिक कोई सौभाग्यशाली घर  नहीं होता|' बंसी मुस्कान के साथ खाना परोसने में तल्लीन हो गया था | 
 
डॉ. प्रणव भारती