Me and chef - 43 in Hindi Drama by Veena books and stories PDF | मे और महाराज - (जाल_४) 43

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मे और महाराज - (जाल_४) 43

राजकुमार अमन अपने ससुर वजीर साहब के साथ मिलकर अपना जाल रच चुके थे।

दो दिन बाद सिराज राजकुमारी से मिलने उनके कक्ष आया।

राजकुमारी कमरे के बाहर बने हुए बगीचे में अपनी दासींयो के साथ खेल खेल रही थी। उनकी आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी। सिराज ने दासियों को आवाज करने से मना किया। और खुद उनके बीच आकर खड़ा हो गया। समायरा ने जैसे ही उसे पकड़ा वह समझ गई कि सामने सिराज था।

समायरा ने अपनी आंखों से पट्टी खोली। उस पूरे बगीचे में उसके और सिराज के अलावा और कोई नहीं था।
" तुमने सब को भगा दिया।" समायरा ने पूछा।

" वह लोग खुद चले गए।" सिराज ने जवाब दिया।

" तुमने रोका भी तो नहीं ?" समायरा अपनी जिद पर अड़ी रही।

" हमने आपको आराम करने के लिए कहा था।" सिराज ने तुरंत सारा मामला पलट दिया।

" मैं कितने महीनों से उस कमरे में थी। प्लीज कुछ दिन मुझे बाहर जाने दो। मुझे तो मार्केट में भी जाना है।" समायरा ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।

" मार्केट ?????" सिराज उसकी बातें ज्यादा समझ नहीं पाया।

" कपड़े खरीदने।" समायरा ने बताया।

" जब तक आप अपनी सारी दवाइयां खत्म नहीं करती। आप इस महल के बाहर कदम नहीं रख सकती।" सिराज ने अपना हुकुम फ़रमाया।

" यह गलत बात है। वह दवाइयां बहुत कड़वी है और देखो अब मैं पूरी तरीके से ठीक हूं। अब मुझे पैर में भी दर्द नहीं होता।" समायरा भी जिद पर अड़ी रही।

सिराज ने समायरा का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचा। " आप खुद से हमारी बात मानेगी या हम मनवाएं।"

सिराज की आज्ञा के अनुसार समायरा की दवाइयां बदलकर उन्हें खाने के वक्त दी जाती थी।

कुछ दिनों बाद जब वापस राजकुमारी शायरा उठीं।
" राजकुमारी।" मौली ने उन्हें झुक कर सलाम किया।

" हमें कितने दिन हुए मौली ?" शायरा ने पूछा।

" आप 3 दिनों बाद वापस लौटी है राजकुमारी।" मौली।

" हम पर हुए तीर के हमले के बाद ज्यादा दिनों तक वह लड़की ही हमारे शरीर में रह पा रही है। हमें जल्दी इसका हल खोजना होगा मौली। जाकर उस बिस्तर बनाने वाले का पता लगाओ जिसे वह ढूंढ रही थी।" राजकुमारी शायरा ने हुकुम फ़रमाया।

" जी राजकुमारी।" मौली जाने लगी।

" रुको मौली। हमें बताओ। राजकुमार सिराज के बिछाए हुए जाल का क्या हुआ ?" राजकुमारी शायरा ने पूछा।

" राजकुमार अमन बेगुनाह साबित हुए मेरी राजकुमारी।" मौली की कहीं यह बात सुन शायरा के चेहरे पर एक सुकून भरी हंसी छा गई।

" हमें पूरा यकीन था हमारे बड़े राजकुमार, हमारे साथ कभी गलत नहीं करेंगे।" शायरा ने मौली का हाथ पकड़ते हुए कहा।

तभी बाहर से एक दासी अंदर आई।

" उन्हें अंदर भेजिए।" शायरा ने दासी से कहा।

" गौर बाई भला आपसे मिलने क्यों आई होगी ?" मौली ने पूछा।

" उन्हें अंदर आने दो पता चल जाएगा।" शायरा ने कहा।

गौर बाई अंदर आकर शायरा के सामने बैठी। " नमस्ते दीदी कैसी हैं आप ?"

" यकीनन आप यह पुछने तो यहां नहीं आई होंगी।" शायरा ने नफरत भरी निगाहों से उसे देखा।

" नहीं । हम तो आपको किसी का तोहफा देने आए हैं।" गौर बाई ने अपने पास पड़े थैले में से एक चित्र निकाला और समायरा के सामने खोला। " हम बड़े महल गए थे। वहां हमारी मुलाकात राजकुमार अमन से हुई। बड़े राजकुमार काफी चिंतित थे आपके प्रति। उन्होंने हमें यह चित्र दिया । आपको देने के लिए।" उसने शायरा के चेहरे पर बदलते हुए जज्बातों को देखा। " तो क्या ए कोई चिट्ठी है ? जिसे आपके अलावा और कोई पढ़ नहीं पाएगा ? "

राजकुमारी शायरा ने गुस्से से उसे देखा। " एक मामूली चित्र को गुप्त चिट्ठी बुलाने जैसा काम आप जैसा बेवकूफ ही कर सकता है।"

" राजकुमारी।" गौर बाई भड़क गई।

" आपने चित्र हमें दे दिया। आप यहां से जा सकती हैं।" शायरा की बढ़ी हुई आवाज सुन दो दासिया कमरे के अंदर आई और गौर बाई को वहां से ले गई।

" मौली दरवाजा बंद करो।" शायरा ने कहा।

मौली ने तुरंत दरवाजा बंद किया और जाकर शायरा के पास बैठ गई। " तो राजकुमारी क्या ए चित्र सच में गुप्त चिट्ठी है ?"

शायरा ने हां में सर हिला कर जवाब दिया। " जब हम छिपकर एक दूसरे के साथ प्रेम संबंध में थे। तब राजकुमार अमन अक्सर हमें चिट्ठी के रूप में चित्र भेजा करते थे। उन्होंने हमें इस चित्र को पढ़ना सिखाया था। यह देखो दो चिड़िया मतलब हमारा जोड़ा। उन्हें हमारी याद आ रही है। इस चित्र में जो मौसम उन्होंने दिखाएं है। वह दो बदलते मौसम है। इसका मतलब वह हमारी तबीयत जानना चाहते हैं। यह घर मतलब मिलने की जगह। और चित्र की तारीख देखो। ३ दिनों बाद की है, मतलब वो हमें मिलने बुला रहे है।" शायरा ने खुश होते हुए कहा।

" लेकिन आप जायेंगी कैसे ?" मौली के चेहरे पर एक उदासी थी। पता नही क्यों शायरा का राजकुमार अमन से मिलना उसे पहली बार खटक रहा था।

" मौली। समायरा। समायरा से कहना किसी भी तरह राजकुमार सिराज को मनाए। तुमने ही कहा था ना राजकुमार उसकी बातें मानते हैं। सारी जायज नाजायज मांगे पूरी करते हैं। उसे कहना कि यह हमारी तरफ से एक विनंती है।" अपनी राजकुमारी को इस तरह लाचार देख, मौली के पास समायरा से बात करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था।

" अच्छा तो यह बात है।" दूसरे दिन जैसे ही समायरा जगी मौली ने उसे सारी बातें बताई।

" तो तुम मदद करोगी सैम ?" मौली ने पूछा।

" देखो पता नहीं क्यों मुझे लग रहा है कि, यह कोई साजिश है। अभी भी कहती हूं कि तुम्हारी राजकुमारी को उस इंसान पर भरोसा नहीं करना चाहिए।" समायरा ने मौली को समझाने की कोशिश की। लेकिन मौली अपनी जिद पर अड़ी रही।

" तुम समझती नहीं सैम। वह दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं। उनके प्यार की रक्षा करो। मेरी राजकुमारी ने पहली बार विनंती की है।" मौली की मासूमियत देख समायरा के आगे हा करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था।

उस दिन शाम तक समायरा ने अपनी सारी दवाइयां खत्म कर दी। सिराज उसके सामने बैठा उसे घुरे जा रहा था।

" आज आपको दवाइयां पीने की काफी जल्दी है ?" उसने शक भरी निगाहों से समायरा को देखा।

" तुम्हें अपना वादा याद है ना ?" समायरा ने पूछा।

" कौन सा वादा ?" सिराज की बातें सुन समायरा के चेहरे से हंसी चली गई।

" ए झूठे। तुमने कहा था, दवाइयां खत्म करने के बाद मैं कहीं भी अपनी मर्जी से आ जा सकती हूं।" समायरा ने सिराज के पास बैठते हुए कहा।

" हां। हमें याद है। पर आप शायद कुछ भुल गई।" सिराज ने समायरा को इस तरह खींचा के वह उसकी गोद में बैठ गई।
" यह क्या कर रहे हो ?" समायरा ने उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश की।

" सजा दे रहा हूं। राज परिवार के खिलाफ बुरा बोलने की।" सिराज ने अपने होंठ समायरा के होठों पर रखते हुए कहा।